माटीगाड़ा हत्याकांड मामले की सुनवाई सिलीगुड़ी कोर्ट में चल रही है. इस मामले में अब तक 22 गवाहों के बयान दर्ज किये जा चुके हैं. शुरू से लेकर अब तक 10वीं बार यह सुनवाई जारी है. इससे पहले विभिन्न कारणों से इस बहुचर्चित हत्याकांड मामले की सुनवाई में अवरोध उत्पन्न होते रहे.
हर बार कुछ ना कुछ बोलने वाला इस मामले में हत्या का मुख्य आरोपी मोहम्मद अब्बास आज मीडिया के सामने खामोश रहा. पुलिस उसे कोर्ट से लेकर निकल रही थी लेकिन आज उसने कुछ भी नहीं कहा. मोहम्मद अब्बास पर आरोप है कि उसने माटीगाड़ा में रहने वाली एक नाबालिक स्कूली छात्रा को बहला फुसलाकर उसके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की. लेकिन जब वह इसमें कामयाब नहीं हो सका तो उसके चेहरे को कुचलकर उसकी हत्या कर दी.
जिस बेरहमी के साथ कथित रूप से मोहम्मद अब्बास ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया था, उसके बाद से उसके खिलाफ सिलीगुड़ी और पहाड़ के लोग एकजुट हो गए थे. लोग उसे तुरंत फांसी देने की मांग करने लगे.कई बार लोगों के गुस्से का शिकार भी मोहम्मद अब्बास हुआ था. जब वह पेशी के दौरान कोर्ट में लाया जा रहा था, तब लोगों ने उस पर हमला करने की भी कोशिश की. हालांकि पुलिस की सतर्कता से उसे बचा लिया गया.
बेटी की आत्मा को इंसाफ दिलाने के लिए पीड़िता पक्ष के लोग हर बार अदालत में गुहार लगाते रहे हैं. जब-जब मामले की सुनवाई में देरी होती है अथवा किन्हीं कारणों से कोर्ट में मामले की सुनवाई नहीं हो पाती या फिर कोर्ट के द्वारा तारीख पर तारीख दी जाती है, तब पीड़िता पक्ष के लोगों का धैर्य जवाब देने लगता है. मृतका की मां हर समय अदालत में उपस्थित होकर इंसाफ और कोर्ट की प्रक्रिया पर सवाल उठाने लगती है. हालांकि इस मामले की सुनवाई नियमित रूप से हो रही है.
हमारे देश की संवैधानिक व्यवस्था और कानूनी प्रक्रिया ऐसी है कि किसी भी निर्दोष व्यक्ति को सजा नहीं दी जा सकती.उसे खुद को बेगुनाह साबित करने का पूरा अवसर दिया जाता है.यही कारण है कि कई बार तकनीकी कारण से तो कभी व्यवहारिक कारण भी मुकदमे को लंबा खींचते हैं. कई बार भौतिक कारण भी मुकदमे की देरी का कारण बनते हैं. अगर देखा जाए तो इस हत्याकांड में पुलिस और कोर्ट के द्वारा मामले की सुनवाई में कोई ज्यादा विलम्ब नहीं हुआ है अथवा यह नहीं कहा जा सकता कि मुकदमे की सुनवाई में विलंब हो रहा है.
हालांकि यह अलग बात है कि पीड़ित पक्ष जल्द ही मुकदमे का फैसला चाहता है.लेकिन अदालत भावनाओं से नहीं चलती.
हत्या जैसे मामलों में सुनवाई में काफी समय लग जाता है. कई कई हत्या के मामले ऐसे भी होते हैं जहां आरोपी को अभियुक्त साबित करने में ही 15 से 20 साल लग जाते हैं. ऐसे में मोहम्मद अब्बास के केस की सुनवाई तेजी से जारी है. अब तक बालिका हत्याकांड में 22 लोग गवाही दे चुके हैं. अदालत में बचाव पक्ष के वकील गवाहों के बयान के आधार पर जिरह करने की प्रक्रिया शुरू कर चुके हैं.
इसी के तहत आज इस मामले के जांच अधिकारी का कोर्ट में बयान हुआ. उस पर बचाव पक्ष के वकील ने जिरह की कार्रवाई शुरू की, जो आज पूरी नहीं हो सकी. यह कल भी जारी रहेगी. इस मामले में इन्वेस्टिगेशन अधिकारी का बयान काफी महत्वपूर्ण होता है. अपने बयान की पुष्टि के लिए उन्हें अदालत के समक्ष साक्ष्य पेश करना पड़ता है. जांच अधिकारी पहले ही अदालत में सबूत और साक्ष्य जमा कर चुके हैं. बचाव पक्ष के वकील उस पर जिरह कर रहे हैं.
आज अदालत में सरकारी वकील की मौजूदगी में उनके सहायक ने मोर्चा संभाला था. वह अदालत में उपस्थित हुए. इन्वेस्टिगेशन अधिकारी की गवाही पर जिरह की कार्रवाई आज पूरी नहीं हो सकी. लिहाजा अदालत में कल भी इस पर सुनवाई जारी रहेगी.
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