यह मत पूछिए कि सिलीगुड़ी में क्या-क्या नहीं होता है. कभी ऑनलाइन सट्टेबाजी मेट्रो शहरों और महानगरों में खूब होती थी. लेकिन आजकल ऑनलाइन सट्टेबाजी रैकेट का नेटवर्क इस कदर फैल चुका है कि छोटे-छोटे शहर भी इसके केंद्र में आ रहे हैं.अब सिलीगुड़ी शहर भी इससे जुड़ गया है. जो खुलासा हुआ है, उसे जानकर आपके भी होश उड़ जाएंगे
प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार सिलीगुड़ी और आसपास से पकड़े गए लोग दूसरों से खाता खुलवाते थे और उनके खाते किराए पर लेकर इस्तेमाल करते थे. इनमें खालपाड़ा के रहने वाले अभिषेक बंसल और माटीगाड़ा के सोनू कुमार ठाकुर पर आरोप है कि उन्होंने सट्टेबाजी की रकम इकट्ठा करने और उसे शेल कंपनियों में ट्रांसफर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उनके साथ और कौन-कौन लोग शामिल हैं, ईडी इस बात का पता लगा रही है. यह भी पता लगा रही है कि इस नेटवर्क का जाल कितना बड़ा है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार सिलीगुड़ी में अवैध सट्टेबाजी एप्स को स्थानीय स्तर पर संचालित करने के लिए पैनल और फ्रेंचाइजी किराए पर दी जाती थी. इसमें कस्टमर अधिकारी, कॉल सेंटर, अकाउंट विभाग और कस्टमर सेटलमेंट कैसे कई अलग-अलग विभाग बनाए गए थे. यह पूरा नेटवर्क व्हाट्सएप ग्रुप और अन्य चैनलों के जरिए गुप्त रूप से संचालित होता था. भुगतान क्रिप्टो करेंसी में किया जाता था.
इसका खुलासा प्रवर्तन निदेशालय ने किया है. प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने 3 जून 2025 को सिलीगुड़ी, कोलकाता, दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश और असम में एक साथ कई जगह छापेमारी की थी. इस दौरान अधिकारियों ने विभिन्न स्थानों से डिजिटल यंत्र, मोबाइल फोन, लैपटॉप तथा दूसरे गुप्त दस्तावेज बरामद किए थे. सिलीगुड़ी में खालपाडा और माटीगाड़ा के कई अन्य इलाकों में भी ईडी ने छापे की कार्रवाई की थी.
ED के अधिकारियों ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सिलीगुड़ी से ऑनलाइन सट्टेबाजी रैकेट का पता लगाया और सिलीगुड़ी से कुछ लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है. ED ने खालपाडा के अभिषेक बंसल और माटीगाड़ा के सोनू कुमार ठाकुर तथा विशाल भारद्वाज को गिरफ्तार करके इस नेटवर्क के करीब पहुंचने का दावा किया है. इन तीनों की कुल संपत्ति 14.29 करोड रुपए को ED ने अपने हिसाब में रखा है.
प्रवर्तन निदेशालय की यह कार्रवाई सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट की FIR के आधार पर की गई है. ED ने भारतीय दंड संहिता और पश्चिम बंगाल गैंबलिंग एंड प्राइज कंपटीशन एक्ट 1957 के तहत यह कार्रवाई की है. अब तक जांच में जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार अधिकारियों ने 1130 फर्जी बैंक खातों को सील कर दिया है. इन खातों में 10 करोड रुपए से ज्यादा जमा थे. इसके अलावा अनेक डेबिट और क्रेडिट कार्ड भी अधिकारियों ने जब्त किए हैं.
जांच में पता चला है कि सिलीगुड़ी में सट्टेबाजी के लिए इस्तेमाल होने वाले ऐप्स में क्रिकेट,फुटबॉल और केसिनो गेम्स पर सट्टा लगाने की सुविधा दी जाती थी. पैनल और फ्रेंचाइजी किराए पर लेकर स्थानीय स्तर पर एप्स को संचालित किया जाता था. ग्राहकों को लुभाने के लिए विज्ञापनों का सहारा लिया जाता था और जीतने वालों के खाते को बंद कर दिया जाता था और उनमें जमा रकम हडप ली जाती थी. इस रकम को किराए के खातों से कॉर्पोरेट खातों में ट्रांसफर किया जाता था. इस तरह से प्राप्त रकम ब्लैक से व्हाइट बन जाती थी.
प्रवर्तन निदेशालय से मिले संकेत के अनुसार ऑनलाइन सट्टेबाजी रैकेट से और भी कई लोग जुड़े हो सकते हैं. सिलीगुड़ी से कुछ और लोगों की गिरफ्तारियां हो सकती हैं तथा उनकी संपत्ति को बरामद किया जा सकता है. मनी लांड्रिंग का यह खेल कहीं बड़े-बड़े को हिलाकर ना रख दे.