आखिर पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी को अपने पद से इस्तीफा दे देना पड़ा. लोकसभा चुनाव में यूसुफ पठान के हाथों अपनी परंपरागत सीट गंवाने के बाद से ही तय हो गया था कि अधीर रंजन चौधरी की कांग्रेस पारी खत्म होने वाली है. कांग्रेस हाई कमान ने उसी समय से अधीर रंजन चौधरी को भाव देना बंद कर दिया था. कुछ मौकों पर तो मल्लिकार्जुन खड़गे ने अधीर रंजन चौधरी की खिंचाई तक कर दी थी.
पश्चिम बंगाल की राजनीति में अधीर रंजन चौधरी ममता बनर्जी का तीव्र विरोध कर सुर्खियों में आए थे. उन्होंने हमेशा ममता बनर्जी के नहले पर दहला मारा था. जिस कारण से ममता बनर्जी भी नाराज हो गई थी. उन्होंने कांग्रेस हाई कमान पर दबाव डाला. कांग्रेस हाई कमान ने कई बार इशारों इशारों में अधीर रंजन चौधरी को ममता बनर्जी के प्रति नरम दुख अख्तियार करने का निर्देश दिया था. लेकिन चौधरी ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. अंततः प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से उनकी विदाई हो गई. आज उन्होंने अपना इस्तीफा भी कांग्रेस हाई कमान को भेज दिया है.
कदाचित अधीर रंजन चौधरी को भी आभास हो गया था कि कांग्रेस हाई कमान उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा सकती है. दरअसल ममता बनर्जी को लेकर अधीर रंजन चौधरी का दो दिनों पहले ही एक ताजा बयान आया था, जिसको लेकर कांग्रेस उनसे नाराज थी. दरअसल अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी के दिल्ली दौरे को लेकर कहा था कि ममता दिल्ली में तो संत हो जाती है लेकिन बंगाल में आते ही वह शैतान हो जाती है. अधीर रंजन चौधरी के इस बयान को तृणमूल कांग्रेस ने भी गंभीरता से लिया था और अखिल भारतीय कांग्रेस ने भी इसे एक गैर जिम्मेदाराना बयान माना था.
अधीर रंजन चौधरी को कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने की तैयारी काफी समय से चल रही थी. बंगाल कांग्रेस के नेताओं के साथ सोमवार को कांग्रेस संगठन के महासचिव केसी वेणुगोपाल से भी बात हुई थी. प्रदेश कांग्रेस के 20 से भी अधिक नेताओं से अलग-अलग मुलाकात के बाद यह तय हो गया कि अधीर रंजन चौधरी को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाए बगैर बंगाल में कांग्रेस संगठन मजबूत नहीं हो सकता. बंगाल कांग्रेस के ज्यादातर नेता अधीर रंजन चौधरी की कार्य शैली से नाराज बताए जा रहे हैं.
प्रदेश कांग्रेस के लगभग दो दर्जन नेताओं ने केसी वेणु गोपाल को बताया कि अधीर रंजन चौधरी सिर्फ व्यक्तिगत स्वार्थ की राजनीति करते हैं. वह ममता बनर्जी का विरोध करते हैं. अगर ममता बनर्जी का विरोध करने की बजाय उन्होंने कांग्रेस संगठन पर ध्यान दिया होता तो आज बंगाल में कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी होती. प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि अगर आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा से विपक्ष का दर्जा छीनना है तो कांग्रेस को एकला चलो की नीति पर चलना होगा. तभी वह भाजपा को हटाकर विपक्ष का दर्जा हासिल कर सकती है.
बहरहाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से अधीर रंजन चौधरी के इस्तीफा के बाद यह सवाल उठना लाजिमी हो गया है कि अगला प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कौन होगा. सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस ने अगले अध्यक्ष के लिए कई नामों पर विचार करना शुरू कर दिया है. इनमें सबसे ऊपर शंकर मालाकार का नाम है. शंकर मालाकार कांग्रेस के अनुभवी और एक वरिष्ठ नेता हैं और लंबे समय से कांग्रेस के सक्रिय सदस्य रहे हैं. राहुल गांधी के साथ भी उनका अच्छा संबंध है. कांग्रेस के अखिल भारतीय बड़े नेताओं से भी उनके अच्छे संबंध हैं. शंकर मालाकार के अलावा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए जिन अन्य नाम पर विचार कर रही है, उनमें ईशा खान चौधरी,डीपी राय और नेपाल महतो के नाम शामिल है. उम्मीद की जा रही है कि कल परसों तक कांग्रेस प्रदेश के नए अध्यक्ष का ऐलान कर देगी.
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