November 22, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल राजनीति सिलीगुड़ी

धुपगुड़ी विधानसभा सीट तृणमूल के लिए करो या मरो की तरह!

कुछ दिन पहले फिरहाद हकीम ने एक नारा दिया था- कह रही बंगाल की जनता, प्रधानमंत्री पद पर विराजे ममता! धुपगुड़ी विधानसभा सीट जीतने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने जो रणनीति तैयार की है, वह कुछ इसी दिशा में जाता प्रतीत हो रहा है. क्योंकि चर्चा तो यह भी है कि स्वयं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यहां उम्मीदवार की जीत पक्की करने के लिए चुनाव प्रचार करने वाली है.

धुपगुड़ी विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा था. वरिष्ठ विधायक और भाजपा नेता विष्णुपद राय के अचानक निधन के बाद रिक्त सीट को भरने के लिए उपचुनाव हो रहा है. सूत्रों ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस ने इस सीट पर जीत पक्की करने के लिए प्रदेश के 37 स्टार प्रचारकों की सूची बनाई है. इनमें स्वयं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम भी शामिल है.

तृणमूल कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची में अभिषेक बनर्जी, सुब्रत बख्शी, शोभन देव चट्टोपाध्याय, फिरहद हकीम, डॉक्टर काकोली घोष दस्तीदार, कल्याण बनर्जी, अरूप विश्वास, बाबुल सुप्रीयो, महुआ मोइत्रा, मिमी चक्रबर्ती ,सैयोनी घोष, मलय घटक, चंद्रमा भट्टाचार्य, देव अधिकारी ,डॉक्टर शशी पंजा ,डॉक्टर शांतनु सेन, कुणाल घोष और इस तरह से प्रदेश के सभी वरिष्ठ तृणमूल नेता और मंत्री पार्टी की जीत पक्की करने के लिए करो या मरो की तरह उतरने जा रहे हैं.

उधर भाजपा भी पूरे दमखम के साथ तृणमूल कांग्रेस का मुकाबला करने के लिए तैयार है. भाजपा की ओर से तापसी राय को उम्मीदवार बनाया गया है. तापसी राय सैनिक परिवार से आती है. उन्होंने पूरे जोशो खरोश के साथ अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया है. तापसी राय को विधानसभा में भेजने के लिए प्रदेश भाजपा ने एड़ी चोटी का जोर लगा रखा है. भाजपा ने अपनी परंपरागत सीट बचाने के लिए 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है. इनमें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, शुभेंदु अधिकारी, दिलीप घोष, राहुल सिंहा, निशित प्रमाणिक, शांतनु ठाकुर,डॉक्टर सुभाष सरकार, जॉन वारला और अन्य के नाम शामिल है.

यहां 5 सितंबर को वोट डाले जाएंगे. जबकि वोटो की गिनती 8 सितंबर को होगी. यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है. 5 सितंबर को 5 और राज्यों की 6 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव हो रहे हैं. आपको बताते चले कि धूपगुडी विधानसभा सीट किसी समय माकपा की परंपरागत सीट मानी जाती थी. यहां 1977 से लेकर 2016 तक माकपा का कब्जा रहा था. उसके बाद तृणमूल कांग्रेस ने माकपा से यह सीट छीन ली. लेकिन 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने तृणमूल से यह सीट छीन ली थी.

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