September 19, 2024
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देश को अलर्ट किया गया! कोरोना जैसी एडवाइजरी जारी!

देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अधिकारी चिंता में पड़ गए हैं. लोगों को जागरूक किया जा रहा है. बागडोगरा समेत भारत के सभी हवाई अड्डों पर अधिकारियों की भाग दौड़ बढ गई है. अधिकारी विशेष रूप से सतर्क हैं और बाहर से आने वाले हवाई यात्रियों पर नजर रख रहे हैं. दिल्ली में पहला मामला आने के बाद सरकार की भी चिंता बढ़ गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशों का ध्यान रखते हुए केंद्र सरकार ने कोरोना जैसी एडवाइजरी जारी कर दी है.

हालांकि यह कोई नया वायरस नहीं है. लेकिन इसका स्ट्रेन नया है. अमेरिका, अफ्रीका जैसे देशों में यह महामारी का रूप लेता जा रहा है. दिल्ली में जो पहला मामला सामने आया है, वह व्यक्ति संक्रमित देशों से यात्रा करके आया है. फिलहाल आइसोलेशन में है.उसकी हालत स्थिर है. उसे कोई अन्य बीमारी नहीं है. इस वायरस का नाम Mपाक्स है. हालांकि जुलाई 2022 में यह वायरस भारत में आया था. लेकिन जो नया स्ट्रेन आया है, वह इससे थोड़ा गंभीर है. उस समय 22 मामले दर्ज किए गए थे.

केंद्र सरकार ने Mपॉक्स के नए स्ट्रेन की गंभीरता को देखते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक नई एडवाइजरी जारी की है. अधिकारियों से कहा गया है कि वे लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करें और संक्रमण से बचाव के उपाय बताएं. हालांकि सरकार ने कहा है कि लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. यह एडवायजरी ऐसे समय में जारी की गई है, जब Mpox का नया स्ट्रेन दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है. इसके चलते WHO को दूसरी बार इसे इमरजेंसी घोषित करना पड़ा है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वायरस को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था. इसे ग्रेड 3 इमरजेंसी के रूप में भी घोषित किया है. इसका मतलब यह है कि उस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है. आपके मन में यह उत्सुकता हो रही होगी कि आखिर इस वायरस के लक्षण क्या है और यह कैसे फैलता है. इससे बचा कैसे जा सकता है. इस वायरस के लक्षण कमोबेश ऐसे हैं, जैसे चेचक. चेहरे, हाथ, पैर अथवा शरीर के किसी भी भाग में फुंसी के रूप में यह नजर आ सकता है. इसमें मवाद हो सकता है. इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति को सर दर्द, खुजली, मांसपेशियों में दर्द इत्यादि हो सकते हैं.

Mपॉक्स एक वायरल इंफेक्शन है. यह मंकी pox के वायरस के कारण होता है. Mपॉक्स को पहले मंकी पॉक्स ही कहा जाता था. वैज्ञानिकों ने 1958 में बंदरों की प्रजाति में इस वायरस को पाया था. इसका संक्रमण उन व्यक्तियों में हो सकता है, जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं. यह एक तरह का सीधा संपर्क है. मध्य और पश्चिम अफ्रीका में संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से यह फैल सकता है. संक्रमित होने के बाद व्यक्ति में लक्षण 3 से 21 दिनों मे उभरने लगते हैं. हालांकि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है.परंतु एक टीका लगाने से संक्रमण को पनपने से रोका जा सकता है.

हालांकि यह कितना प्रभावी है, इस बारे में बताना कठिन है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ टीकों की अनुशंसा जरूर की है. टीके लगाने के बाद इम्यूनिटी लौटने में वक्त लग सकता है. इस वायरस से बचाव का एकमात्र उपाय वायरस की रोकथाम है. संक्रमित व्यक्ति अथवा संक्रमित व्यक्ति के इस्तेमाल किए गए सामानों से दूर रहकर ही बचाव किया जा सकता है.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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