जिस तरह से भारतीय सीमा पर सेना के जवान दुश्मनों के दांत खट्टे कर रहे हैं, इसी लगन और आस्था से जवानों की पत्नियां भी अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं.इसके लिए वे उनके लिए व्रत रखती हैं. उनके लिए सब कुछ करती हैं.अपने सुहाग को बचाने तथा अपने अरमानों को परवान चढाने के लिए जवानों की कुछ बीवियां ऐसा करती हैं कि वे चर्चा का विषय बन जाती हैं.
भागलपुर के पास नवगछिया के इस्माइलपुर प्रखंड स्थित भिटटा गांव डिमाहा के निवासी सेना में हवलदार संतोष यादव की पोस्टिंग जम्मू कश्मीर में थी. विगत दिनों नौशेडा सेक्टर में आतंकवादियों से लड़ते हुए वह वीरगति को प्राप्त हुए थे. जब यह खबर उनकी पत्नी साधना कुमारी तक पहुंची, तो उनका रो रोकर बुरा हाल था. संतोष यादव की पत्नी साधना कुमारी जो भिठा गांव डिमाहा स्थित अपनी ससुराल में रहती है, पति के शहीद होने के साथ ही उन्होंने अन्न जल त्याग दिया था. उन्होंने सौगंध खाई थी कि वह अपने पति के हाथों ही पानी पीकर अपना व्रत तोड़ेंगी.
साधना कुमारी को समझाने की हर तरह से कोशिश की गई. गांव की बड़ी बुजुर्ग महिलाओं ने उन्हें काफी समझाया. यहां तक कि स्थानीय नेता और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी उनके घर आए और सैनिक पत्नी को समझाने का काफी प्रयास किया. बाद में पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव भी उनके घर पहुंचे और कोशिश की कि सैनिक जवान की बीवी साधना देवी से व्रत तोडवाया जाए. लेकिन वह भी कामयाब नहीं हो सके. लेकिन उन्होंने अपने लोगों को साधना बीवी की बिगड़ती हालत पर ध्यान रखने के लिए कह दिया.
उधर संतोष यादव की पत्नी साधना कुमारी की हालत लगातार खराब होती जा रही थी. उनका मुंह लगातार सूख रहा था. गांव की महिलाएं कपड़ा भिगोकर उनका मुंह तर करने की चेष्टा कर रही थीं. लेकिन सैनिक पत्नी ने संकल्प कर लिया था कि जब तक वह अपने पति को देख नहीं लेती और उनके हाथों पानी नहीं पी लेती, तब तक वह अन्न-जल ग्रहण नहीं करेगी. आखिर पत्नी के व्रत की जीत हुई. शहीद सेना हवलदार संतोष यादव का पार्थिव शरीर तिरंगे में लपेटकर नवगछिया जीरोमाइल के पास सुबह 6:00 पहुंचाया गया. वहां से हजारों लोगों की उपस्थिति में उनके पार्थिव शरीर को घर लाया गया.
अपने पति के पार्थिव शरीर को देखकर साधना कुमारी कई बार मूर्छित हुई. फिर गांव वालों ने पत्नी की इच्छा को ध्यान में रखकर मृत पति के हाथों से उन्हें पानी पिलाया गया. तब उन्होंने जल ग्रहण किया. हवलदार संतोष यादव बड़े ही पराक्रमी और योद्धा इंसान थे. देश भक्ति उनके रोम रोम से टपक रही थी. वह अपनी बीवी से उतना ही प्यार करते थे, जितना कि भारत देश से. मातृभूमि की रक्षा के लिए वह हंसते-हंसते शहीद हो गए. हजारों ग्रामीणो और प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में उनके पार्थिव शरीर का दाह संस्कार किया गया, तब उस समय उपस्थित लोगों की आंखें नम हो उठी. सभी ने भारत माता की जय और शहीद संतोष यादव अमर रहे के नारे लगाए.