एक तो घने कोहरे और धुंध के कारण रेलगाड़ियां विलंब से चल रही हैं. कई रेल गाड़ियां स्थगित भी की जा चुकी है. ऊपर से इसी समय ग्रेटर कूचबिहार पीपुल संगठन का रेल रोको आंदोलन शुरू हो चुका है, जिसके फल स्वरुप एनजेपी गुवाहाटी रेल मार्ग पर रेल यातायात व्यवस्था चरमरा गई है. पूर्वोत्तर सीमा रेलवे ने आंदोलनकारियों के आंदोलन और धरना प्रदर्शन को देखते हुए कई ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तन किया है. जबकि कई ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है. रद्द की गई रेलगाड़ियों में न्यू जलपाईगुड़ी गुवाहाटी वंदे भारत एक्सप्रेस भी शामिल है.
आपको बताते चलें कि कूचबिहार में ग्रेटर कूचबिहार पीपल्स संगठन ने अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है. 8 साल पहले इस संगठन ने कूचबिहार को अलग राज्य के रूप में मान्यता देने के लिए आंदोलन शुरू किया था. लेकिन तब यह आंदोलन ज्यादा समय तक नहीं चला था. एक बार फिर आंदोलनकारी जैसे करो या मरो की तर्ज पर आंदोलन में कूद पड़े हैं. अलग राज्य की मांग को लेकर पहले से ही कूचबिहार जिला शासक कार्यालय में ग्रेटर कूचबिहार पीपल्स संगठन और केएसडीसी नामक दो संगठनों के कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है.
ग्रेटर कूचबिहार पीपल्स संगठन के नेता हैं बंसी बदन बर्मन. इस नेता का इस क्षेत्र में व्यापक प्रभाव है और उनके कार्यकर्ताओं की संख्या भी अच्छी खासी है. बंसी बदन अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ आसाम बंगाल सीमा पर जुराई रेलवे स्टेशन पर धरने पर बैठ गए. बंसी बदन बर्मन ने बताया कि केंद्र सरकार हमारी मांगों को सुने और हमें न्याय दिलाए. अगर सरकार ने हमारी मांगों पर विचार नहीं किया तो हमारा रेल लोको आंदोलन अनिश्चितकाल तक चलता रहेगा. पुलिस आंदोलनकारियों को तितर बितर करने की कोशिश कर रही है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आंदोलनकारियों के आंदोलन को रोकने की पुलिस कोशिश कर रही है. लेकिन आंदोलनकारी डटे हुए हैं. उनके आंदोलन के कारण अधिकतर रेल गाड़ियां न्यू कूच बिहार और न्यू अलीपुरद्वार स्टेशनों के बीच फंसी हुई है. बंसी बदन बर्मन ने अपने आंदोलन को पॉजिटिव बताते हुए कहा कि 1950 में जब भारतीय संधि के अनुसार कूचबिहार को पश्चिम बंगाल का एक जिला माना गया था. कूच बिहार के विकास पर कई समझौते किए गए. इनमें कूच विहार निवासियों का विकास भी शामिल था. कूच बिहार को किसी राज्य के रूप में मान्यता देकर ही यहां विकास किया जा सकता है. लेकिन आजादी के इतने साल बाद भी केंद्र सरकार ने कूच बिहार के विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया. यही कारण है कि उन्हें मजबूर होकर आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ा है.
आज से इस भाग में रेल रोको आंदोलन शुरू हो चुका है. बंसी बदन बर्मन के कार्यकर्ता असम बंगाल सीमा पर स्थित जुराई रेलवे स्टेशन पर रात से ही धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. आज सुबह होते ही यह सभी कार्यकर्ता रेलवे ट्रैक पर बैठ गए और हाथों में बैनर और पोस्टर लेकर नारेबाजी करनी शुरू कर दी. आंदोलनकारियों के धरना प्रदर्शन को देखते हुए रेलवे स्टेशन के आसपास सुरक्षा बलों और पुलिस का जमावड़ा लगा है. पुलिस अधिकारी आंदोलनकारियों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें आंदोलन से रोक रहे हैं. लेकिन आंदोलनकारी सरकार से बात करना चाहते हैं.
आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक सरकार अथवा सरकार के प्रतिनिधि उनकी मांगों पर विचार नहीं करेंगे, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. आंदोलनकारी नेता ने कहा कि पुलिस अपना काम कर रही है. हम अपना काम कर रहे हैं. जब तक सरकार हमारी मांगों पर गौर नहीं करती, तब तक हमारा रेल रोको आंदोलन चलता रहेगा. हम आशावादी हैं.हमें उम्मीद है कि सरकार इस पर ध्यान देगी.
आंदोलनकारियों के विरोध प्रदर्शन के चलते पूर्वोत्तर सीमा रेलवे के गुवाहाटी जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि कई ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है. जबकि बंगाल से आसाम जाने वाली कई ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तन किया गया है. मुख्य जनसंपर्क अधिकारी के के शर्मा के अनुसार न्यू जलपाईगुड़ी गुवाहाटी वंदे भारत एक्सप्रेस और बंगाईगांव न्यू जलपाईगुड़ी एक्सप्रेस को रद्द कर दिया गया है. जबकि डिब्रूगढ़ नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस, आनंद विहार अरुणाचल एक्सप्रेस, नई दिल्ली एक्सप्रेस और कामाख्या राजेंद्र नगर एक्सप्रेस को मार्ग बदलकर चलाया जा रहा है.
उपरोक्त के अलावा 15657 अप ब्रह्मपुत्र मेल, 15959 अप कामरूप एक्सप्रेस, 20503 डाउन राजधानी एक्सप्रेस, 22449 डाउन गुवाहाटी नई दिल्ली एक्सप्रेस, 22411 डाउन नहर लगून आनंद विहार अरुणाचल एक्सप्रेस, 22503 डाउन विवेक एक्सप्रेस, 13247 डाउन कामाख्या राजेंद्र नगर कैपिटल एक्सप्रेस और 12423 डाउन राजधानी एक्सप्रेस का मार्ग बदला गया है. इससे यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है. बहरहाल देखना होगा कि अनिश्चितकालीन रेल रोको आंदोलन को लेकर रेलवे और सरकार का क्या रुख रहता है. उधर आंदोलनकारी अपनी एक मांग पर डटे हुए हैं. कूचबिहार को अलग राज्य की मान्यता दी जाए. बीच का रास्ता क्या होता है, यह देखने वाली बात होगी.
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