कई बार लोगों को पार्टनरशिप में व्यवसाय करना एक मजबूरी बन जाती है. कभी पैसे निवेश को लेकर तो कभी संसाधनों की कमी और ऐसे विभिन्न कारणों से उद्यमी पार्टनरशिप में कारोबार शुरू कर देते हैं. लेकिन अगर दो पार्टनरों के बीच पारदर्शिता, ईमानदारी और एक दूसरे पर भरोसा नहीं हो,तो ऐसा व्यवसाय जल्द ही फ्लॉप हो जाता है. कभी-कभी पार्टनरशिप में पार्टनर पर महत्वाकांक्षा, गबन की नीयत, लालच और खुदगर्जी, अकेले लाभ कमाने की इच्छा सर चढ़कर बोलने लगती है, तो उसका अंजाम भवानीपुर, कोलकाता के व्यवसायी की तरह ही होता है.
यह घटना सुर्खियों में है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निवास भवानीपुर की यह घटना है. मुख्यमंत्री सिलीगुड़ी से कोलकाता पहुंचने के बाद वह भवानीपुर में मारे गए व्यवसाई के घर पहुंची थी. और व्यवसाई की हत्या के आरोपियों को क्रिमिनल से भी बड़ा क्रिमिनल बताया था मुख्यमंत्री ने व्यवसाय के हत्यारे को कड़ी से कड़ी सजा देने का पुलिस को निर्देश दिया है.
कोलकाता की यह मर्मांतक घटना सिलीगुड़ी के व्यवसाईयों को एक सबक देती है. अगर आप पार्टनरशिप में कोई भी व्यवसाय कर रहे हों तो आपस में हिसाब किताब सही रखते हुए लेनदेन में भी पारदर्शिता बरतें. एक दूसरे पर भरोसा करें. क्योंकि व्यापार में पैसा ही व्यवसायी का मित्र और उसकी जान का दुश्मन भी बन जाता है. अनिर्वाण गुप्ता और भाबिया लखानी दवा व्यवसाय का काम साझेदारी में करते थे. भाविया लखानी निजी तौर पर शेयर ट्रेडिंग भी करते थे. वह भवानीपुर इलाके में, जहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी हैं, शंभू नाथ पंडित स्ट्रीट के निवासी थे और अनिर्वाण गुप्ता उत्तर 24 परगना जिला के अंतर्गत निमता में रहता था. दोनों का धंधा ठीक चल रहा था.
भाविया लखानी शेयर ट्रेडिंग व्यवसाय के अलावा बड़ा बाजार के बागडी मार्केट में अपने पार्टनर के साथ दवा का व्यवसाय भी कर रहे थे. जब शेयर बाजार में मंदी आई तो लखानी की काफी पूंजी डूब गई. इसके बाद ही उसने गुप्ता के साथ मिलकर दवा का व्यवसाय शुरू किया था. लेकिन दवा व्यवसाय में भी कुछ कारणों से घाटा हो गया था. दोनों पार्टनर्स ने आपस में घाटे का हिसाब किया और बराबर बराबर घाटा भी बांट लिया. एक-एक पार्टनर को 50-50 लाख रुपए का घाटा हुआ था. अनिर्बान गुप्ता ने लखानी से कहा कि जैसे ही उसके पास पैसे आ जाएंगे, वह उसके पैसे चुका देगा. फिलहाल उसके पास उसे देने के लिए कुछ भी नहीं है. वह बर्बाद हो चुका है.
बताया जाता है कि दवा व्यवसाय के साथ-साथ लखानी का शेयर ट्रेडिंग व्यवसाय का धंधा भी चल रहा था, जो इस समय काफी जोर पकड़ रहा था. उन्हें अच्छी आय हो रही थी. इस व्यवसाय में गुप्ता उनका पार्टनर नहीं था. कहा जाता है कि यहीं से अनिर्बान गुप्ता को अपने पार्टनर पर शक होने लगा. अनिर्बान गुप्ता चाहता था कि लखानी अपने व्यवसाय में उसे भी पार्टनर बनाता लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. उसे लग रहा था कि लखानी ने हिसाब किताब में गड़बड़ किया है और उसकी सारी जमा पूंजी बड़ी चालाकी से हथिया ली है. अब वह अकेला व्यवसाय का मालिक बनना चाहता है. इस बीच लखानी ने गुप्ता से तकादा वसूलना भी शुरू कर दिया था. गुप्ता लगातार इसे टाल रहा था. जैसे-जैसे वक्त बीतता जा रहा था, गुप्ता के दिमाग में लखानी के प्रति हिंसा और द्वेष की भावना बलवती होती जा रही थी.
लखानी का शेयर ट्रेडिंग व्यवसाय अच्छा चल रहा था. गुप्ता को यह अच्छा नहीं लग रहा था. दूसरी तरफ अनिर्वाण गुप्ता भारी कर्ज में डूबा था. उसने अपने रिश्तेदारों और बैंकों से काफी कर्ज ले रखा था. इससे वह परेशान तो रहता ही था. ऊपर से लखानी के मजे में होने से उसके दिमाग में हमेशा एक ही बात रहती थी कि लखानी ने उसके साथ धोखा किया है. इसलिए उसे सबक सिखाना जरूरी है. लखानी के प्रति हिंसा और दुश्मनी की आग गुप्ता के कुछ करीबी लोगों ने ही भड़काई थी. प्रतिशोध की भावना इस कदर बेकाबू होने लगी कि एक दिन गुप्ता ने हमेशा के लिए लखानी को ऊपर पहुंचाने का फैसला कर लिया.
10 को अनिर्वाण गुप्ता ने सुनियोजित योजना के तहत लखानी को फोन करके अपने घर पर बुलाया और कहा कि वह उसका पिछला हिसाब चुका देना चाहता है. लखानी काफी खुश था. वह सुबह ही उत्तर 24 परगना स्थित गुप्ता के घर प्रमोद मित्रा लेन पहुंच गया. उस समय लखानी और गुप्ता दोनों आपस में लेनदेन संबंधी बातें कर रहे थे.तभी अचानक गुप्ता ने अपने मित्र सुमन दास के साथ लखानी पर क्रिकेट बैट से हमला कर दिया. लखानी को अपने पार्टनर से ऐसी उम्मीद नहीं थी. लेकिन जब तक वह संभलता, तब तक गुप्ता ने उसका काम तमाम कर दिया. इसके बाद सबूत मिटाने के लिए गुप्ता ने अपने साथी सुमन दास की मदद से लखानी के शव को बोरे में बंद कर छत पर पानी की टंकी के पास छुपा दिया और वहां प्लास्टर करवाने के बाद चारों तरफ से ईट की दीवार भी खड़ी करवा दी. ताकि पुलिस को कुछ पता नहीं चल सके.
लेकिन कानून के हाथ काफी लंबे होते हैं. सुबह से निकले लखानी जब देर शाम घर नहीं लौटे तो परिजनों को चिंता होने लगी. रात तक इंतजार करने के बाद घर वालों ने बालीगंज थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई. घटना के दिन लखानी गुप्ता के घर बकाया पैसे की वसूली के लिए गए थे. इसके आधार पर पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू की. लखानी का मोबाइल स्विच ऑफ था, जो बाद में ब्रिडेन स्ट्रीट से बरामद किया गया. पूछताछ के लिए पुलिस अनिर्वाण गुप्ता के घर पहुंच गई. पुलिस की कड़ी पूछताछ में गुप्ता ने अपना गुनाह कबूल कर लिया. पुलिस ने अनिर्वाण गुप्ता तथा उसके साथी सुमन दास को अदालत में पेश कर विस्तृत पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया है. सुमन दास जोरा बागान इलाके में गौरलहा स्ट्रीट का निवासी है. यह घटना सुर्खियों में है और पार्टनरशिप में काम करने वाले व्यवसाईयों में आतंक का कारण भी है.
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