इस समय दार्जिलिंग, Dooars और तराई के क्षेत्रों में जल जीवन मिशन के तहत हर घर जल परियोजना के अंतर्गत पाइप बिछाने और टैंक निर्माण और इंस्टॉलेशन का काम चल रहा है. समतल के साथ-साथ पहाड़ में भी यह काम जोरों पर चल रहा है. इसी बीच दार्जिलिंग और कालिमपोंग में चल रही परियोजना के तहत निर्माण कार्यों में लापरवाही से लेकर भ्रष्टाचार का आरोप दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू विष्ट ने लगाया है और इसकी जांच की मांग को लेकर केंद्रीय मंत्री सी आर पाटील से मुलाकात की है.
इस समय सांसद राजू विष्ट अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों की समस्याएं संसद में उठा रहे हैं. उन्होंने इससे पहले दार्जिलिंग, कालिमपोंग और उत्तर दिनाजपुर जिलों में ई-श्रम पोर्टल और पीएम श्रम योगी मान धन योजना में पंजीकृत श्रमिकों की संख्या के बारे में सवाल उठाया था और इसमें पता चला कि दार्जिलिंग से 2.79 लाख श्रमिक, कालिमपोंग से 51.4 हजार श्रमिक और उत्तर दिनाजपुर से 9.7 लाख श्रमिक ई-श्रम योजना के तहत पंजीकरण करा चुके हैं.
वास्तव में ई-श्रम असंगठित श्रमिकों के लिए विभिन्न सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं तक पहुंच बनाने हेतु वन स्टॉप सॉल्यूशन है, जिसे श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा 21 अक्टूबर 2024 को लांच किया गया था. ई-श्रम को राष्ट्रीय करियर सेवा पोर्टल के साथ एकीकृत किया गया है. असंगठित क्षेत्र के श्रमिक अपने यूनिवर्सल अकाउंट नंबर का उपयोग करके एनसीएस पर पंजीकरण कर सकते हैं और उपयुक्त नौकरी के अवसर तलाश कर सकते हैं.
सांसद राजू बिष्ट ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटील से मुलाकात कर उन्हें पहाड़ में चल रही जल जीवन मिशन योजना, हर घर जल में राज्य सरकार की बेरुखी, लापरवाही और घटिया क्वालिटी का मुद्दा उठाया. उन्होंने केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया कि जल्द ही एक केंद्रीय टीम इसकी जांच करने के लिए भेजी जाए, ताकि पहाड़ के लोगों को बरसात और भूस्खलन के समय जल को लेकर किसी अन्य मुसीबत का सामना करना न पड़े.
सांसद राजू बिष्ट ने कहा कि पहाड़ में केवल पाइप बिछाने और टैंक का निर्माण करने पर ही फोकस किया जा रहा है. जबकि उन इलाकों में उचित जल स्रोतों का पूर्णतया अभाव है. उन्होंने दावा किया कि बहुत सी परियोजनाओं की डीपीआर में जल संसाधनों की कोई पहचान ही नहीं की गई है. परंतु पाइप बिछाने और टैंक निर्माण का काम चल रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि इन इलाकों में प्लास्टिक पाइप का जीवन लंबा नहीं होता है. फिर निर्माण कार्यों में घटिया क्वालिटी का प्रयोग हो रहा है. ऐसे में मानसून के समय यह नष्ट हो सकता है. उन्होंने जोर देकर कहा है कि पहाड़ी इलाकों में इस तरह की परियोजनाओं के लिए कुशल इंजीनियरिंग की आवश्यकता होती है. क्योंकि यहां मानसून के समय में लगातार बारिश और भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है.
सांसद राजू बिष्ट ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल सरकार और वन विभाग ऐसी जल परियोजनाओं के लिए सही तरीके से मॉनिटरिंग नहीं कर रहा है. उन्होंने केंद्रीय मंत्री से मांग की है कि जल्द से जल्द वहां केंद्रीय टीम भेज कर सच्चाई का पता लगाया जाए और उचित तरीके से हर घर जल परियोजना के लिए काम किया जाए. राजू बिष्ट की बात सुनने के बाद केंद्रीय मंत्री ने उन्हें भरोसा दिया कि जल्द ही एक केंद्रीय टीम पूरे मामले की जांच के लिए पहाड़, Dooars और तराई क्षेत्र में जाएगी. आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर इस योजना के लिए 67000 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं.