August 21, 2025
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छोटे अपराधों पर नहीं होगी जेल! देना होगा भारी जुर्माना!

केंद्र सरकार जो नया कानून लाने जा रही है, उसमें छोटे अपराधों के लिए जेल की सजा का प्रावधान हटा दिया गया है. केवल चेतावनी और जुर्माने को प्राथमिकता दी गई है. हालांकि सरकार दावा कर रही है कि ऐसे कानून में बदलाव से लोगों की जीवन व न्याय प्रक्रिया आसान हो जाएगी, पर यह वक्त ही बताएगा कि नए बदलाव का लोगों को कितना लाभ मिलता है! अगर यह कानून पारित होता है तो छोटे कारोबारियों को कितना लाभ मिलता है, जैसा कि सरकार दावा कर रही है, यह भी देखना होगा.

हमारे कानून की पुस्तकों में छोटे छोटे अपराधों के लिए भी दंड या जेल की सजा का प्रावधान है. कई बार कारोबारी प्रक्रिया में कारोबारियों से भूल चूक हो जाती है, जिसे कानून में अपराध मान लिया जाता है. कई बार लोग छोटी-मोटी गलतियां भी कर देते हैं. कई बार साधारण सी गलती में ही व्यक्ति को कानून अपराधी मान लेता है. कम से कम 355 ऐसे मामले हैं जो साधारण हैं, परंतु कानून की धाराओं में ऐसे अपराधों के लिए भी जेल हो सकती है.

पिछले दिनों केंद्र सरकार ने एक ऐसा बिल लाया है, जिसको जन विश्वास बिल 2025 नाम दिया गया है. इसमें साधारण या छोटे 355 अपराधों को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया गया है. यानी अब ऐसे साधारण अपराध के लिए व्यक्ति को जेल नहीं होगी. बल्कि उसे चेतावनी या जुर्माने के साथ छोड़ा जा सकता है. केंद्र सरकार का इस बिल के जरिए मकसद स्पष्ट है कि अदालतों पर मुकदमों का बोझ कम करना, ताकि लंबित मामलों का त्वरित निष्पादन हो सके.

अगर यह विधेयक कानून बन जाता है तो आम आदमी के साथ-साथ कारोबारियों की कारोबार प्रक्रिया आसान हो जाएगी. अदालतों पर मुकदमों का बोझ तो कम होगा ही, इस बिल के जरिए 16 कानून के 288 अपराधों में अब पहली गलती में व्यक्ति को चेतावनी दी जाएगी. दूसरी बार गलती करने पर जुर्माना. लेकिन अगर वह व्यक्ति बार-बार गलती करता है, तो उसे प्रतिदिन अतिरिक्त जुर्माना देना पड़ेगा. लेकिन उसे जेल जाना नहीं पड़ेगा.

कारोबार और बैंक प्रक्रिया में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के अनुसार रिपोर्ट न देने पर पहले जेल का प्रावधान था. अब कानून बन जाने पर सिर्फ प्रशासनिक जुर्माना लगाया जाएगा. पहली बार अपराध में एक लाख रुपए और यदि गलती बार-बार जारी रखी जाती है तो रोजाना ₹5000 अतिरिक्त जुर्माना देना होगा. अभी तक बिना लाइसेंस के दवा बनाने या बेचने पर पकड़े जाने पर 6 महीने की जेल हो सकती है. लेकिन नया कानून बन जाने पर व्यक्ति को सिर्फ ₹30000 जुर्माना भरना होगा.

इसी तरह से बिना परमिट वाहन चलाने, फिटनेस अथवा इंश्योरेंस पेपर ना रखने पर ट्रैफिक पुलिस आप से ₹500 से लेकर ₹5000 जुर्माना वसूल सकती है. पहले सड़क परिवहन निगम अधिनियम 1950 के तहत इसके लिए आपराधिक मामला दर्ज होता था. पर अब कानून बन जाने पर सिर्फ जुर्माना देना होगा. अभी तक प्रदूषण नियम तोड़ने पर 5 साल जेल के साथ ही ₹100000 जुर्माना हो सकता है. लेकिन नया कानून बन जाने पर जुर्माना बढ़ा दिया गया है. यह 5 लाख या उससे ज्यादा हो सकता है.

सार्वजनिक देयता बीमा अधिनियम 1991 के अनुसार बीमा न लेने पर इस अपराध के लिए जेल जाना पड़ सकता है. अगर आपने बीमा नहीं ली है तो पुलिस आपको जेल तक भेज सकती है. परंतु नए कानून में इसके लिए सिर्फ जुर्माना निर्धारित किया गया है. जेल नहीं. अगर यह कानून पारित होता है तो. इसी तरह से जल आपूर्ति से जुड़े उल्लंघन में ₹200 से लेकर ₹500 तक जुर्माना हो सकता है. भवन निर्माण के मामले में गलती होने पर ₹5000 तक जुर्माना हो सकता है. इसी तरह से कचरा नहीं हटाने, संक्रमित वस्तुओं का इस्तेमाल करने पर व्यक्ति को जेल नहीं जाना पड़ेगा. बल्कि ₹100 से लेकर ₹1000 तक उसके ऊपर जुर्माना लगाया जा सकता है.

कानून में नए बदलाव और प्रावधान के अनुसार न्याय अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो मौके पर गलती करने वालों को नोटिस जारी कर सकेंगे. अपील अधिकारी को 6 महीने में अपील निपटाने का आदेश मिलेगा. जबकि पुलिस सिर्फ वही कार्रवाई करेगी, जहां प्रशासन से कार्रवाई का अधिकार मिलेगा. अब देखना है कि यह विधेयक कब तक कानून बन पाता है और यह भी कि केंद्र सरकार नए कानून को कब लागू करती है!

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