अहमदाबाद विमान हादसे के बाद देशभर में एयरपोर्ट और विमान की सुरक्षा की बात होने लगी है. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे बड़े शहरों के हवाई अड्डों की सुरक्षा की बात ना करके सिलीगुड़ी के नजदीक बागडोगरा एयरपोर्ट और यहां से उड़ने वाले विमानों की सुरक्षा की बात की जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा. अहमदाबाद जैसा विमान हादसा देश के किसी भी एयरपोर्ट में हो सकता है. परंतु अगर एयरपोर्ट सुरक्षित रहे और उडान के मानक नियमो पर खरा उतरे तो दुर्घटना की आशंका कम हो जाती है.
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अहमदाबाद विमान हादसे से सबक लेकर एक बड़ा फैसला किया है. इसके अनुसार देश में किसी भी एयरपोर्ट के नजदीक बड़ी-बड़ी इमारतें, पेड़ आदि नहीं होंगे. एयरपोर्ट के नजदीक बड़ी इमारतें रहने पर भवनों के मालिक के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे. इस संबंध में डीजीसीए ने देशभर के सभी विमान हवाई अड्डों के प्राधिकरण तथा जिलों के डीएम को चिट्ठी लिखी है. यह सुनिश्चित करने को कहा है कि एयरपोर्ट के नजदीक बड़ी इमारतें नहीं होनी चाहिए और ना ही बड़े-बड़े पेड़ होने चाहिए. एयरपोर्ट के नजदीक किसी तरह के कंस्ट्रक्शन को प्रतिबंधित किया गया है. अहमदाबाद में विमान टेक ऑफ लेने के बाद विमान सीधे रिहायशी क्षेत्र में घुस गया था, जहां यह हादसा हुआ.
सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि विमान हादसे क्यों होते हैं. विमान हादसों के बहुत से कारण होते हैं. उनमें यांत्रिक विफलता, विमान का इंजन फेल होना, पायलट की लापरवाही, एटीसी की चूक, मेंटेनेंस में लापरवाही, विमान का पक्षियों से टकराना, पायलट की खराब ट्रेनिंग, विमान के उपकरण में खराबी या कमजोर उपकरण, खराब मौसम इत्यादि प्रमुख कारक हैं. पश्चिम बंगाल के कई हवाई अड्डे ऐसे हैं, जो भविष्य में विमान हादसों की वजह बन सकते हैं.
इनमें उत्तर 24 परगना में स्थित दमदम हवाई अड्डा, बागडोगरा हवाई अड्डा इत्यादि शामिल हैं. दमदम हवाई अड्डे के पास ही बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी हैं. ऐसे में विमान के लैंड होने से लेकर टेकऑफ के समय जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं. विमान यात्रियों और विमान की सुरक्षा के लिए कुछ दिशा निर्देश और नियम होते हैं. उनमें एक नियम यह भी है कि हवाई अड्डे के आसपास बड़ी-बड़ी इमारतें अथवा बड़े-बड़े पेड़ नहीं होने चाहिए. पेड़ रहने पर पक्षियों के विमान से टकराने का खतरा रहता है. अब इस नियम को सख्त बना दिया गया है और एयरपोर्ट अथॉरिटी को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है.
सिलीगुड़ी के नजदीक बागडोगरा हवाई अड्डे के आसपास चाय बागान पर्याप्त संख्या में हैं.इसके अलावा यहां आस-पास में बड़े-बड़े पेड़ भी दिखाई देते हैं. निकट में ही कंस्ट्रक्शन का भी काम चल रहा है. नए नियम के अनुसार बागडोगरा एयरपोर्ट अथॉरिटी कंस्ट्रक्शन को रुकवा सकता है जिले के डीएम प्रशासनिक कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र होते हैं कभी-कभी मौसम काम चलाऊ तो रहता है, परंतु चाय बागानों और पेड़ो की झुरमुट के कारण टेक ऑफ के समय अथवा विमान लैंड करने के समय पायलट को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. सूत्रों ने बताया कि अगर यह स्थिति नहीं होती तो ऐसे मौसम में भी विमान को उड़ाना अथवा टेक ऑफ करना आसान होता.
यही कारण है कि कभी-कभी खराब मौसम के कारण बागडोगरा हवाई अड्डे पर विमान को उतारने में पायलट को पसीने छूटने लगते हैं. कई बार तो विमान को बागडोगरा के बजाए कोलकाता में उतारना पड़ा है. इससे यात्रियों को काफी परेशानी होती है. उन्हें कोलकाता से बागडोगरा की यात्रा करनी पड़ती है. इसमें श्रम और शारीरिक थकान बढ़ जाती है. विशेषज्ञों ने बताया कि दूसरे यात्री साधनों के मुकाबले विमान दुर्घटनाएं बहुत कम होती हैं अथवा इसकी संभावना बहुत कम रहती है.
इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अनुसार विमान हादसे होने की आशंका 110 करोड़ में से सिर्फ एक होती है. बशर्ते इनके नियमों का पालन किया जाए. अन्य नियमों में विमान में नियमित रूप से मेंटेनेंस जरूरी होता है. 20% दुर्घटनाएं मैकेनिकल फेल्योर के कारण होती है. इसलिए विमान की लगातार निगरानी करती रहनी चाहिए. विमान की सुरक्षित उडान तथा यात्रियों की सुरक्षा में एटीसी का बड़ा योगदान होता है. अगर उनकी कार्य क्षमता में गिरावट आती है तो विमान के टकराने की संभावना बढ़ जाती है. कभी-कभी पायलट भारी चूक कर जाते हैं. ऐसे में हादसों का होना स्वाभाविक है. नासा ने माना है कि 50% से अधिक विमान दुर्घटनाएं पायलट की गलतियों के कारण होती हैं.
विशेषज्ञों ने बताया है कि सुरक्षित उड़ान विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है. यह सभी कारक मिलकर विमान की सुरक्षा को बढ़ाते हैं. ज्यादातर विमान दुर्घटनाएं तकनीकी खराबी के कारण होती हैं. मौसम भी एक प्रमुख फैक्टर है. पर जहां तक बागडोगरा, दमदम हवाई अड्डे की बात करें तो यहां मानव लापरवाहियां अत्यधिक जिम्मेवार है. एयरपोर्ट के आसपास बड़ी-बड़ी इमारतें, चाय बागान, बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों आदि की मौजूदगी कहीं ना कहीं नियमों का खिलवाड़ भी है. यह सवाल बना ही रहेगा कि ऐसी लापरवाहियों के लिए किसे दंडित किया जाए? क्या नेता, या सिस्टम या फिर कोई और…?
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