सिलीगुड़ी के पान मसाले का एक प्रमुख व्यापारी सिलीगुड़ी से परिवार समेत गायब हो गया है. उसके खिलाफ वारंट जारी किया गया है. आखिर पूरा मामला क्या है? व्यापारी के खिलाफ वारंट क्यों जारी किया गया? इसकी पृष्ठभूमि जानना जरूरी है. टैक्स की चोरी कोई नई बात तो है नहीं. हालांकि जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स की चोरी करना आसान नहीं है. फिर भी कुछ लोग टैक्स चोरी करने के नए-नए तरीके ढूंढ ही लेते हैं. उधर इस पर नजर रखने वाले अधिकारी भी ऐसे व्यापारियों की टोह में रहते हैं, जो टैक्स चोरी के लिए नए-नए हथकंडे अपनाते रहते हैं.
सिलीगुड़ी के आरोपी व्यापारी का नाम बृजेश कुमार चौरसिया है. वह सिलीगुड़ी के 41 नंबर वार्ड स्थित ज्योति नगर के जिला परिषद रोड इलाके के निवासी हैं. उनका मुख्य कारोबार पान मसाले का है. उनके व्यापारिक संस्थान सिलीगुड़ी के खालपाड़ा और मालदा में स्थित है. बृजेश कुमार चौरसिया पर आरोप है कि उन्होंने आईटीसी पास ऑन के माध्यम से केंद्र सरकार के खजाने को 44 करोड रुपए का चूना लगाया है. इस मामले के सामने आने के बाद बृजेश कुमार चौरसिया अपने पूरे परिवार के साथ लापता हो गए हैं.
सीजीएसटी अधिकारियों की विभागीय जांच में कई बातें सामने आई है. इसके अनुसार बृजेश कुमार चौरसिया की फर्म में माल की खरीदारी और बिक्री केवल कागजों तक ही सीमित थी. वास्तव में कोई वस्तु खरीदी ही नहीं जाती थी. ना ही बिक्री की जाती थी. लेकिन फर्जी बिलों के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट यानी आईटीसी क्लेम कर लिया जाता था.
विभागीय जांच में यह भी सामने आया कि इसी तरह की धोखाधड़ी करके चौरसिया ने 44 करोड रुपए का जीएसटी गबन किया था. अधिकारियों ने बताया कि बृजेश कुमार चौरसिया की फाइल में कुछ संदिग्ध लेनदेन हुए थे. जिसके बाद उसकी जांच की गई. जांच में सामने आया कि फर्जी बिलों के आधार पर 44 करोड रुपए का इनपुट रिटर्न उठाया गया था. इस मामले के उजागर होने के साथ ही चौरसिया अपने परिवार समेत लापता हो गए हैं.
सीजीएसटी सिलीगुड़ी के कमिश्नर ने उनके खिलाफ वारंट जारी कर दिया है. सीजीएसटी सिलीगुड़ी के कमिश्नर जितेश नागौरी है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त व्यापारी की तलाश में सिलीगुड़ी सीजीएसटी इकाई विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों की मदद ले रही है. फर्जी बिलों के आधार पर इनपुट रिटर्न का दावा कोई नई बात तो है नहीं. हाल ही में सिक्किम में विभाग के द्वारा की गई छापेमारी में एक ऐसे संस्थान का पता चला, जो वास्तव में था ही नहीं. अधिकारी उसे ढूंढते ही रह गए.
केंद्र सरकार के खजाने में सेंध लगाने के बहुत से तरीके हैं, जिनका इस्तेमाल कुछ व्यापारियों के द्वारा किया जाता है. जैसे फर्जी बिलों के आधार पर इनपुट रिटर्न तो आम बात है, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया का सबसे अधिक दुरूपयोग आईटीसी से जुड़े कुछ व्यापारी करते हैं. ऐसा सूत्रों ने दावा किया.
पिछले कई दिनों से सीजीएसटी सिलीगुड़ी शाखा के द्वारा सिलीगुड़ी से लेकर सिक्किम और उत्तर बंगाल के ऐसे व्यापारियों की धर पकड़ की जा रही है, जिन्होंने सरकार को करोड़ों रुपए का जीएसटी का चूना लगाया है. पिछले दिनों सिक्किम में भी रेड पड़ चुका है. सीजीएसटी सिलीगुड़ी इकाई के अधिकारियों ने सिक्किम में कई स्थानों पर रेड डाला था और इसमें उन्हें कई महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे थे. जिससे पता चलता है कि जीएसटी का चूना लगाने का धंधा सिलीगुड़ी से लेकर उत्तर बंगाल और गुजरात तक चलता है.
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