बांग्लादेश की सीमा के आसपास स्थित भारतीय क्षेत्र में रहने वाले तथा बांग्लादेश के लोग बेहद गरीबी में जीवन बिताते हैं. रोजी रोजगार नहीं होने और आबादी बढ़ने से बांग्लादेश में कई लोग परिवार का भरण पोषण करने और भूख मिटाने के लिए अब अपना अंग भी बेचने लग गए हैं. खासकर लाख, 2 लाख रुपए के प्रलोभन में कई नौजवान अपनी किडनी तक बेच रहे हैं. इन नौजवानों को किडनी बेचने और धन कमाने के लिए बांग्लादेश के ही दलाल प्रेरित कर रहे हैं.
मिली जानकारी के अनुसार बांग्लादेश में घूम रहे दलाल गरीब लोगों से संपर्क करते हैं और उन्हें किडनी बेचने और मोटी रकम कमाने का ऑफर देते हैं. जब शिकार उनके जाल में फंस जाता है, तब वे उन्हें दिल्ली भेज देते हैं. दिल्ली में कुछ डॉक्टर और सहायक इस गोरख धंधे में शामिल हैं. किडनी ट्रांसप्लांट करने वाले डॉक्टर को 2 लाख रुपए दिए जाते है. इस चेन में कई लोग जुड़े होते हैं. सबका अपना अपना कमीशन होता है. यह धंधा 2019 से ही काफी दिनों से चोरी छिपे चल रहा था. लेकिन दिल्ली क्राइम ब्रांच की मदद से अब सबके बीच आ चुका है. ऐसा धमाका हुआ है कि बांग्लादेश से लेकर दिल्ली तक हिल गया है.
दिल्ली का सबसे प्रसिद्ध इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल है. यह काफी भरोसेमंद अस्पताल माना जाता है. परंतु इसी अस्पताल की एक महिला डाक्टर समेत 7 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, तो लोगों की आंखें फटी की फटी रह गई है. क्राइम ब्रांच ने एक दाता और रिसीवर को भी गिरफ्तार किया है. इस रैकेट में शामिल रसेल नामक एक व्यक्ति मरीज और दाता की व्यवस्था करता था. वह प्रत्येक ट्रांसप्लांट के लिए 25 से 30 लाख रुपया लेता था.
पुलिस ने जिस महिला डॉक्टर को गिरफ्तार किया है, उनका नाम डॉ विजया कुमारी है. अस्पताल प्रशासन ने उन्हें निलंबित कर दिया है. किडनी प्रत्यर्पण रैकेट के साथ काम करने वाली वह अकेली महिला डॉक्टर हैं. डॉक्टर विजया कुमारी ने नोएडा के एक अस्पताल में 2021 से 2023 के दौरान लगभग 15 से 16 मानव अंग ट्रांसप्लांट किए थे. वह एक वरिष्ठ किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन है. 15 साल पहले एक जूनियर डॉक्टर के रूप में उन्होंने इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल ज्वाइन किया था. हालांकि वह अस्पताल की रेगुलर कर्मचारी नहीं थी. पुलिस ने उनके असिस्टेंट विक्रम को भी गिरफ्तार कर लिया है.
मिली जानकारी के अनुसार नोएडा के अस्पताल में डॉ विजया कुमारी विजिटिंग कंसल्टेंट के रूप में काम कर रही थी. वह सिर्फ उन्हीं मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट करती थी, जिन्हें वह खुद लेकर आती थी. पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डॉक्टर विजया कुमारी और अन्य लोग बांग्लादेश के मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट करवाते थे. किडनी के बदले डोनर को चार-पांच लाख रूपए देते थे. जिसे किडनी दिया जाता था, उससे 25 30 लाख रुपए वसूले जाते थे.
किडनी ट्रांसप्लांट का पूरा खेल दिल्ली में चलता था. दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए थे.इसके आधार पर दावा किया जाता था कि दाता और रिसीवर दोनों ही बांग्लादेश के हैं और उनके बीच संबंध है. भारतीय कानून के अनुसार किडनी ट्रांसप्लांट के मामले में दाता और रिसीवर के बीच संबंध होना जरूरी है.
रसेल के बारे में बताया जाता है कि वह 29 साल का है और बांग्लादेश के कुश्तीया जिले का रहने वाला है. बांग्लादेश में मोहम्मद सुमन मियां, त्रिपुरा के रति पाल के साथ वह यह पूरा खेल कर रहा था. यह तीनों लोग मिलकर किडनी बेचने के लिए नौजवानों को तैयार करते थे. उन्हें मोटी रकम का लालच देकर दिल्ली बुलाया जाता था. फिर दाता और रिसीवर दिल्ली में अल शिफा नाम की एक मेडिकल टूरिज्म कंपनी के जरिए बाकी चीजों का इंतजाम करवाते थे. जून महीने में भी पुलिस में तीन बांग्लादेशी नागरिकों को इस मामले में गिरफ्तार किया था. अपराध शाखा की पुलिस विस्तृत छानबीन में जुटी है.
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