May 12, 2025
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युद्ध से बेहतर युद्धविराम! ‘युद्ध की सनक’ से बाहर निकलने की जरूरत!

युद्ध की सनक युद्ध से भी ज्यादा खतरनाक होती है. जब लोगों के दिमाग में गुस्सा, नफरत और सबक सिखाने की बात रहती है और जब अचानक युद्ध विराम हो जाता है, तब यह गुस्सा कुछ ज्यादा ही भड़कने लगता है. भारत ने युद्ध विराम करके अच्छा नहीं किया, पाकिस्तान को मिट्टी में मिला देना चाहिए या पाकिस्तान को आर पार कर देना चाहिए. वास्तव में यह युद्ध की सनक होती है.

ऑपरेशन सिंदूर चल रहा था. उस समय देश के 140 करोड़ लोगों के दिमाग में युद्ध की सनक चल रही थी. जब यह खबर आती कि भारतीय सेना पाकिस्तान को करारा जवाब दे रही है. पाकिस्तान को काफी नुकसान कर रही है. तब दिमाग में यही चल रहा होता कि पाकिस्तान को मिट्टी में मिला दो. हम सभी भारत की सेना के साथ हैं. भारत के विभिन्न राज्यों से यहां तक के मंत्रियों और नेताओं के द्वारा भी यह पोस्ट किया गया कि भारत सरकार हमें बॉर्डर पर भेज दे. हम पाकिस्तान के टुकड़े कर देंगे. भले ही भारत और पाकिस्तान में बाकायदा युद्ध नहीं हुआ हो, परंतु 140 करोड लोगों के जेहन में युद्ध जरूर हो चुका है.

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी सोशल मीडिया ने भारत के लोगों के दिमाग में हिंसा, गुस्सा और आग भर दी. पाकिस्तानी सोशल मीडिया के द्वारा लगातार झूठ पर झूठ चलाया जाता रहा. और भारत के 140 करोड लोगों के दिमाग में युद्ध थोपा जाता रहा. आज युद्ध विराम होने के बाद भी लोग इस भावना से उबर नहीं पाए हैं. सोशल मीडिया पर तरह-तरह के पोस्ट प्रकाशित किये जा रहे हैं. अगर इंदिरा गांधी होती तो पाकिस्तान को मिट्टी में मिला देती इत्यादि इत्यादि!

यह एक वैज्ञानिक सत्य है और इस धारणा को सिगमंड फ्रायड ने अपनी पुस्तक सिविलाइजेशन एंड इट्स डिस्कंटेंट्स में विस्तार से दिया है. युद्ध की सनक विभिन्न न्यूज़ चैनलों के स्टूडियो से चली और पूरे देश में लोगों के सिर चढ़ गई. स्टूडियो में पैनल चिल्ला रहे थे. न्यूज़ एंकर भी इसी भावना के अधीन थे. सोशल मीडिया पर भी यही सब चल रहा था कि इस बार पाकिस्तान को मिट्टी में मिला देना है.

दोनों देशों के बीच युद्ध विराम के बाद इस भावना अथवा युद्ध की सनक में थोड़ी कमी जरूर आई है. परंतु इसे पूरा खत्म होने में अभी कुछ दिन और लग जाएंगे. जब लोगों के दिमाग में युद्ध की सनक होती है तो दिमाग पर पर्दा पड़ जाता है, जहां तर्क कोई मायने नहीं रखता. बुद्धिमता पूर्ण फैसले नहीं होते. इस स्थिति से बचना चाहिए. युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है.

युद्ध से देश काफी पीछे चला जाता है. विकास कार्य ठप हो जाते हैं. महंगाई चरम सीमा पार कर जाती है.गरीब और मरते हैं. सरकार के पास संसाधनों की कमी हो जाती है और उसकी विश्वसनीयता भी घट जाती है. मीडिया के ऊपर एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. मीडिया को लोगों को युद्ध की सनक से बचाने के लिए कुछ सकारात्मक कदम उठाने की जरूरत है.

किसी ने सच कहा है कि युद्ध मैदान में नहीं लड़ा जाता. युद्ध दिमाग से जीता जाता है. भारत ने ऐसा ही किया है. उसे जितना पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाना था, पहुंचा दिया.अब देश का विकास करना है. भारत को 1947 तक विकसित भारत बनाना है. इसके लिए जरूरी है कि शांति, स्थिरता और संवाद कायम रहे. भारत ने इस स्तर पर अच्छी भूमिका का निर्वाह किया है.

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