ऐसा नहीं है कि केवल सिलीगुड़ी में ही फर्जी सिम कार्ड के मामले सामने आ रहे हैं. बल्कि धीरे-धीरे पूरे बंगाल में फर्जी सिम कार्ड का रैकेट फैल रहा है. कोलकाता में तो 3400 फर्जी सिम कार्ड पुलिस ने जब्त किए हैं. सिलीगुड़ी में पुलिस ने एक व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया है. रैकेट के अन्य लोगों की पुलिस तलाश कर रही है. जिस तरह से साइबर अपराध के मामले बढ़ते जा रहे हैं, उसके पीछे जो कुछ सच्चाई सामने आ रही है, उसके बाद पुलिस लोगों को सावधान कर रही है.
पुलिस के लिए रैकेट के सदस्यों तक पहुंचना आसान भी नहीं है. क्योंकि ऐसे लोग बहुत सावधानी से अपने कार्य को अंजाम देते हैं. ऐसे लोग अक्सर उन्हीं इलाकों मे जाते हैं, जहां लोग कम पढ़े लिखे होते हैं.इनमें महिलाएं जल्दी उनके प्रलोभन में आ जाती हैं. कोलकाता पुलिस ने इस धंधे में शामिल एक ऐसी महिला को गिरफ्तार किया है, जो कोलकाता के बस्ती क्षेत्रों में घूमती रहती थी. सुबह ही घर से निकल जाती थी और देर रात को घर लौटती थी. समय-समय पर वह किराए का मकान भी बदलती रहती थी. इस महिला तक पहुंचना पुलिस के लिए आसान नहीं था. इसके लिए कई एजेंसियों से पुलिस को मदद लेनी पड़ी थी.
सिलीगुड़ी में पुलिस ने जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया था, उसे देखकर कोई विश्वास नहीं कर सकता था कि यह साइबर अपराधियों का साथी हो सकता है. आरोपी रोजाना साइकिल से घूमता था और बस्ती क्षेत्र में जाकर भोली भाली महिलाओं को ठगता रहता था और उनका फिंगरप्रिंट, आधार कार्ड ,पहचान पत्र चुपके से ले लेता था. सिलीगुड़ी मेट्रो पॉलिटन पुलिस अभी कई लोगों की तलाश कर रही है .कोलकाता में तो इस कार्य में लिप्त कई व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जा चुका है तथा उनसे पूछताछ की जा रही है.
पुलिस बताती है कि ऐसे सिम कार्ड का इस्तेमाल डिजिटल अरेस्ट, लोन के नाम पर धोखाधड़ी और हैकिंग आदि साइबर अपराधों को अंजाम देने के लिए किया जाता था. बहुत से लोग ग्राहकों के दस्तावेज चुरा लेते हैं अथवा उनके फर्जी दस्तावेजों के जरिए मोबाइल सिम का डमी तैयार कर लेते हैं. फिर फर्जी सिम साइबर ठगों को बेच देते हैं. इसमें उन्हें अच्छी खासी आमदनी हो जाती है. पुलिस ने एक ऐसी महिला को गिरफ्तार किया है, जो ठेला लगाकर बस्ती क्षेत्रों में अपना धंधा करती थी.
ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह के लोग ज्यादा सक्रिय होते हैं. जहां ग्रामीण स्त्री पुरुषों से केवाईसी दस्तावेज प्राप्त करना आसान हो जाता है. विभिन्न दस्तावेजों और डिटेल्स की मदद से सिम कार्ड प्राप्त करना आसान है. एक बार वेरीफाइड होने के बाद सिम कार्ड मिलने के बाद उसे बेचने के लिए धंधे बाज अपने टेलीग्राम चैनल की मदद लेते हैं. सूत्र बताते हैं कि ऐसे लोगों की पहुंच केवल बंगाल में ही नहीं बल्कि बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली आदि विभिन्न प्रदेशों में संचालित साइबर ठगों से उनके संपर्क रहते हैं. धंधेबाज अपने घर में गोपनीय रूप से ठगी के बहुत से उपकरण रखते हैं. जिनमे बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण उपकरण आदि शामिल है.
इस खबर के जरिए खबर समय सिलीगुड़ी और आसपास के सभी लोगों को सावधान करता है कि आपके नजदीकी क्षेत्र में अगर इस तरह के धंधेबाज हो और आपको व्यक्ति पर संदेह हो तो तुरंत पुलिस को सूचित करें. समय से पुलिस को सूचना देने पर आप सुरक्षित रहेंगे. दूसरों को भी सुरक्षित होने में सहयोग करेंगे. सिम कार्ड की आवश्यकता हो तो केवल अधिकृत दुकानों में ही जाएं और अपने सामने सारी प्रक्रियाएं पूरी करें अन्यथा सस्ते के चक्कर में आपका काफी नुकसान हो सकता है. इसके अलावा समुदाय और समाज को भी भारी नुकसान हो सकता है.