सिंडिकेट राज केवल सिलीगुड़ी के लिए ही नहीं बल्कि पहाड़ जैसे दार्जिलिंग, कालिमपोंग, सिक्किम, गंगटोक और Dooars इत्यादि सभी जगह के लिए एक प्रमुख समस्या बनती जा रही है. हर जगह सिंडिकेट राज चलता है और वाहन चालकों की मजबूरी है कि वह सिंडिकेट के विरुद्ध नहीं जा सकते हैं, अन्यथा उन्हें गाड़ी चलाना मुश्किल हो जाएगा. अगर सिलीगुड़ी से भी कोई टैक्सी ड्राइवर पहाड़ में जाता है तो उसे वहां भी दादागिरी टैक्स देना पड़ता है. सिंडिकेट राज के अधीन ही टैक्सी चालक भाड़ा कमाई कर सकते हैं.
सिलीगुड़ी में बहुत से सिंडिकेट हैं. नौकाघाट से लेकर सेवक मोड, हाशमी चौक समेत दर्जनों सिंडिकेट काम कर रहे हैं. लेकिन इन सिंडीकेट की तो बात ही छोड़िए. एनजेपी के सिंडिकेट की तो बात ही कुछ अलग है. काफी समय से यहां सिंडिकेट की मनमानी चल रही है. वाहन चालक मजबूर हैं. यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने, ले जाने का काम वाहन चालक करते हैं. एनजेपी रेलवे स्टेशन सिलीगुड़ी का प्रमुख स्टेशन है, जहां ट्रेन पकड़ने के लिए पहाड़, समतल और Dooars से पर्यटक या यात्री पहुंचते हैं. अथवा एनजेपी स्टेशन से ही पर्यटक या यात्री वाहनों के द्वारा गंतव्य स्थल को जाते हैं.
जैसे ही एनजेपी स्टेशन से कोई रेल यात्री बाहर आता है, तब बहुत से वाहन चालक उसकी तरफ लपकते हैं. अगर किसी को गंगटोक, कालिमपोंग, दार्जिलिंग अथवा कहीं भी जाना हो, टैक्सी चालक तुरंत तैयार हो जाते हैं. यात्री से भाड़ा तय होता है. अगर किसी यात्री अथवा पर्यटक ने किसी टैक्सी को ₹6000 में गंतव्य के लिए बुक कराया है, तो यह मत समझिए कि यह पूरा पैसा ड्राइवर को जाता है. चालकों को बुकिंग राशि में से कुछ भाग वहां के तथाकथित सिंडिकेट को देना पड़ता है. यह कैसा सिंडिकेट है, सरकारी है या गैर सरकारी है. इसकी उपयोगिता क्या है? इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. परंतु कहा जा रहा है कि सिंडिकेट का मकसद वाहन चालकों से वसूली करना होता है, जो ₹200 से लेकर ₹500 तक भी हो सकता है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पहाड़ अथवा समतल या Dooars का कोई टैक्सी चालक एनजेपी स्टेशन परिसर में गाड़ी पार्किंग में लगाता है तो चालक से न्यूनतम ₹200 प्रति गाड़ी के हिसाब से वसूला जाता है. यह पैसा किसके खाते में जाता है, यह कोई नहीं जानता है. कोई कानूनी प्रावधान भी नहीं है. फिर भी वाहन चालक को ₹200 प्रति गाड़ी के हिसाब से भुगतान करना पड़ता है. कभी-कभी अगर पहाड़ का अथवा अंजान वाहन चालक यात्री लेकर एनजेपी पहुंचता है तो सिंडिकेट के लोग उससे जबरदस्ती ज्यादा रकम वसूल करते हैं. पिछले दिनों सिक्किम के एक ड्राइवर के साथ कुछ लोगों द्वारा बदसलूकी का एक वीडियो वायरल भी हुआ था.
सिक्किम का एक चालक वहां के एक होटल से पर्यटकों को लेने गया था. आरोप है कि एनजेपी में उससे रूपयों की मांग की गई. जब चालक ने रुपए देने से मना कर दिया तो उसे यहां के कुछ लोगों ने विभिन्न तरीके से उसे परेशान किया, जिसका वीडियो आप देख सकते हैं. हालांकि इस घटना के बाद सिक्किम के वाहन चालकों ने एनजेपी थाने में शिकायत दर्ज की और थाने का घेराव भी किया. अंततः चर्चा है कि एन जे पी पुलिस ने मामला दर्ज करके एक व्यक्ति को इस मामले में गिरफ्तार किया है. पहाड़ के कई चालक अपनी-अपनी समस्या बता रहे हैं. ऐसा कोई व्यक्ति नहीं, जो एनजेपी सिंडिकेट की मनमानी से परेशान नहीं है. सिक्किम, दार्जिलिंग गंगटोक आदि के विभिन्न चालकों ने मीडिया के सामने अपनी अपनी परेशानी का इजहार किया और एक स्वर से मांग की कि भविष्य में इस तरह की कोई घटना ना हो, यह सुनिश्चित किया जाए.
जातिया वादी टैक्सी और प्राइवेट कार ड्राइवर यूनियन, एनजेपी के सभापति उदय साहा कहते हैं कि उन्हें इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. लेकिन एक वीडियो वायरल हुआ है. उन्हें नहीं लगता कि यह वीडियो एनजेपी का है. उदय साहा ने बताया कि मैं इस बात से इनकार नहीं कर रहा हूं कि इस तरह की कोई घटना नहीं घटी है. परंतु यह समस्या केवल एनजेपी की ही नहीं है, बल्कि पहाड़ में भी चालकों को ऐसी समस्या का सामना करना पड़ता है. चालक से वहां भी दो-दो सौ रु वसूल किए जाते हैं. पहाड़ के चालकों ने भी इस बात से इनकार नहीं किया है. लेकिन उन्होंने कहा कि सिलीगुड़ी में दादागिरी टैक्स ज्यादा देना पड़ता है. जबकि पहाड़ में कुछ नियम होते हैं और उन नियमों के तहत चालक को भुगतान करना होता है. उन्होंने कहा कि वायरल वीडियो की मैं इस घटना की निंदा करता हूं. उन्होंने कहा कि इस घटना में उनके संगठन के किसी भी व्यक्ति का हाथ नहीं हो सकता है.
जो भी हो, रेलवे प्रशासन, पुलिस और नागरिक प्रशासन को इस तरफ ध्यान देना चाहिए. अगर किसी पर कोई अत्याचार हो रहा है तो इसका विरोध किया जाना चाहिए. सिंडिकेट की समस्या दिनों दिन वाहन चालकों और परोक्ष रूप से सामान्य नागरिकों के लिए सर दर्द बनती जा रही है. इससे बाहर से सिलीगुड़ी अथवा पहाड़ में आने वाले पर्यटकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और वे मन में यहां की खराब छवि लेकर लौटते हैं. अगर पहाड़ के चालकों की कोई समस्या है तो उसका समाधान होना चाहिए. इसी तरह से समतल के किसी चालक की पहाड़ में कोई समस्या आती है, तो उसका भी समाधान होना चाहिए. विभिन्न चालक संगठनों जैसे सिलीगुड़ी, बागडोगरा अथवा पहाड़ के ड्राइवर यूनियन को इसमें हस्तक्षेप करके और बैठक कर आपस में समन्वय स्थापित करने की कोशिश करनी चाहिए.
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