November 22, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल दार्जिलिंग मौसम सिलीगुड़ी

‘कलंदर’ होता जा रहा सिलीगुड़ी का मौसम!

कलाबाजों को तो आपने बहुत देखे होंगे. वे एक से बढ़कर एक करतब दिखाते रहते हैं. उन्हें कलंदर भी कहा जाता है. कलाबाजों के करतब देखकर दर्शकों की सांस रुक जाती है. उन्हें पता नहीं होता कि कलंदर अगला कौन सा खेल दिखाएगा. अगर मौसम की बात करें तो सिलीगुड़ी, समतल, पहाड़ और डुआर्स में कुछ ऐसा ही मौसम हो रहा है. कभी गर्मी, कभी ठंड ,तो कभी ओलावृष्टि, कभी चिलचिलाती धूप देखकर तो मौसम विभाग भी सटीक भविष्यवाणी नहीं कर पा रहा है.

सच कहा जाए तो ग्लोबल वार्मिंग का असर अब पड़ना शुरू हो गया है. अब तक तो लोगों से यह कहते सुना गया था कि ग्लोबल वार्मिंग एक वैश्विक संकट है और भारत जैसे देश के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक असर डालता है. लेकिन इसे महसूस करने जैसी बात अब देखी जा रही है. हर दूसरे तीसरे दिन मौसम में अचानक बदलाव कई तरह की मुसीबतें ला रहा है. सबसे ज्यादा नुकसान कृषि फसलों को हो रहा है. तूफान और बवंडर में मानव तथा पशु पक्षियों को भारी नुकसान हो रहा है.

अगर तबाही का नजारा देखना हो तो सिलीगुड़ी के आसपास के इलाकों जैसे माल बाजार, नागराकाटा ,Dooars आदि क्षेत्रों में स्थित बड़े-बड़े पेड़, चाय बागान इलाकों में रहने वाले लोगों के उड़ते मकान और फसलों की तबाही को देख सकते हैं. आम पर मंजर चढ़ गया है. लेकिन ओलावृष्टि ने आम के पेड़ों को भी नुकसान पहुंचाया है. चाय बागानों को तो सर्वाधिक नुकसान हुआ है. इसके अलावा सुपारी के बड़े-बड़े पेड़ भी धराशाई हो गए हैं. किसान सूनी आंखों से अपनी बर्बादी देखने के लिए मजबूर हैं रहे हैं. नागराकाटा के कई पंचायत क्षेत्र जैसे आंगराभाषा एक नंबर और दो नंबर इलाकों में 1 घंटे के आंधी तूफान में कई घर तूफान में उड़ गए. जबकि इन इलाकों में हुई ओलावृष्टि के कारण चाय बागान को काफी नुकसान पहुंचा है. इन इलाकों में कई बड़े-बड़े पेड़ धराशाई हो गए. किसान के खेतों की सब्जियां नष्ट हो गई.

जलपाईगुड़ी जिले के मयनागुड़ी इत्यादि क्षेत्रों में पिछले दिनों थोड़ी देर के लिए आए तूफान ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया. आज भी वहां के लोग खुले आसमान के नीचे जीवन बिताने के लिए मजबूर हैं. इसी तरह से बुधवार को सिलीगुड़ी और आसपास के क्षेत्रों में आए तूफान तथा ओलावृष्टि ने कृषि फसलों को नुकसान तो किया ही है, इसके साथ ही मानव और पशुओं के लिए भी आफत खड़ा कर दिया है. पिछले कुछ दिनों से देखा जा रहा है कि सुबह की शुरुआत गर्मी से होती है. लेकिन दोपहर के बाद अचानक मौसम में बदलाव हो जाता है और कभी बारिश तो कभी तूफान की आशंका बनी रहती है. मौसम के मिजाज को समझ पाना किसी के लिए भी कठिन है.

मंगलवार से मौसम में अचानक हो रहे बदलाव ने सबसे ज्यादा सिलीगुड़ी और आसपास के चाय बागानों को संकट में डाल दिया है. इन इलाकों में होने वाली जब तब की ओलावृष्टि ने चाय की कोमल पतियों को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाया है. छोटे-छोटे पौधे इसकी भेंट चढ़ जाते हैं या फिर बर्फ या ओलावृष्टि के कारण पत्तियों में गलन उत्पन्न होने लगती है. एक तरफ तो मैदानी भागों में असमय बारिश और तूफान के चलते किसानों को नुकसान हो रहा है, तो दूसरी तरफ पहाड़ी इलाकों में होने वाली ओलावृष्टि पर्यटकों के लिए मनोरंजन का केंद्र बिंदु बन गयी है.

इस समय पहाड़ों में काफी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं. जब कभी मौसम अंगड़ाई लेता है या फिर बारिश अथवा ओलावृष्टि होती है तो पर्यटक बर्फ के टुकड़ों के साथ खेलते नजर आते हैं और आसपास के भावभीने व खूबसूरत मंजर को अपने कैमरे में कैद कर रहे होते हैं. चाहे वह सिक्किम हो अथवा दार्जिलिंग, इस मौसम में पर्यटक भ्रमण का खूब मजा ले रहे हैं. यहां पहाड़ के कई इलाकों में हर दूसरे तीसरे दिन मौसम की अठखेलियाँ जारी है.

यह पर्यटकों को काफी रास आ रहा है. एक तरफ लोकसभा का चुनाव चल रहा है तो दूसरी तरफ पर्यटकों का प्रकृति मन बहलाव कर रही है. पर्यटक भी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि मौसम में अचानक हो रहे बदलाव का राज क्या है. अब तो बस कयास ही लगाया जा सकता है. क्योंकि मौसम के मिजाज को भांप लेना अथवा पढ़ना आसान नहीं रह गया है. जब बड़े-बड़े मौसम वैज्ञानिक भी दावे के साथ कुछ नहीं कह सकते तो ऐसे में मौसम की गति और चाल को भला क्या समझा जा सकता है!

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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