सिलीगुड़ी और पूरे बंगाल में सरकारी जमीन पर कब्जा करना कोई आश्चर्यजनक घटना नहीं है. जब सिलीगुड़ी एक वन क्षेत्र और सूनसान स्थान हुआ करता था, तब यहां लोगों को बसाने के लिए प्रशासन की ओर से काफी सहयोग किया गया था. उस जमाने में जमीन की कोई कीमत नहीं होती थी. कीमत इंसान की थी. शहर को बसाने के लिए इंसान को बसाना जरूरी था. इसलिए प्रशासन ने जिसको जहां सुविधा मिली, बसने में सहयोग किया. वाममोर्चा की सरकार में सरकारी जमीन पर कब्जा करने की जैसे लोगों को छूट दे दी गई थी.
उस समय सिलीगुड़ी में बहुत से लोगों ने सरकारी जमीन पर कब्जा करके मकान, दुकान,प्रतिष्ठान इत्यादि खड़े कर लिए थे. आज 40 50 वर्षों से सिलीगुड़ी में सरकारी जमीन पर कब्जा करके लोग अपना संसार चला रहे हैं. वर्तमान में सिलीगुड़ी की जनसंख्या में वृद्धि और विकास के साथ ही भू संकट भी बढा है. जमीन का भाव आसमान छू रहा है. सिलीगुड़ी में जमीन नहीं है. विकास कार्य के लिए सरकार को जमीन चाहिए. लेकिन बरसों से सरकारी जमीन पर कब्जा करके बैठे लोग अपनी जमीन छोड़ने के लिए तैयार नहीं है.
मामला कोर्ट तक पहुंच रहा है. कोर्ट का फैसला आने तक सरकार कुछ नहीं करने के लिए बेबस है. पिछले दिनों सिलीगुड़ी में एक नवनिर्मित भवन को कोर्ट के आदेश के बाद ही नगर निगम ने ध्वस्त कर दिया था. देखा जाए तो इस तरह के कई भवन है जो सरकारी जमीन पर बने हैं. मामला कोर्ट में चल रहा है. जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, सिलीगुड़ी नगर निगम कुछ नहीं कर सकती. लेकिन अब सिलीगुड़ी में सरकारी जमीन पर कब्जा करके बैठे लोगों को चेत जाना चाहिए. क्योंकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट निर्देश दे दिया है कि कोई भी व्यक्ति हो, अगर उसने सरकारी जमीन पर निर्माण कार्य किया है तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
सिलीगुड़ी समेत राज्य के कोने-कोने से इस संबंध में मिल रही शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले दिनों एक प्रशासनिक बैठक की और उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. ममता बनर्जी ने प्रशासनिक बैठक में कहा कि किसी भी सूरत में सरकारी जमीन का अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. कोई भी हो, अगर उसने ऐसा अपराध किया है तो उसके साथ कोई रियायत नहीं की जाएगी. ममता बनर्जी ने दार्जिलिंग समेत बंगाल के सभी जिलों के जिला मजिस्ट्रेट से इस संबंध में पूरी रिपोर्ट देने को कहा है.
आपको बताते चलें कि सिलीगुड़ी और आसपास के क्षेत्रों में भू माफिया के द्वारा सरकारी जमीन पर कब्जा करने और बेचने की कई घटनाओं की शिकायत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से की गई थी. इतना ही नहीं कोलकाता में भी सरकारी जमीन पर कब्जा करने की कई घटनाओं के बाद मुख्यमंत्री ने इस सिलसिले पर विराम लगाने और भू माफिया के खिलाफ कठोर कार्रवाई, अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ मुकदमा समेत विभिन्न कदम उठाने के निर्देश दिए थे. उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी लेने को कहा है. मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद सभी जिलों के जिला अधिकारी 24 जून तक सरकारी जमीन पर कब्जे की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेजेंगे. उसके बाद इस पर कमेटी का फैसला आएगा.
पश्चिम बंगाल सरकार ने सरकारी जमीन पर कब्जा रोकने के लिए एक कमेटी भी बनाई है. इस कमेटी में कई वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया गया है.कमेटी में राज्य के वित्त सचिव मनोज पंत, भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी प्रभात मिश्रा, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था मनोज वर्मा और कोलकाता के पुलिस आयुक्त विनीत गोयल को इसमें शामिल किया गया है. कमेटी का गठन 21 जून को किया गया था. मुख्यमंत्री के फरमान के बाद सिलीगुड़ी के भू माफिया और सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले लोगों में घबराहट देखी जा रही है. मुख्यमंत्री ने इस संदर्भ में किसी भी तरह की रियायत देने से मना कर दिया है.
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