दार्जिलिंग की तरह कर्सियांग में पर्यटक जाना पसंद नहीं करते. यहां कोई चहल-पहल भी नहीं है. जैसे कि दार्जिलिंग और कालिमपोंग में दिखाई देती है.हालांकि कर्सियांग में होटल, होमस्टे ,लाॅज इत्यादि काफी भरे पड़े हैं . पर यहां सीजन में भी होटल अथवा होम स्टे में कमरे उपलब्ध रहते हैं. देखा जाए तो यहां घूमने के लिए भी कुछ नहीं है. यही कारण है कि यहां आमतौर पर शांति और सन्नाटा पसरा रहता है.
दार्जिलिंग जाने के लिए कर्सियांग से ही होकर जाना पड़ता है. भौगोलिक दृष्टिकोण से कर्सियांग काफी महत्वपूर्ण शहर है. यहां चाय बागान और व्यापारिक क्षेत्र भी बहुत हैं. बड़े-बड़े पहाड़, घाटियां हरियाली सब कुछ है.परंतु यहां पर्यटक नहीं आने से इसका कारोबार पर असर जरूर पड़ता है. कर्सियांग के व्यापारी सिलीगुड़ी के बाजार से ही थोक भाव पर सामान ले जाते हैं. उनकी शिकायत रहती है कि दुकान में सामान कई दिनों तक पड़े रहते हैं. बाजार में ग्राहक ही नहीं है.
कर्सियांग के विकास के लिए इस क्षेत्र को पर्यटन का क्षेत्र बनाने की बहुत पहले पहल की गई थी. गिद्धे पहाड़ से रोहिणी के बीच रोप वे का निर्माण कार्य आरंभ किया गया. 2014 में निर्माण प्रक्रिया शुरू हुई तो यहां के लोगों और व्यवसाईयों को लगा था कि अब कर्सियांग के दिन फिर जाएंगे. परंतु निर्माण कार्य फिर से बंद हो गया तो लोगों के चेहरे भी लटक गए. रोपवे के चालू हो जाने से यहां पर्यटकों का आवागमन दार्जिलिंग की तरह ही बढ़ जाएगा. इसका जीवन और व्यापार के सभी क्षेत्रों पर भारी असर पड़ेगा.
कर्सियांग के होटल, होमस्टे समेत अन्य व्यवसाय भी तेजी से फलेंगे फूलेंगे. यहां देसी विदेशी पर्यटकों के आने से इस क्षेत्र में रहे अन्य कई पर्यटन स्थलों का महत्व बढ़ जाएगा और वहां काफी संख्या में पर्यटक आएंगे. होटल तथा वाहन आदि के कारोबार में भी वृद्धि होगी. कुछ समय पहले यह चर्चा थी कि जीटीए एक बार फिर से रोपवे आरंभ करने जा रहा है.
जब रोपवे का कार्य आरंभ किया गया था, तब यही कहा गया था कि इसका निर्माण 18 महीने के अंदर पूरा कर लिया जाएगा. पहले यह पर्यटन विभाग के अधीन था. वर्तमान में यह कर्सियांग इंजीनियरिंग डिविजन के अधीन है. रोपवे का निर्माण कार्य कब पूरा होगा, इसे क्यों बंद किया गया है? इसका जवाब फिलहाल किसी अधिकारी के पास नहीं है. पर इसके निर्माण कार्य पर अब तक लगभग 12 से 13 करोड रुपए खर्च किए जा चुके हैं. कुल बजट 16 करोड रुपए का था.
सिविल कार्य लगभग 90% पूरा हो चुका है. जीटीए के कर्सियांग इंजीनियरिंग डिविजन के कार्यकारी अभियंता के अनुसार इसका निर्माण कार्य फिर से शुरू करने के लिए दो बार टेंडर किया गया लेकिन लोग नहीं आए. अब तो लोकसभा का चुनाव ही है. चुनाव के बाद फिर से टेंडर शुरू किया जाएगा. उम्मीद की जा रही है कि चुनाव के बाद अधूरे रोपवे का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा. अब तो कर्सियांग के आम लोग और व्यापारी इसी सपने में जी रहे हैं. पर यह देखना होगा कि उनका सपना कब तक पूरा होता है.
अगर रोपवे का निर्माण कार्य शुरू किया जाता है तो कर्सियांग के विकास को गति मिलेगी. गिद्धे पहाड़ में जहां रोपवे का निर्माण किया गया है, उसी के नजदीक रॉक गार्डन तथा नेताजी इंस्टिट्यूट भी है. यहां पर्यटन को गति मिलेगी. जो लोग रोपवे का लुत्फ उठाने आएंगे, वह रॉक गार्डन और नेताजी इंस्टीट्यूट भी जाएंगे. आपको बता दें कि गिद्धे पहाड़ से लेकर रोहिणी झील तक रोपवे द्वारा ढाई किलोमीटर की दूरी तय किया जा सकेगा.
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)