बीजेपी को बंगाल में अपनी प्रबल जीत दिख रही थी. एग्जिट पोल से बंगाल भाजपा गदगद थी. लेकिन मतों की गिनती और चुनाव परिणाम के बाद प्रदेश भाजपा औंधे मुंह गिर गई है. अब बंगाल में बीजेपी की हार का ठीकरा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुबेंदु अधिकारी पर फोड़ा जा रहा है. केंद्रीय नेतृत्व के बुलावे पर सुवेंदु अधिकारी और बंगाल भाजपा से जीते सभी नवनिर्वाचित भाजपा उम्मीदवार दिल्ली पहुंच गए हैं.
इस बीच बंगाल भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के वर्धमान दुर्गापुर लोकसभा सीट हारने के बाद उनका बयान सुर्खियों में है. दिलीप घोष ने सुवेंदु अधिकारी पर कटाक्ष करते हुए उनका नाम लिए बगैर कहा है कि नए कार्यकर्ताओं पर जल्द भरोसा नहीं कर सकते हैं. जबकि पुराने कार्यकर्ता हमारी जीत की गारंटी होते हैं.दिलीप घोष ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के बयान को ट्वीट कर प्रदेश भाजपा नेतृत्व पर सवाल उठाया है.
जैसे-जैसे वक्त बीतेगा, प्रदेश भाजपा में शुरू हुआ अंतर्कलह कुछ और ही बढ़ेगा. इसमें कोई संदेह नहीं है. बंगाल भाजपा के कई चर्चित चेहरे चुनाव हार गए हैं. वे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हार का ठीकरा प्रदेश भाजपा नेतृत्व पर ही फोड़ सकते हैं. लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय भाजपा नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव की बागडोर राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को सौपी थी. इसलिए हार की जिम्मेवारी भी उन्हें लेने के लिए तैयार रहना चाहिए. हो सकता है कि दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व इस संदर्भ में दोनों नेताओं से जवाब तलब करे.
दिलीप घोष कहते हैं कि पुराने कार्यकर्ताओं की अवहेलना हुई है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि एक बात का ध्यान रखें. पार्टी के एक भी पुराने कार्यकर्ता की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए. अगर जरूरत पड़े तो 10 नए कार्यकर्ताओं को अलग कर दें. क्योंकि पुराने कार्यकर्ता ही हमारी जीत की गारंटी हैं. नए कार्यकर्ताओं पर इतनी जल्दी भरोसा करना उचित नहीं है.
पश्चिम बंगाल में बीजेपी को जोर का झटका लगा है.उसकी सीटों की संख्या 18 से घटकर 12 रह गई है. जबकि टीएमसी की सीटों की संख्या 22 से बढ़कर 29 हो गई है. चुनाव हारने वालों में बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष, केंद्रीय मंत्री निशित प्रमाणिक, अर्जुन सिंह, लॉकेट चैटर्जी आदि शामिल है. 2019 का लोकसभा चुनाव दिलीप घोष के नेतृत्व में लड़ा गया था. इसके बाद 2021 का विधानसभा चुनाव भी दिलीप घोष को केंद्र में रखकर लड़ा गया था.
चाहे लोकसभा का चुनाव हो अथवा विधानसभा का चुनाव, दिलीप घोष ने पार्टी को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 2019 लोकसभा के चुनाव में भाजपा को पहली बार बंगाल में 18 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. जबकि 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 77 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बीच भाजपा पार्टी में तृणमूल कांग्रेस के कई नेता शामिल हुए. उनमें शुभेंदु अधिकारी भी शामिल थे.
2024 के लोकसभा चुनाव में केंद्रीय नेतृत्व ने सुकांत मजूमदार और सुवेंदु अधिकारी को पार्टी की जिम्मेदारी सौंप दी थी.इससे भाजपा के कई पुराने कार्यकर्ता नाराज थे. इनमें से दिलीप घोष भी शामिल थे. बाद में भाजपा के कई कार्यकर्ताओं ने शुभेंदु अधिकारी पर भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं की अवहेलना करने का आरोप लगाया. अब लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुका है और भाजपा की पराजय भी. ऐसे में शुभेंदु अधिकारी पर आरोप लगाने वाले भाजपा के कई और नेता सामने आएंगे. दिलीप घोष ने इसकी शुरुआत कर दी है. अब देखना है कि केंद्रीय नेतृत्व बंगाल भाजपा में उठे असंतोष पर कैसे नियंत्रण पाता है!
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