लोकसभा चुनाव, नेताओं की भीड़… जनता को लुभाते नेता… वोट बैंक तैयार करते नेता… राज्य में टीएमसी की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. कभी संदेशखाली मुद्दे पर भाजपा की चुनौतियों से जूझ रही ममता बनर्जी की सरकार तो कभी तृणमूल कांग्रेस में गुटबाजी और विद्रोह को तैयार नेताओं से भी निपट रही है… इन सभी मुश्किलों और चुनौतियों से जूझ रही ममता बनर्जी की सरकार पर जल्द ही एक और ग्रहण लगने जा रहा है या इसकी संभावना ज्यादा है.
प्रदेश पर अगले 15 दिन काफी भारी हैं. 18 तारीख से सिलीगुड़ी, उत्तर बंगाल और पूरे प्रदेश में 72 घंटे का परिवहन जाम हो सकता है. यानी सड़कों पर बस, मिनी बस ,छोटी बड़ी गाड़ियां नहीं चलेंगी. पश्चिम बंगाल बस और मिनी बस ऑपरेटर यूनियन के द्वारा इसका ऐलान कर दिया गया है. राज्य में कई बस संगठन, निजी संगठनों के ओनर्स एसोसिएशन इसमें भाग ले रहे हैं. इनमें मिनी बस ऑपरेटर समन्वय समिति, बंगाल बस सिंडिकेट, पश्चिम बंगाल और मिनी बस ओनर्स एसोसिएशन, बस ऑपरेटर ओनर्स एसोसिएशन इत्यादि शामिल हैं.
विभिन्न संगठनों की ओर से राज्य के परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती को ज्ञापन दिया गया है. इस ज्ञापन में परिवहन मंत्री से बस मालिकों की स्थिति पर विचार करने का अनुरोध करते हुए उनसे 15 वर्ष पुरानी बसों को रद्द करने के सरकार के फैसले को वापस लेने तथा इसमें 2 साल और इजाफा करने यानी 17 साल तक करने की मांग की गई है. सेव द पब्लिक ट्रांसपोर्ट कमेटी में शामिल ज्वाइंट काउंसिल आफ बस सिंडिकेट के सचिव तपन बनर्जी ने सरकार के सामने अपना दृष्टिकोण रखा है. उनका कहना है कि बस मालिकों ने कोरोना काल में अपनी बसें बंद रखी. इसमें काफी घाटा हुआ है. अब सरकार 15 साल पुरानी बसों को रद्द करने जा रही है, ऐसे में तो बस मालिकों की कमर ही टूट जाएगी.
आपको बताते चलें कि बस ओनर्स एसोसिएशन और दूसरे संगठन काफी समय से सरकार के 15 वर्ष पुरानी बसों को सड़कों पर नहीं चलने देने के फैसले का विरोध कर रहे हैं. इसकी मियाद जुलाई में खत्म हो रही है. तपन बनर्जी ने कहा है कि अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो 18 मार्च से लेकर 20 मार्च तक पूरे राज्य में चक्का जाम रहेगा. तपन बनर्जी ने बस संगठनों के मालिकों से परिवहन भवन चलो अभियान शुरू करने का भी निवेदन किया है. हड़ताल के दौरान बस मालिकों के संगठन के लोग कोलकाता स्थित परिवहन भवन कूच करेंगे. प्रदूषण कम करने और स्वच्छ पर्यावरण के लिए एनजीटी ने 15 साल पुराने वाहनों को रद्द करने का निर्देश दिया है.
बस ओनर्स एसोसिएशन की पूरे राज्य में 72 घंटे की बस हड़ताल की धमकी से निश्चित रूप से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार चिंता में पड़ गई होगी. निजी बस मालिकों से मौजूदा सरकार कैसे निबटती है, यह देखना होगा. वैसे जानकार मानते हैं कि यह आसान नहीं होगा. क्योंकि चुनाव के मौसम में कोई भी सरकार कठोर कदम उठाने की स्थिति में नहीं होती है. हालांकि सरकार का प्रयास इसे टालने के लिए होगा लेकिन अगर ऑपरेटर एसोसिएशन झुकने को तैयार नहीं हुए तो ऐसी स्थिति में जनता की सुविधा के लिए राज्य सरकार की बसों को अधिक संख्या में सड़कों पर उतारना ही होगा.
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