एक कहावत है कि बारह साल के बाद घुरे के भी दिन फिरते हैं. पश्चिम बंगाल के मंत्रियों और विधायकों के लिए यह कहावत शत प्रतिशत सटीक बैठती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि पश्चिम बंगाल के एक विधायक की तनख्वाह एक साधारण कर्मचारी से भी कम है.
आप सिलीगुड़ी के किसी फर्म में नौकरी करते हैं. निश्चित रूप से आपकी तनख्वाह ₹10000 मासिक से ऊपर होगी. आप सोच रहे होंगे कि जनता के प्रतिनिधि और मंत्री खूब कमा रहे होंगे. उनकी तनख्वाह तो लाखों में होगी. परंतु आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि राज्य में एक विधायक की सैलरी ₹10000 से ज्यादा नहीं है. जबकि राज्य के एक मंत्री की मासिक सैलरी 10900 महीना है. यानी एक विधायक की सैलरी से मात्र ₹900 ज्यादा मंत्री को मिलता है.
देखा जाए तो पश्चिम बंगाल पहला ऐसा प्रदेश है, जहां विधायकों और मंत्रियों का वेतन अन्य राज्यों के विधायकों तथा मंत्रियों की तुलना में सबसे कम है. काफी समय से राज्य के विधायकों तथा मंत्रियों के वेतन वृद्धि की बात चल रही थी. आज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य विधानसभा में दो बड़ी घोषणाएं की है. दुर्गा पूजा से पहले मुख्यमंत्री की दोनों बड़ी घोषणाओं से राजनीतिक गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म हो गया है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पोयला बैसाख को पश्चिम बंगाल दिवस मनाने का फैसला किया है और स्पष्ट रूप से कहा है कि कोई कुछ भी कहे, लेकिन पोयला वैशाख को ही बंगाल दिवस मनाया जाएगा. आमतौर पर पोयला बैसाख 15 अप्रैल को मनाया जाता है. लेकिन कभी-कभी 14 अप्रैल को भी पोयला बैसाख होता है. राज्य विधानसभा में प्रस्ताव भी पारित हो गया है. विधेयक को राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा और उसके बाद कानूनी और आधिकारिक रूप से बंगाल दिवस अस्तित्व में आ जाएगा.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसके साथ ही राज्य के विधायकों और मंत्रियों की सैलरी में भारी इजाफा किया है. अब राज्य के मंत्रियों और विधायकों की सैलरी 5 गुना अधिक हो जाएगी. यानी राज्य का एक विधायक लगभग ₹50000 मासिक सैलरी प्राप्त करेगा जबकि राज्य का एक मंत्री लगभग 51 हजार रुपए मासिक सैलरी प्राप्त करेगा. समझा जाता है कि पूजा से पहले मुख्यमंत्री ने जनता के प्रतिनिधियों को बंपर सौगात दी है. पूर्व मंत्रियों के वेतन में भी इजाफा किया गया है. पूर्व मंत्रियों का वेतन ₹11000 था जो अब 51 हजार रुपए वेतन के तौर पर मिलेंगे.
केवल इतना ही नहीं राज्य के विधायकों और मंत्रियों के भत्ते में भी काफी वृद्धि की गई है. सरकार की वेतन संरचना के अनुसार राज्य के विधायकों को भत्ते और समिति की बैठकों में भाग लेने के लिए अब तक 81 हजार रुपए मिलते थे.अब से उन्हें 121000 मिलेंगे. जबकि विपक्षी दलों के नेताओं तथा राज्य के मंत्रियों, पूर्व मंत्रियों को इतने दिनों के लिए कुल मिलाकर 110000 रुपए मिलते थे. अब से उन्हें लगभग डेढ़ लाख रुपए मिलेंगे.
हालांकि दूसरी तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपना सादा जीवन और उच्च विचार को दरकिनार नहीं किया है.उन्होंने अपनी सैलरी नहीं बढ़ाई है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ऐसा करके मुख्यमंत्री ने राज्य की जनता के दिल में अपनी छवि को उदार बनाने की कोशिश की है. जबकि राजनीतिक विश्लेषक 2024 के चुनाव से जोड़कर इसे देख रहे हैं.
राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. सिलीगुड़ी में बंगाल दिवस मनाने को लेकर मुख्यमंत्री की घोषणा का स्वागत किया जा रहा है. तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेताओं ने मुख्यमंत्री की घोषणा का हार्दिक स्वागत किया है. आपकी इस पर क्या प्रतिक्रिया है, मुख्यमंत्री के इस कदम को आप कितना उचित तथा जरूरी मानते हैं, कृपया जरूर बताएं.