अब सिलीगुड़ी के वे लोग अपनी आदत से बाज आ जाएं, जब वे राह चलते, सार्वजनिक स्थानों, सड़कों, सरकारी संस्थानों और पार्कों में इधर-उधर पान की पीक और गुटखा थूकते रहते हैं. कुछ वर्ष पहले तक स्थिति ज्यादा खराब थी. जो भी नई इमारत अथवा सड़क तैयार हो जाती थी, दो-चार दिनों में ही ऐसे लोग थूक थूक कर उसे गंदा कर देते थे. साफ सफाई के लिए एक कर्मचारी को रखना पड़ता था. यह स्थिति सिलीगुड़ी के सरकारी दफ्तरों, विद्यालयों और प्रशासनिक भवनों में ज्यादा नजर आती थी.
अब स्वच्छता के प्रति लोगों में आई जागरूकता ने सूरते हाल में बदलाव जरूर लाया है. परंतु आज भी अपनी आदत से मजबूर लोगों खास कर नौजवानों की कोई कमी नहीं है, जो सार्वजनिक स्थानों, पार्क, सड़क आदि को कूड़े की जगह मानकर पान मसाला गुटखा और पान की पीक थूकते रहते हैं. लेकिन अब ऐसे लोगों को सावधान हो जाने की जरूरत है. अगर आपने अपनी आदत नहीं छोड़ी तो इसके लिए कम से कम ₹1000 का जुर्माना भरना पड़ सकता है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फरमान जारी कर दिया है और जल्द ही पुराने कानून में थोड़े बदलाव के बाद इसे सख्ती से लागू कर दिया जाएगा.
10 फरवरी से पश्चिम बंगाल का बजट सत्र शुरू हो रहा है. सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार इस सत्र में नया कानून लाया जा रहा है, जहां ऐसे लोगों के लिए भारी जुर्माने का प्रावधान रखा जा रहा है, जो सार्वजनिक स्थानों पर पान की पीक और गुटखा थूकते रहते हैं. राज्य सचिवालय में इस संबंध में हुई एक बैठक में फैसला किया जा चुका है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद कई बार इस स्थिति का सामना किया है और यही कारण है कि वह स्वच्छता पर ध्यान दे रही है. हालांकि जुर्माने की राशि क्या होगी, यह तो पता नहीं. पर सूत्र बता रहे हैं कि कम से कम ₹1000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
ऐसा नहीं है कि पश्चिम बंगाल में सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से रोकने का कानून नहीं है. पश्चिम बंगाल सार्वजनिक स्थानों पर थूकना निवारण अधिनियम 2003 राज्य में लागू है. लेकिन इस कानून का कभी पालन नहीं किया गया या लोगों में इस कानून का कोई खौफ नहीं है. यह कानून सिर्फ दिखावे के लिए है. इस कानून के तहत अगर आप पब्लिक प्लेस पर थूकते हैं तो अधिकतम ₹200 का जुर्माना लगाया जा सकता है. अब राज्य सरकार नए कानून को व्यावहारिकता और सख्ती के साथ लागू करना चाहती है.
वास्तव में राज्य सरकार लोगों खासकर गुटखा और पान पान चबाने वाले तथा जगह-जगह थूकने वाले लोगों की आदत को सुधारना चाहती है. अगर जुर्माने की राशि ज्यादा होगी तथा उसे व्यावहारिक रूप से लागू किया जाएगा तो लोग अपनी आदत से बाज आएंगे. क्योंकि बढी जुर्माने की राशि देना उनके लिए आसान नहीं होगा. पर एक बार फिर से सवाल वही आता है कि क्या संबंधित एजेंसियां ऐसे कानून को प्रभावी ढंग से लागू कर पाएंगी? क्योंकि यह स्पष्ट है कि यहां संसाधनों की भारी कमी है.
कौन कहां थूक रहा है, उस पर निगरानी रखने के लिए कर्मचारियों की संख्या बढ़ानी होगी. संसाधनों का विकास करना होगा. जो वर्तमान परिवेश में संभव नहीं लगता है. बेहतर होता कि सरकार कानून के साथ-साथ इस संबंध में पूरे राज्य में लोगों में जागरूकता लेकर आती. सिलीगुड़ी में स्थानीय शासकीय इकाई, सिलीगुड़ी नगर निगम और पुलिस प्रशासनिक स्तर पर इस तरह का अभियान चलाए तो पूरे शहर में स्वच्छता का माहौल बनेगा और गंदी आदत वाले लोगों को अपनी आदत सुधारने का अवसर मिलेगा.
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