November 22, 2024
Sevoke Road, Siliguri
Uncategorized

सिलीगुड़ी के कितने स्कूल अपग्रेड हो पाएंगे!

पश्चिम बंगाल स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा एक निर्देशिका जारी की गई है,जिसके अंतर्गत सिलीगुड़ी समेत पूरे बंगाल के सरकारी स्कूलों के सशर्त अपग्रेडेशन की बात कही गई है. यह देखना जरूरी होगा कि सिलीगुड़ी और आसपास के कितने सरकारी स्कूल अपग्रेडेशन की पात्रता रखते हैं.

जूनियर हाई से हाई स्कूल में तब्दील होने के लिए निर्देशिका के अनुसार स्कूल की प्रत्येक कक्षा में कम से कम 40 बच्चों का होना आवश्यक है. इसके साथ ही बच्चों का प्रत्येक क्लास में ड्रॉपआउट दर 5% से अधिक नहीं होना चाहिए. स्कूल में पर्याप्त संख्या में शिक्षक तथा दूसरे स्टॉफ का होना आवश्यक है. इसके साथ ही स्कूल का बुनियादी ढांचा भी अपग्रेडेशन के लिए आवश्यक है. जैसे स्कूल में लाइब्रेरी का होना, फीस कलेक्शन, एडमिशन प्रक्रिया पारदर्शिता आदि का होना आवश्यक है.

जबकि हाई स्कूल से हायर सेकेंडरी स्कूल में परिणत होने के लिए निर्देशिका के अनुसार स्कूल को कई पात्रताएं रखनी पड़ेगी. इनमें 3 किलोमीटर के क्षेत्र में समान मीडियम का कोई दूसरा हायर सेकेंडरी स्कूल नहीं होना जरूरी है. स्कूल की प्रत्येक कक्षा में उपयुक्त बच्चों की संख्या के साथ ही कुल बच्चों की संख्या 500 से अधिक होनी चाहिए. कक्षा नौ और कक्षा 10 में कम से कम 140 छात्रों का होना आवश्यक है.उपरोक्त के अलावा स्कूल का अपना लैब होना चाहिए. साथ ही लाइब्रेरी जिसमें कम से कम 750 पुस्तकें हो.

सबसे अहम बात छात्रों के पासआउट को लेकर है. निर्देशिका के अनुसार माध्यमिक परीक्षा का पास आउट प्रतिशत 50% से कम नहीं होना चाहिए. इसके अलावा शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता उच्च होनी चाहिए. कम से कम 40% शिक्षक उच्च शैक्षणिक योग्यता रखते हो. ताकि वे हायर सेकेंडरी स्कूल के बच्चों को आसानी से पढ़ा सकें.

पश्चिम बंगाल स्कूल शिक्षा विभाग की इस निर्देशिका के बाद यह सवाल उठने लगा है कि सिलीगुड़ी और आसपास में चल रहे सरकारी स्कूल इसके लिए कितने तैयार हैं. क्योंकि यहां सरकारी स्कूलों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है. ड्रॉपआउट दर भी 5% से ज्यादा ही हो सकती है. इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास स्तरीय नहीं है. ना ही उपयुक्त ढंग की लाइब्रेरी या लाइब्रेरी होने पर भी उसका सही रखरखाव नहीं हो रहा है. शिक्षकों की उपस्थिति भी तारीफ के योग्य नहीं है.

कई स्कूलों के अपने भवन तक नहीं है. कहीं पेड के नीचे तो कहीं तो कहीं खुले आंगन में आकाश के नीचे बच्चों की क्लास लगाई जाती है. शिक्षकों की योग्यता को लेकर पहले ही हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है और जहां तक पारदर्शिता की बात है तो स्कूलों में आज भी इसका अभाव देखा जा रहा है. राज्य में स्कूलों में भ्रष्टाचार और अनियमित नियुक्ति को लेकर पहले से ही जांच चल रही है. इन सभी स्थितियों को देखते हुए यह सवाल उठना लाजिमी है कि कितने सरकारी स्कूल अपग्रेडेशन के लिए तैयार हैं!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *