May 6, 2025
Sevoke Road, Siliguri
लाइफस्टाइल उत्तर बंगाल सिलीगुड़ी

मौत को दावत देते सिलीगुड़ी जंक्शन इलाके के कुछ होटल!

सिलीगुड़ी जंक्शन इलाके में छोटे बड़े अनेक होटल और रेस्टोरेंट स्थित हैं. कुछ लॉज और होटल तो सड़क पर ही मिल जाएंगे, जबकि कई छोटे-मोटे लॉज या होटल संकरी गलियों में स्थित हैं. यहां सरकारी बस डिपो भी है. जहां से पूरे बंगाल और अन्य राज्यों के लिए बसें मिल जाती हैं.सिलीगुड़ी जंक्शन सिलीगुड़ी का प्रसिद्ध रेलवे स्टेशन है. यहां बंगाल के विभिन्न भागों से अथवा दूसरे राज्यों से विशेष प्रयोजन के लिए अक्सर लोग आते रहते हैं. उन सभी का ठिकाना यहां के छोटे बड़े होटल और रेस्टोरेंटनुमा लॉज होते हैं.

लेकिन क्या आपको पता है कि इन छोटे बड़े होटलों में रहना कितना खतरनाक है. कोलकाता में ऋतुराज होटल में अग्निकांड की घटना में 14 लोगों की मौत हुई थी. उसके बाद पूरे प्रदेश में फायर सेफ्टी की चर्चा चल पड़ी है. सिलीगुड़ी में तो बहुत पहले से ही यह मुद्दा हावी रहा है. कई बार सिलीगुड़ी नगर निगम की ओर से ऐसे रेस्टोरेंट और होटल तथा व्यावसायिक काम्प्लेक्स के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है, जिन्होंने अभी तक फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट का नवीकरण नहीं कराया. लेकिन उनका कारोबार चल रहा है.

लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि सिलीगुड़ी जंक्शन स्थित होटल और लाॅज के अधिकांश मालिकों ने तो अभी तक फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट भी नहीं बनवाया है और वे बरसों से चल रहे हैं. पहले ये होटल मकान होते थे. बाद में उन्हें व्यवसायिक लाभ के लिए होटल तथा अन्य व्यावसायिक केन्द्रों में तब्दील कर दिया गया.

स्थानीय लोगों ने बताया कि तीन नंबर वार्ड के हिल कार्ट रोड पर स्थित अधिकांश होटल पहले मकान होते थे. परंतु सिलीगुड़ी जंक्शन और बस अड्डा पास में होने के कारण मकान मालिकों ने अपने आवास को होटल और लॉज में बदलने का फैसला किया. सूत्र बताते हैं कि इन भवनों की संरचना में ना तो अग्निशमन मानकों पर ध्यान दिया गया और ना ही इन होटल में रहने वाले लोगों के लिए किसी तरह की सुरक्षा उपलब्ध है. क्योंकि इन होटलों में कमरा सस्ते में मिल जाता है, इसलिए आगंतुक यहां ठहरना ज्यादा पसंद करते हैं. ऐसे में किसी दिन यहां कोई बड़ी घटना घट सकती है, लेकिन इसकी तरफ प्रशासन का ध्यान नहीं है.

यहां के लोगों ने बताया कि मालिकों ने होटल अथवा लॉज के रूप में मकान को परिवर्तित तो कर दिया , परंतु उसके ढांचे में जरा भी बदलाव नहीं किया गया. ऐसे में फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट की बात ही नहीं आती. इसी बात से आप समझ सकते हैं कि यहां के होटलों और लॉज में ठहरना जैसे मौत को दावत देने के बराबर है. अभी तक पता नहीं चल पाया है कि इनमें से कितने मालिकों के पास फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट है. पर सूत्र बताते हैं कि अधिकांश होटल बिना फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट के ही चल रहे हैं.

स्थिति की विडंबना देखिए कि ऐसे अवैध होटल और लाॅज के खिलाफ प्रशासन कार्रवाई करने से भी बच रहा है. डिविजनल फायर ऑफिसर देवान लेप्चा के अनुसार करवाई तो ऐसे होटल और लॉज के खिलाफ होती है जिन्हें फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट दिया जाता है. यह प्रक्रिया जांच के बाद ही तय होती है कि फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट का नवीकरण किया जाए या नहीं. लेकिन जिन होटलों और लॉज को फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट जारी ही नहीं किया गया, उसकी जांच भला कैसे की जा सकती है.

देवान लेप्चा की बात कुछ हद तक सही भी है. क्योंकि कानून में ऐसे होटल और लॉज के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, जिन्हें फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट जारी किया जाता है और अग्निकांड जैसी दुर्घटना के बाद अग्नि संबंधी निर्धारित नियमों का उल्लंघन आदि को लेकर जांच शुरू होती है. यहां तो यह होटल और लॉज पूरी तरह गैरकानूनी है ये होटल और लाॅज जहां स्थित है, वहां का भौगोलिक परिवेश भी किसी भी दमकल को वहां तक पहुंचने से रोकता है. अगर यहां अग्निकांड होता है तो दमकल वाहिनी भी मौके पर नहीं पहुंच सकती है.

पटेल रोड और हिलकार्ट रोड की गलियां बेहद संकरी हैं. ऐसे में दमकल का वहां तक पहुंचने का कोई रास्ता ही नहीं है. फायर विभाग के अधिकारी भी इस बात को स्वीकार करते हैं. सवाल यह है कि क्या प्रशासन हाथ पर हाथ धर कर बैठा रहे? सिलीगुड़ी प्रशासन को कोई ना कोई रास्ता बनाना होगा. अन्यथा वही होगा जो वर्षों से चला आ रहा है. ऐसे में अगर यहां कोई बड़ी अग्नि दुर्घटना होती है, तो इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा?

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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