”आस्था पर किसी का जोर नहीं चलता जहां आस्था होती है वहां राजा और रंक एक ही कतार पर खड़े मिलते हैं’ और महाकुंभ में आने वाले लोगों के लिस्ट को देखे तो यह बात साबित भी हो जाएगी | महाकुंभ एक ऐसा पवित्र स्थान है जहाँ बड़ी-बड़ी हस्तियों के साथ साधारण लोगों ने डुबकी लगाई है | 13 जनवरी से शुरू हुए इस महाकुंभ में लगभग अब तक 45 करोड़ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगा ली है | कभी महाकुंभ में भगदड़ की घटना घटित होती है तो कभी अग्निकांड की घटना, फिर भी यहां पहुंचने वाले लोग आस्था से इतनी परिपूर्ण है कि, उन पर इन सभी घटनाओं का कोई असर नहीं हो रहा, वे बस किसी भी तरह से इस पवित्र स्थल पर डुबकी लगाना चाहते हैं |
देश के प्रधानमंत्री भी हाथों में रुद्राक्ष की माला लेकर यहां डुबकी लगा चुके हैं और बीते कल ही राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू ने भी यहां डुबकी लगाने के बाद सूर्य देव को नमन किया था | सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तामांग जैसे देश के कई मुख्यमंत्रियों ने भी यहाँ डुबकी लगाई, मेरीकॉम,राजकुमार राव, पत्रलेखा, नीना गुप्ता, संजय मिश्रा, पंकज त्रिपाठी, क्रिस मार्टिन, डकोटा जॉनसन, पूनम पांडे और मिलिंद सोमन सहित कई सेलेब्स महाकुंभ आ चुके हैं।
13 जनवरी से शुरू हुए इस महाकुंभ में 11 फरवरी सुबह 8 बजे तक लगभग 45 करोड़ लोगों ने आस्था की डुबकी लगा ली थी | इन 45 करोड़ लोगों में उन लोगों की संख्या ज्यादा है जिनके लिए यह महाकुंभ की यात्रा इतनी आसान नहीं, बस और ट्रेनों में खचाखच भर लोगों की दशा देखकर हृदय भी पसीज जाता है, क्योंकि इन खचाखच भरी ट्रेनों में हवा तक घुसने की जगह नहीं होती और लोग चावल की बोरियों की तरह यहां भरे पड़े हैं |
यह वीडियो एक दर्शक द्वारा भेजी गई है, जो खुद भी सिक्किम महानंदा एक्सप्रेस से महाकुंभ की यात्रा कर रहे हैं और इस ट्रेन में लोग खचाखच भरे हुए हैं | लोगों को बैठने की जगह तक नहीं मिल रही है, लोगों को देखकर ट्रकों में भरे गए चावलों की बोरियों की याद आ रही है, जो बस किसी तरह ट्रकों में लाद दिए जाते हैं, लेकिन ट्रकों में भरने वाले तो वो चावल की बोरियां होती है लेकिन जिस तरह से सिक्किम महानंदा एक्सप्रेस में लोग खचाखच भरे पड़े हैं, यह इंसान है जो जीवित है, लेकिन आस्था में वे इतनी लीन हो चुके हैं कि,उन्हें किसी सुविधा और असुविधा से अब फर्क नहीं पड़ता, बात करें एडजस्टमेंट की तो एडजस्टमेंट भी एक हद तक की जाती है, लेकिन इन यात्रियों को देखकर तो ऐसा लगता है बस इन्हें किसी भी तरह महाकुंभ पहुंचना है और यह सच भी है |
शायद इस ट्रेन में ऐसे यात्री भी सवार है, जो कभी किसी के लिए एडजस्टमेंट नहीं करते, लेकिन आज शायद अपनी एक सीट के लिए भी उन्हें जादोजहत करनी पड़ रही है और एक दूसरे का सहयोग भी, इसे आस्था नहीं तो क्या कहें, या महाकुंभ की आस्था ही तो है जहां लोगों को इतने भीड़ में भी एक दूसरे के साथ जोड़े हुए है |
यह सिर्फ एक ट्रेन की हालत नहीं महाकुंभ जाने वाली सभी ट्रेनों का दृश्य इसी तरह ही नजर आ रहा है, चाहे बस हो या ट्रेन महाकुंभ के यात्रियों से खचाखच भरी मिल रही है और समय के साथ भीड़ बढ़ने की आशंका जताई जा रही है |
लोगों की समस्या यहीं समाप्त नहीं होती जैसे ही प्रयागराज शुरू होता है उसके बाद वहां से शुरू होती है श्रद्धालुओं के अग्नि परीक्षा, क्योंकि यहां घंटों तक लोगों को जाम में फसना पड़ता है जाम भी इतना कि उसे नियंत्रित करने के लिए प्रशासन के हाथ पैर फूल जाते हैं | वहीं बात करें शाही स्नानो की तो मकर संक्रांति के दिन 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने तो मौनी अमावस्या के दिन 8 करोड़ श्रद्धालुओं ने और बसंत पंचमी के दिन 2.75 करोड़ श्रद्धालुओं ने यहां डुबकी लगाई, लेकिन लोगों की भीड़ शाही स्नानों के बाद भी कम नहीं हो रही है | लगातार श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं बता दे की 12 और 26 फरवरी को विशेष तैयारी की गई है माघ पूर्णिमा और शिवरात्रि में महाकुंभ के लिए विशेष ट्रेनों का संचालन करने की घोषणा की गई है, महाकुंभ का समापन 26 फरवरी को शिवरात्रि स्नान के साथ होगा और 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा का स्नान है, इसके लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है, विशेषकर प्रशासन 12 फरवरी माघ पूर्णिमा को लेकर अलर्ट है, वह हर तरह से भीड़ को काबू करने के लिए सचेत है | माघ पूर्णिमा को लेकर भी विशेष कर ट्रेनों में लोगों की जबरदस्त भीड़ देखने को मिल रही है |
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