भारत में फिल्म, टेलीविजन और म्यूजिक इंडस्ट्री से जुड़े कई सेलिब्रिटीज के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद देशभर में यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या भारत में कोरोना लौट रहा है? कोरोना का नाम सुनते ही डर लगने लगा है. भारत के लोग भूले नहीं हैं. वह समय था, जब गलियां सुनसान हो जाती थीं. मकान के दरवाजे बंद कर दिए जाते थे. लोग एक दूसरे से संपर्क में नहीं होते थे. कहीं आना जाना बंद था. पूरे देश में लॉकडाउन लगा था. अगर कोई कोरोना पॉजिटिव हो जाता था, तो लोग उससे ऐसे दूर भागते थे जैसे वह कोई भूत हो. क्या वह दौर फिर से लौट रहा है?
आप वह भी भूले नहीं होंगे, जब अस्पतालों में लाशों का ढेर लग जाता था. मृतक के दाह संस्कार में भी भाग लेने की अनुमति नहीं होती थी. लोग अपने घर में कैद थे. हर समय यही डर लगता था कि कहीं दरवाजे के झरोखे से कोरोना घर में प्रवेश न कर जाए. बच्चे, बूढ़े, स्त्री, पुरुष सबके सब डरे हुए थे. मौत 4 गज दूर थी. जिसे कोविड-19 हो जाता था, यही समझ लिया जाता था कि अब उसे भगवान ही बचा सकता है. क्या वह समय एक बार फिर से आने वाला है? यह सवाल तेजी से गूंज रहा है.
राहत की बात यह है कि भारत में कॉविड के 257 सक्रिय मामले हैं. लेकिन हांगकांग में कॉविड-19 के नए वेरिएंट से अब तक 31 मौतें हो चुकी है. चीन, सिंगापुर और हांगकांग में नए वेरिएंट का तेजी से प्रसार हो रहा है. लेकिन यहां भी राहत की बात है. नया वेरिएंट डेल्टा Omicron की तरह ज्यादा घातक नहीं है. जानकारों के अनुसार जो मौतें हो रही हैं, वे या तो पहले से कई गंभीर रोगों के शिकार हैं या फिर जिनकी इम्यूनिटी बीमारियों के कारण लगभग खत्म हो चुकी है या कमजोर हो चुकी है. जिन लोगों को पहले से ही शुगर, डायबिटीज, किडनी, हार्ट आदि की बीमारी है, वैसे लोग ही कोविड-19 के नए वेरिएंट से ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. हालांकि बहुत से रोगी घर पर ही ठीक हो रहे हैं. अस्पतालों में उन्हें भर्ती करने की आवश्यकता बहुत कम महसूस हो रही है.
भारत में फिल्म अभिनेत्री शिल्पा शिरोडकर और कुछ अन्य सेलिब्रिटियों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने की खबर आ रही है. एक संगीतकार भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. हालांकि अभी तक उनकी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं की जा सकी है. आईपीएल खेल रहे ऑस्ट्रेलिया के एक खिलाड़ी भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. क्रिकेटर हरभजन सिंह ने कहा है कि अब वक्त आ गया है कि लोग एक बार फिर से कोरोना 19 का सामना करने के लिए तैयार रहे. उन्होंने लोगों से अपील की है कि वह फिर से कोरोना से बचाव के तरीके इस्तेमाल में लाएं. विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोरोना को लेकर भ्रामक और आतंक पैदा करने वाली जानकारी साझा की जा रही है.हालांकि इसमें कोई सत्यता नहीं है. विशेषज्ञ पहले ही कह चुके हैं कि कोरोना के नए वेरिएंट से कोई ज्यादा खतरा नहीं है.
WHO पहले ही कह चुका है कि कोरोना पूरी तरह खत्म नहीं होगा. यह हर साल आता रहेगा. यह भारत में फ्लू की तरह ही रहेगा. हालांकि इसका प्रभाव पहले जैसा नहीं रहेगा. भारत के विशेषज्ञ और जानकार भी कुछ ऐसा ही कहते हैं. लेकिन सोशल मीडिया पर यह कहा जा रहा है कि जून जुलाई तक भारत में कोरोना का संक्रमण तेजी से होगा. भारत में लॉकडाउन लगेगा. इत्यादि इत्यादि. जो पूरी तरह निराधार है. भारत में लॉकडाउन लगा तो उसका अंजाम आज भी देशवासी भुगत रहे हैं. विशेषज्ञ भी यही कहते हैं कि लॉकडाउन जैसी स्थिति नहीं उत्पन्न होगी. भारत में अब तक संक्रमण के जो मामले आए हैं, उन मामलों के अध्ययन से भी पता चलता है कि मरीज व्यक्ति पहले से ही जटिल बीमारियों का शिकार रहा है.
जो लोग नए वेरिएंट का शिकार हो रहे हैं, उनकी शिकायत है कि वह लंबे समय तक थकान महसूस करते हैं.इसके साथ ही उन्हें सांस लेने में तकलीफ महसूस होती है. लेकिन घर पर ही उनका इलाज हो जाता है. अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है. विशेषज्ञों की नजर में भारत में नए वेरिएंट से मुकाबला करने में वैक्सीन सक्षम है. जो लोग 3 वैक्सीन लगवा चुके हैं, उनकी इम्यूनिटी इतनी सशक्त हो गई है कि नया वेरिएंट उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है. हालांकि नए वेरिएंट को लेकर वैज्ञानिक यह भी दावा कर रहे हैं कि वैक्सीन ले चुके लोग भी इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं.
जो भी हो, कोरोना से बचाव का एक ही रास्ता है कि सोशल डिस्टेंसिंग, बार-बार हाथ धोना, मास्क लगाना, भीडभाड वाली जगह पर जाने से बचना, इत्यादि को अपने व्यवहार में स्थाई रूप से शामिल करना होगा. क्योंकि कोरोना हर साल आता रहेगा और यह फ्लू की तरह ही होगा. ऐसे में इससे बचाव केवल और केवल कोरोना के गाइडलाइन का पालन करने से ही होगा.