बरसात के बीच सिलीगुड़ी और पूरे राज्य में डेंगू के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. सबसे ज्यादा कोलकाता नगर निगम और नजदीकी नगरपालिका क्षेत्रों में डेंगू का कहर जारी है. अब तक 12 लोगों की डेंगू से मौत हो चुकी है.राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों के बावजूद डेंगू के मामले नियंत्रित में नहीं आ रहे हैं. इस बीच राज्य सरकार द्वारा जागरूकता अभियान को और तेज करने का निर्देश दिया गया है.
सिलीगुड़ी नगर निगम के द्वारा डेंगू को लेकर जागरूकता अभियान शुरू किया जा रहा है. सिलीगुड़ी नगर निगम के सभी वार्ड के स्थानीय पार्षदों को जिम्मेवारी दी गई है. प्रभावित क्षेत्रों में डेंगू से निपटने के उपाय किए जा रहे हैं. राज्य सरकार राज्य में डेंगू से प्रभावित क्षेत्रों में मच्छरदानी का वितरण कर रही है. सिलीगुड़ी नगर निगम ने राज्य सरकार के निर्देश के बाद नदी, नालों और जलजमाव वाले स्थानों में साफ सफाई का काम शुरू कर दिया है. हाल ही में निगम ने नालों की सफाई के लिए दो और मशीनों को काम में लगा दिया है.
इसके अलावा मेयर गौतम देव के निर्देश से घर घर सर्वेक्षण का काम तेजी से चल रहा है. स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य के सभी 129 नगर पालिका क्षेत्र में यह अभियान चल रहा है जो दिसंबर तक जारी रहेगा. सिलीगुड़ी और पूरे राज्य में खुले नाले, खाली जमीन, कुएं और तालाबों के कारण डेंगू फैलने की बात कही जा रही है.यह अध्ययन में भी स्पष्ट हो चुका है. ऐसे में प्रशासन ऐसे क्षेत्रों पर गहरी नजर रख रहा है. ऐसे क्षेत्रों में डेंगू फैलाने वाले मच्छरों का लार्वा नष्ट करने के लिए सभी तरह के कदम उठाए जा रहे हैं.
डेंगू से निपटने के लिए राज्य सरकार ने अगस्त माह से ही हर महीने 2 बार स्वच्छता सप्ताह मनाने का निर्देश दिया. राज्य सरकार के निर्देश के बाद स्वच्छता सप्ताह शुरू कर दिया गया है. शहर हो अथवा उपशहर सभी जगह स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है. रेलवे, बंदरगाह, रक्षा, औद्योगिक इकाइयों तथा अन्य जगहों पर भी यह अभियान चल रहा है. डेंगू के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए इसी महीने से स्कूल आधारित कार्यक्रम भी शुरू किए जा रहे हैं.
इसके अलावा राज्य स्वास्थ्य विभाग पूरे राज्य में 160 सरकारी अस्पतालों में निशुल्क डेंगू परीक्षण की सेवा उपलब्ध करा रहा है. सिलीगुड़ी जिला अस्पताल और उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी निशुल्क डेंगू परीक्षण की व्यवस्था की गई है. पूरे राज्य में 9000 डॉक्टरों तथा पैरामेडिकल स्टाफ को डेंगू रोगियों के मामलों को देखने के लिए प्रशिक्षित किया गया है. इन सबके बावजूद डेंगू का नियंत्रित ना होना जरूर चिंता की बात है. अब देखना होगा कि स्वास्थ्य विभाग का अगला कदम क्या होता है.