आखिरकार पहाड़ में गोरखाओं की समस्या के स्थाई समाधान का मार्ग प्रशस्त हो गया है. काफी समय से जिसके लिए गोरखा मांग कर रहे थे, केंद्र सरकार ने उनकी सुन ली है.अब दो अप्रैल को इस संबंध में एक त्रिपक्षीय बैठक होने जा रही है. यह बैठक नई दिल्ली में होगी. दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी है.
आपको बताते चलें कि पहाड़ में काफी लंबे समय से गेरखाओं की समस्या लंबित पड़ी है. 2019 लोकसभा निर्वाचन के समय स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहाड़ के गोरखाओं को आश्वासन दिया था कि उनकी स्थाई राजनीतिक समस्या का समाधान किया जाएगा. लेकिन उसके बाद एक लंबा समय बीत गया. इस संबंध में कोई पहल नहीं की गई. 2021 राज्य विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर से इस मुद्दे पर विचार मंथन शुरू हुआ .
भाजपा सांसद राजू बिष्ट के लगातार प्रयास से वर्ष 2021 के अक्टूबर महीने में इस मुद्दे पर त्रिपक्षीय वार्ता बुलाई गई. परंतु इसमें कुछ कमियों के कारण वार्ता सफल नहीं हो सकी. कभी राज्य सरकार की ओर से तो कभी पहाड़ के राजनीतिक दलों के नेताओं की ओर से अवरोध उत्पन्न किए गए और कुछ मामलों में तकनीकी समस्याएं भी सामने आई थी. इस तरह से यह मामला अधर में लटक गया. इसके लिए राजू बिष्ट को पहाड़ के राजनीतिक दलों के नेताओं के तीखे व्यंग्य वाण का भी सामना करना पड़ा था.
हाल ही में एक बार फिर से यह मुद्दा जीवंत हो उठा है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा चुनाव के दौरान पहाड़ के गोरखाओं को जरूर आश्वासन दिया था कि जल्द ही इस संबंध में एक त्रिपक्षीय बैठक बुलाई जाएगी. इसमें कोई दो राय नहीं है कि इसके लिए दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने अथक परिश्रम किया है. मामले में देरी जरूर हुई है. परंतु राजू बिष्ट को लगता है कि इस बार गोरखाओं की समस्या के स्थाई राजनीतिक समाधान का मार्ग प्रशस्त होगा.
हमारे खबर समय के संपादक श्री संजय शर्मा द्वारा फोन पर राजू बिष्ट के साथ हुए एक संक्षिप्त साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि आगामी 2 अप्रैल को नई दिल्ली में एक त्रिपक्षीय बैठक होने जा रही है, जिसमें पहाड़ के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता राज्य के गृह सचिव, ट्राइबल सचिव, विधायक, सांसद और प्रमुख लोग शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि यह एक उच्च स्तरीय वार्ता होगी. उन्हें पूरा विश्वास है कि केंद्र सरकार पहाड़ के गोरखाओं की दीर्घलंबित मांग और उनकी व्यक्तिगत पहचान को सार्थक बनाने की दिशा में सभी जरूरी कदम उठाएगी.
यह पूछे जाने पर कि क्या यह त्रिपक्षीय वार्ता राज्य विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बुलाई जा रही है? इस पर राजू बिष्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि जब 2021 में त्रिपक्षीय वार्ता हुई थी तो उस समय राज्य में चुनाव नहीं था. चुनाव के बाद यह वार्ता शुरू हुई थी. और अभी जो वार्ता शुरू हो रही है, वह चुनाव के 1 साल पहले हो रही है. इसलिए इसमें कोई राजनीतिक नफा नुकसान का मतलब ही नहीं होता. उन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार पहाड़ के गोरखाओं के हित में काम करना चाहती है. उन्हें पूरा विश्वास है कि इस वार्ता के बाद समाधान का मार्ग प्रशस्त होगा.
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