दीपावली और भैया दूज बीतते ही छठ पूजा की तैयारी शुरू हो जाती है. शुक्रवार को नहा खा, शनिवार को खरना और रविवार को पहला अर्घ्य है. छठ व्रतियों ने तैयारी शुरू कर दी है. छठ पूजा को लेकर सिलीगुड़ी का बाजार भी गरमा रहा है. थाना मोड पर हर समय आप सूप दौरे की बिक्री देख सकते हैं. नया बाजार, महावीर स्थान रेल गेट, चंपासारी, गुरुंग बस्ती, टाउन मार्केट और सिलीगुड़ी के विभिन्न बाजारों में छठ महापर्व के लिए प्रसाद और फल सजने लगे हैं.
छठ महापर्व में गन्ना, भांति भांति के फल, हल्दी, अदरक, नींबू, सूप, नारियल, दउरा और पकवान लगता है. नहा खा के दिन से ही छठ महापर्व की शुरुआत हो जाती है. यह अत्यंत कठिन व्रत है. सिलीगुड़ी में सभी धर्म और वर्ग के लोग इस महापर्व को पूरी आस्था के साथ मनाते आ रहे हैं. छठ महापर्व के बारे में कहा जाता है कि यह अत्यंत साफ सफाई का कठिन व्रत है. छठ व्रती की माने तो यह व्रत करने से छठी मैया उनकी मनोकामना पूरी करती है.
एक समय छठ व्रत पूर्वांचल के लोगों का ही मुख्य व्रत माना जाता था. लेकिन छठ महापर्व में हिंदू, मुस्लिम और सभी धर्म तथा वर्ग के लोगों की आस्था बढ़ी है. इसलिए सभी वर्ग और धर्म के लोग इस कठिन व्रत को करते हैं. कई लोग मन्नत मांगने और उसे पूरा होने पर यह व्रत करते हैं. कुछ लोग संतान के लिए व्रत करते हैं. तो कई लोग अपने किसी प्रियजन के लिए मन्नत मांगने और उसे पूरा होने पर यह व्रत करते हैं. कुछ लोग परंपरा से यह व्रत करते आ रहे हैं.
जो लोग छठ महापर्व करते हैं, वे लोग कार्तिक महीना शुरू होते ही मांसाहार का त्याग कर देते हैं. यहां तक कि प्याज लहसुन भी इसमें नहीं खाया जाता और धरती पर छठ व्रती महिलाएं सोती हैं. शुद्धिकरण इतना कि कोई भी पूजा का सामान छूने से पहले हाथ धोना पड़ता है. कई लोग तो चमड़े का चप्पल भी पहनना बंद कर देते हैं. यह महापर्व पूरे परिवार के साथ संपन्न होता है. यही कारण है कि छठ में शामिल होने के लिए रोजी रोजगार के लिए दूसरे शहरों में गए लोग छठ महापर्व के समय घर लौट आते हैं. छठ महापर्व में आस्था का ही यह असर है कि परिवार के साथ इस व्रत को संपन्न करने के लिए इन दिनों देश के कोने-कोने से रेलगाड़ियो में लदकर लोग अपने घर लौट रहे हैं.
छठ महापर्व में लोगों की बढ़ती आस्था को देखते हुए इस बार सिलीगुड़ी नगर निगम के द्वारा भी काफी तैयारी की गई है. सिलीगुड़ी नगर निगम के अंतर्गत महानंदा नदी के तट पर कई घाट बनाए गए हैं. इन घाटों में एक नंबर माता संतोषी घाट, हरिओम घाट, गंगानगर घाट, पोराझार घाट, लालमोहन मौलिक घाट, धर्मनगर, राजेंद्र नगर, गुरुंग नगर, बाघा जतिन कॉलोनी, प्रकाश नगर, चंपासारी, माटीगाड़ा समेत अनेक घाट शामिल हैं. सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव ने खुद इन घाटों का निरीक्षण किया था. अब इन घाटों की साफ सफाई का काम जेसीबी मशीन के द्वारा शुरू कर दी गई है. विभिन्न छठ घाटों पर छठ व्रती के नदी के पानी में उतरने की सीमा रेखा भी तैयार की जा रही है. स्थानीय छठ पूजा कमेटियों के सहयोग से यह संपन्न हो रहा है.
सिलीगुड़ी की विभिन्न छठ पूजा कमेटियों की ओर से घाटों पर लाइट लगाने, पंडाल बनाने, सौंदर्यीकरण इत्यादि का काम शुरू कर दिया गया है. SJDA की ओर से भी छठ घाटों का अलग-अलग स्थान पर निर्माण और लाइटिंग का काम चल रहा है. छठ महापर्व भारत के सभी राज्यों और नेपाल तक में भी मनाया जाता है. सिलीगुड़ी के बाद भारत नेपाल सीमा पर स्थित मेची नदी में भी छठ महापर्व का उल्लास देखते बनता है. भारत की ओर से बंगाल और बिहार के व्रत धारी परिवार मेची नदी के घाट पर छठ पर्व मनाने आते हैं तो वहीं नेपाल से भी मैथिली समेत हिंदी भाषी और नेपाली लोग भगवान भास्कर की उपासना करने आते हैं. इस तरह से छठ महापर्व में सभी जाति, धर्म और वर्ग के लोगों की आस्था जुड़ी है.