जब-जब सेना और सैनिक की चर्चा होती है तो भारत की सीमा पर रात दिन पहरा दे रहे ऐसे जवान की तस्वीर जेहन में कौंध उठती है, जो देश और देश की जनता की सुरक्षा के लिए ही जीते हैं और अपना जीवन दांव पर लगाते रहते हैं. ऐसे ही एक सैनिक की चर्चा करना जरूरी हो जाता है, जो आंध्र प्रदेश का निवासी है और जिसका नाम ब्रह्मानंद रेडी है. जिसकी पोस्टिंग सेना के पूर्वी मुख्यालय कोलकाता में हुई थी. कोलकाता से स्थानांतरण के बाद यह सैनिक कालिमपोंग के लिए रवाना हुआ था. वह सिलीगुड़ी पहुंचा. उसके बाद से उसका कोई पता नहीं है.
आमतौर पर सैनिकों का स्थानांतरण होता रहता है. वह किसी एक मुख्यालय में ज्यादा समय तक नहीं रहते और उन्हें अलग-अलग पोस्टों पर भेजा जाता है. क्योंकि वह बहादुर होते हैं और देश के लिए जीते हैं. इसलिए उन्हें जहां आवश्यकता होती है, वहां उनका स्थानांतरण कर दिया जाता है. जिस सैनिक की यहां चर्चा की जा रही है, उसे कोलकाता से कालिमपोंग के लिए भेजा गया था. यह सैनिक न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन पर 10 जनवरी को नजर आता है. ब्रह्मानंद रेड्डी ने एनजेपी पहुंचने से पहले फोन पर अपने परिवार और पत्नी से भी बात की थी. सीसीटीवी फुटेज से यह पता जरूर चल जाता है कि वह एनजेपी स्टेशन पहुंचा था. लेकिन उसके बाद उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती है.
सैनिक ब्रह्मानंद रेड्डी से बात करने के लिए उनके परिवार वालों ने दोबारा संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन उसके बाद से ब्रह्मानंद रेडी से कोई बात नहीं हो सकी. उनका मोबाइल फोन काम नहीं कर रहा था. परिवार वालों के अनुसार ब्रह्मानंद रेडी एनजेपी स्टेशन पहुंचे या नहीं, इसकी भी कोई जानकारी नहीं है. इसके बाद उन्हें कालिमपोंग जाना था. ब्रह्मानंद रेड्डी ने भी अपने परिवार वालों से कोई बात नहीं की. 2 दिन इंतजार करने के बाद सैनिक ब्रह्मानंद रेड्डी के बड़े भाई महेश्वर रेड्डी ने एनजेपी पहुंचकर थाने में अपने भाई की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी.
उधर जिस दिन ब्रह्मानंद रेड्डी एनजेपी पहुंचे थे, उसी दिन की बात है. 10 जनवरी को ही जीआरपी को फांसीदेवा के अंतर्गत निजबाड़ी से होकर जो रेल लाइन गुजरती है, वहां एक क्षत विक्षत शव बरामद हुआ था. जहां पर यह शव बरामद हुआ था, उसके लगभग 200 मीटर के दायरे में पुलिस को एक सैनिक का बैग, मोबाइल और पहचान पत्र मिला था. इसके आधार पर यह संदेह व्यक्त किया गया कि बरामद शव सैनिक का हो सकता है. महेश्वर रेड्डी को बरामद लाश दिखाई गई लेकिन उन्होंने शव को पहचानने से मना कर दिया. वीर जवान ब्रह्मानंद रेड्डी के परिवार के किसी भी सदस्य ने उस क्षत विक्षत शव को पहचानने से इनकार कर दिया. परिवार वालों का कहना था कि यह शव ब्रह्मानंद रेडी का नहीं हो सकता.
प्रारंभिक जांच के आधार पर एनजेपी थाना और एसओजी की टीम ने यह पता लगाया है कि ब्रह्मानंद रेड्डी जब कालिमपोंग के लिए रवाना हुए थे, तब उनके पास दो से अधिक बैग थे. घटनास्थल के आसपास से पुलिस को एक बैग तो मिला, लेकिन बाकी दो बैग नहीं मिल सके. पुलिस को यह जानकारी ब्रह्मानंद रेड्डी के सहकर्मी दोस्तों से प्राप्त हुई. दरअसल सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस की टीम ने पड़ताल के क्रम में कोलकाता से ब्रह्मानंद रेड्डी के सहकर्मी दोस्तों को बुलाया था. लेकिन उन्होंने भी शव को पहचानने से इनकार कर दिया और कहा कि यह लाश तो ब्रह्मानंद रेड्डी की हो ही नहीं सकती. दूसरी तरफ जीआरपी ने निजबाड़ी से जो शव बरामद किया था, उसकी आसपास में शिनाख्त भी नहीं हो सकी है. ऐसा कोई दावेदार नहीं आया, जो लाश पर अपना दावा बता सके. सवाल यह है कि अगर लाश ब्रह्मानंद रेडी की नहीं है तो फिर किसकी लाश है?
अब पुलिस अज्ञात शव की शिनाख्त के लिए डीएनए जांच कराने की व्यवस्था कर रही है. पुलिस को कहीं ना कहीं ऐसा लगता है कि बरामद शव लापता सैनिक का ही हो सकता है. जबकि सैनिक के घर वालों का कहना है कि लाश जिस अवस्था में है, वहां उसका चेहरा पहचाना नहीं जा सकता है. महेश्वर रेड्डी का तो यह भी कहना है कि लाश का शरीर काफी फूल गया है. जबकि उनका भाई मोटा भी नहीं था. पुलिस समझाना चाहती है कि मरने के बाद मृतक का शरीर फूल जाता है और चेहरे का रंग भी बदल जाता है. लेकिन इसके बावजूद भी परिवार वाले मानने को तैयार नहीं है.
इस मामले की जांच कर रहे पुलिस और एसओजी की टीम के अधिकारी पहचान पत्र और लोकेशन के आधार पर बरामद शव को सैनिक का शव बता रहे हैं. दूसरी तरफ ब्रह्मानंद रेड्डी के घर वाले यह मानने को तैयार नहीं है. उन्हें इसमें साजिश नजर आती है. दरअसल ब्रह्मानंद रेड्डी का संबंध कुछ राजनेताओं से भी था. तभी तो तमिलनाडु के एक बड़े राजनेता का कोलकाता स्थित नवान्न में फोन आया था, जिसके बाद पुलिस ने जांच के कार्य में सक्रियता दिखाई थी. जांच टीम ने ब्रह्मानंद रेड्डी के मोबाइल फोन की लोकेशन की जांच की थी. 10 तारीख से लेकर 11 तारीख तक यह लोकेशन एनजेपी, फांसी देवा और फिर निजबाड़ी के बीच घूम रहा है. इस आधार पर भी पुलिस कहीं ना कहीं यह मान रही है कि बरामद शव लापता सैनिक ब्रह्मानंद रेडी का ही हो सकता है.
बहरहाल यह गुत्थी लगातार उलझती जा रही है. तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. पुलिस और खुफिया विभाग अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है. पर चर्चा यह है कि सैनिक ब्रह्मानंद रेडी के साथ लूटपाट की गई होगी. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि ब्रह्मानंद रेडी एनजेपी स्टेशन उतरने के बाद जब वह कालिमपोंग जा रहे थे उसी क्रम में रास्ते में उनके साथ लूटपाट की गई है और उसके बाद उनकी हत्या कर दी गई होगी. कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि हो सकता है कि उन्हें गायब करने में किसी नेता का भी हाथ हो. जबकि यह भी कहा जा रहा है कि किसी आतंकवादी संगठन ने सैनिक को किडनैप करके एक खूबसूरत साजिश के तहत निजबाड़ी में एक डेड बॉडी के जरिए पुलिस और खुफिया विभाग को उलझाने की कोशिश की है. इस तरह से चर्चाओं और कयासों का दौर जारी है. जो भी हो, कोलकाता से फॉरेंसिक जांच टीम सिलीगुड़ी आ रही है. इसके बाद ही दूध का दूध और पानी का पानी हो सकेगा.