दक्षिण दिनाजपुर के लोग काफी समय से हिली से पूर्वोत्तर राज्यों में बेहतर कनेक्टिविटी की मांग करते आ रहे हैं. इसके लिए हिली तुरा कॉरिडोर के निर्माण की मांग करते आ रहे हैं. हिली से मेघालय तक की यात्रा पूरा करने में लगभग 2 दिन का समय लग जाता है. लेकिन अगर यह कॉरिडोर बनता है तो केवल दो से तीन घंटे में ही मेघालय पहुंचा जा सकता है. लेकिन यह बांग्लादेश होकर ही संभव है. परंतु समस्या यह है कि बांग्लादेश इस कॉरिडोर के लिए तैयार नहीं दिख रहा है.
सुकांत मजूमदार बालूरघाट से आते हैं. उन्होंने सांसद रहते हुए इस मुद्दे को सदन में उठाया था.सुकांत मजूमदार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,बांग्लादेश के प्रधानमंत्री और संबंधित विभाग के मंत्रियों को पत्र भी लिखा था.उन्होंने दावा किया था कि अगर भारत सरकार तैयार हो तो बंगाल से पूर्वोत्तर क्षेत्र की कनेक्टिविटी बढ़ेगी. पूर्वोत्तर राज्यों में महज चंद घंटों में ही पहुंचा जा सकेगा. आपको बता दें कि दक्षिण दिनाजपुर के लोग काफी समय से हिली से मेघालय तक बेहतर कनेक्टिविटी के लिए हिली तुरा कॉरिडोर बनाने की मांग के समर्थन में आंदोलन कर रहे हैं.
2012 से ही यह आवाज उठाई जा रही है. उस समय केंद्र में यूपीए की सरकार थी. लेकिन बात नहीं बनी. दक्षिण दिनाजपुर नागरिक समिति नामक एक संगठन बना, जिसने इसकी मांग में अपना आंदोलन जारी रखा है. सुकांत मजूमदार शिक्षा राज्य मंत्री के साथ-साथ पूर्वोत्तर विकास विभाग में भी राज्य मंत्री हैं. ऐसे में दक्षिण दिनाजपुर के लोग अपने सांसद और मंत्री की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं. सुकांत मजूमदार स्वय॔ चाहते हैं कि कॉरिडोर का निर्माण जल्द से जल्द हो. उन्होंने अपना कार्य भार संभालते ही इस दिशा में अधिकारियों से चर्चा करनी शुरू कर दी है.
कॉरिडोर के निर्माण में कठिनाई यह है कि इसके लिए भारत सरकार के साथ-साथ बांग्लादेश सरकार को भी तैयार होना होगा. क्योंकि जब तक बांग्लादेश सरकार कॉरिडोर के निर्माण की मंजूरी अपने देश में नहीं देती है, तब तक यह कार्य संभव ही नहीं है. कॉरिडोर के बन जाने से बंगाल के किसी भी कोने से पूर्वोत्तर राज्यों में महज कुछ घंटे में पहुंचा जा सकेगा. सूत्रों के अनुसार लगभग 770 किलोमीटर की दूरी घट सकती है.
केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कॉरिडोर निर्माण के लिए पहल कर दी है.उन्होंने इस विभाग के निवर्तमान मंत्री बीएल वर्मा के साथ एक लंबी बैठक की है. इसके बाद उन्होंने अधिकारियों के साथ भी बैठक की है. दक्षिण दिनाजपुर के लोग काफी खुश हैं.उन्हें लगता है कि सुकांत मजूमदार के जरिए उनका सपना साकार हो सकेगा. सुकांत मजूमदार का दृष्टिकोण स्पष्ट है. वे कहते आ रहे हैं कि अगर यह कॉरिडोर बन जाता है, तो न केवल बंगाल को इसका लाभ होगा, बल्कि पूर्वोत्तर भारत को भी काफी लाभ होगा.
उन्होंने यह भी कहा कि कॉरिडोर के बनने से बांग्लादेश को भी लाभ होने वाला है. बांग्लादेश के आर्थिक और सांस्कृतिक विकास में काफी मदद मिलेगी.पर सवाल यह है कि अकेले भारत के चाहने से यह नहीं होगा, जब तक कि बांग्लादेश सरकार तैयार नहीं होती है. बांग्लादेश सरकार को 100 किलोमीटर के कॉरिडोर की मंजूरी देनी होगी. इसके लिए धन भी चाहिए. बांग्लादेश को अपना हित भी देखना होगा. ऐसे में कुछ तकनीकी जटिलताएं भी हो सकती है.
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में आई थी. जब यह प्रस्ताव उनके पास रखा जाएगा, तब उनकी क्या प्रतिक्रिया सामने आती है और वह किस तरह से हिली तुरा कॉरिडोर के निर्माण को देखती हैं और सहयोग करती है, यह देखना होगा. फिलहाल हलचल जरूर बढ़ी है. दक्षिण दिनाजपुर के लोग काफी आशान्वित है पर क्या उनका सपना साकार हो सकेगा? इसका जवाब भविष्य के गर्भ में छुपा है.
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