दार्जिलिंग: भारत की पहली लैंड रोवर ट्रेनर सामंथा डाँग जिन्होंने अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ते हुए अपने साथ पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है | सामंथा डाँग के लिए इस राह को चुनना इतना आसान नहीं था | एक महिला होकर भी सामंथा डाँग ने इस चुनौती भरी राह को चुना, जो काबिले तारीफ है | सामंथा डाँग ने दार्जिलिंग के संदक्फू की सड़कों में लैंड ओवर को चलाकर अपने साहस और हुनर का परिचय दिया है |
बचपन से ही सामंथा ने अपने दादाजी लाकपा डाँग को लैंड रोवर चलते देखा था | सामंथा के दादाजी भी पहाड़ी क्षेत्रों में बड़ी आसानी से लैंड रोवर को चलाते | सामंथा जैसे-जैसे बड़ी होने लगी, वो भी लैंड ओवर के प्रति आकर्षित होने लगी और सामंथा के मन में लैंड ओवर को चलाने की इच्छा भी प्रबल होने लगी | सामंथा ने अपने दादाजी से लैंड रोवर चलाना सीखा और जैसे-जैसे समय बिता सामंथा ने लैंड रोवर पर अपनी पूरी पकड़ बना ली |
कहते है ना ”ज़िन्दगी में कुछ फैसले बहुत सख्त होते हैं, और यही फैसले ज़िन्दगी का रुख बदल देते हैं! ” और कुछ ऐसा ही सामंथा डाँग के साथ हुआ |
सामंथा के बुलंद हौसले ने आज उन्हें अलग पहचान दिलाई है समांथा अपनी मेहनत और लगन से भारत की पहली लैंड रोवर ट्रेनर बन गई है | उनकी इस उपलब्धि से उनके परिवार वाले तो खुश है ही, साथ ही क्षेत्र के लोग भी उनकी इस सफलता से काफी गौरवान्वित है | सामंथा ने अपने अनुभव को सांझा करते हुए कहा कि, उनके लिए यह इतना आसान नहीं था | उन्होंने जिन सड़कों पर लैंड रोवर चलाना सीखा उन सड़कों को देख उन्हें भी डर लगता था, लेकिन उनके हौसले इतने बुलंद थे कि, इन खतरनाक सड़कों को रौंदते हुए वे आगे बढ़ती चली गई और अब उन्होंने अपनी सफलता के पंचम को लहरा दिया है | लैंड रोवर भी अपने 70 वें सालगिराह को मना रहा है और साथ ही भारत में समांथा डॉग जैसी महिला लैंड रोवर ट्रेनर को पा कर वे भी काफी खुश है | वहीं दूसरी ओर समांथा डॉग को देख दार्जिलिंग वासी और महिलाओं को प्रेरणा मिल रही है, उनकी हिम्मत और जज्बात को देखकर महिलाएं भी विभिन्न क्षेत्र में आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है |
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