पिछले काफी समय से उत्तर बंगाल के विभिन्न जिलों जैसे दार्जिलिंग,जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार आदि से काफी संख्या में बच्चे लापता हो रहे हैं. इन बच्चों को नेपाल के रास्ते दुबई के देशों में भेजा जा रहा है. इनमें लड़कियां भी काफी संख्या में है, जो नजदीकी चाय बागानों के गरीब परिवारों से आती हैं. उन्हें भी अच्छी नौकरी और आलीशान जिंदगी के सपने दिखाकर विदेशों खासकर अरब देशों में भेज दिया जाता है, जहां उनकी जिंदगी नरक बन कर रह जाती है. बहुत सी लड़कियां तो लौटकर भी नहीं आती और ना ही इनके बारे में कोई जानकारी दी जाती है.
इसी तरह से नेपाल से भी कई बच्चों के लापता होने की जानकारी मिल रही है. पानी टंकी के रास्ते अथवा सिलीगुड़ी के नजदीक भारत नेपाल सीमा बॉर्डर के शॉर्टकट रास्ते नेपाल से नाबालिग लड़के लड़कियां भाग कर सिलीगुड़ी जंक्शन और एनजेपी पहुंचते हैं.आए दिन ऐसी घटनाएं होती रहती हैं. पिछले साल नेपाल से कई नाबालिग लड़के लड़कियां भारत नेपाल सीमा पार कर सिलीगुड़ी पहुंचे थे.वह सिलीगुड़ी से बस अथवा ट्रेन के द्वारा दिल्ली जाना चाहते थे और वहां से दुबई के देशों में उनके भेजे जाने की बात हो रही थी. लेकिन उससे पहले ही टास्क फोर्स द्वारा पकड़ में आ गए थे और उनका जीवन तबाह होने से बच गया था.
समतल, Dooars और पहाड़ में बच्चों के गायब होने की घटनाएं सबसे ज्यादा देखी जाती हैं. उत्तर बंगाल और पहाड़ के विभिन्न पुलिस थानों में ऐसे अनेक मामले बरसों से लंबित हैं, जहां नाबालिक बच्चे बच्चियों के गायब हुए बरसों बीत गए. लेकिन आज तक उनका पता नहीं चला. कुछ समय पहले ही एक अध्ययन में यह बात स्पष्ट हो गई थी कि सिलीगुड़ी के नजदीकी क्षेत्रों में मानव तस्कर गिरोह सक्रिय हैं, जो भोले भाले मासूम लड़के लड़कियों को बहला फुसलाकर उन्हें अच्छी नौकरी का प्रलोभन देकर विदेश ले जाया जाता है और उन्हें वहां अनैतिक कार्यों में धकेल दिया जाता है.
नेपाल और उत्तर बंगाल से भागने वाले बच्चों की एक लंबी सूची उपलब्ध कराई गई है. जलपाईगुड़ी के सरकारी होम में कई नेपाली लड़के लड़कियां बरसों से रह रहे हैं. उनके माता-पिता अथवा सरकारी एजेंसियों को सूचित करने के बाद भी उन्हें वापस ले जाने की कोई कोशिश नहीं की गई. सूत्रों ने बताया कि उत्तर बंगाल के विभिन्न जिलों के नाबालिक लड़के लड़कियों को एजेंट बहला फुसला रहे हैं. पुलिस तंत्र के द्वारा उनके माता-पिता को सावधान किया जा रहा है.
पिछले दिनों एक अध्ययन प्रकाशित हुआ था. इसमें कहा गया था कि यहां से भागकर दिल्ली, मुंबई के रास्ते लड़के लड़कियों को अरब देशों में ले जाया जाता है, जहां उन्हें गुलाम बनाकर उनसे विभिन्न तरह के अनैतिक कार्य कराए जाते हैं. अरब देशों में उन्हें इस तरह से मजबूर कर दिया जाता है कि वहां से भाग भी नहीं सकते और ना ही अपनी व्यथा का इजहार किसी से कर पाते हैं. ऐसे लड़के लड़कियों के साथ अंग तस्करी की भी घटनाएं सामने आती है.
मिली जानकारी के अनुसार उत्तर बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों से लड़के लड़कियों की तस्करी नेपाल के रास्ते अरब देशों में की जाती है. बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि भारत नेपाल सीमा पर सीमा सुरक्षा बल की चौकसी बढ़ाई जाए. इसके अलावा नेपाल और भारतीय जिलों के पुलिस प्रशासन के बीच समन्वय कायम किया जाए. जलपाईगुड़ी की जिला अधिकारी शमा परवीन के कार्यालय में राज्य टास्क फोर्स की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई.
अब ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल टास्क फोर्स के अधिकारी सक्रिय हो गए हैं. दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार प्रशासन भी गंभीरता दिखा रहा है. खासकर दार्जिलिंग जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार प्रशासन मानव तस्करी को रोकने के लिए टास्क फोर्स को सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है. आज ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बंगाल टास्क फोर्स के अधिकारियों के साथ एक बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. इसमें एक ऐसी रणनीति तैयार करने की संभावना है, जिससे कि उत्तर बंगाल में मानव तस्करी की घटनाओं को रोका जा सके.
हालांकि सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस पहले भी ऐसी घटनाओं के आलोक में उत्तर बंगाल में सजगता कार्यक्रम जैसे अभियानों की वकालत करती आई है. आज की बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. क्योंकि इसमें टास्क फोर्स के सभी वरिष्ठ अधिकारी, तीनों जिलों के जिला अधिकारी,पुलिस अधीक्षक, बाल संरक्षण अधिकारी के अलावा उत्तर बंगाल नेपाल सीमा पर ड्यूटी में तैनात उच्च पदस्थ अधिकारी भी मौजूद रहे. इस बैठक का नेतृत्व पश्चिम बंगाल टास्क फोर्स ट्रैफिकिंग की निदेशक नीलांजना दास गुप्ता ने किया. आने वाले समय में बाल तस्करी रोकने के लिए अभियान और तेज किया जाएगा.
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