सिलीगुड़ी में सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों की एक बड़ी तादाद है.सेवक रोड, हिलकार्ट रोड, एस एफ रोड और सिलीगुड़ी के सभी छोटे बड़े इलाकों में निजी और सरकारी क्षेत्र के बैंकों की कई शाखाएं चल रही है. बैंक वाले आजकल नए-नए खाता खोलने पर जोर दे रहे हैं. वे अपनी शाखाओं से नए-नए ग्राहकों को जोड़ रहे हैं. आमतौर पर खाता धारकों के दिमाग में यही बात रहती है कि चिट फंड कंपनियां बंद हो सकती हैं, लेकिन बैंक बंद नहीं होंगे. खाता धारकों में भी अनेक लोग यह भी सोचते हैं कि सरकारी बैंक कभी भी फेल नहीं हो सकते हैं, जबकि निजी क्षेत्र के बैंक फेल हो सकते हैं.
परंतु ऐसा नहीं है. सरकारी और सहकारी बैंक भी फेल हो सकते हैं. जैसे कि आज न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक फेल हो गया. आरबीआई ने अचानक फैसला ले लिया और न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के कामकाज पर प्रतिबंध लगा दिया है. फिलहाल यह प्रतिबंध 6 महीने तक के लिए लगाया गया है. कारण यह है कि न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक पिछले दो सालों से लगातार नुकसान में चल रहा था. न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक का प्रधान कार्यालय मुंबई में है. जैसे ही ग्राहकों को पता चला कि कोऑपरेटिव बैंक को बंद कर दिया गया है, ग्राहक अपना पैसा निकालने के लिए बैंक के आगे खड़े हो गए और हंगामा करने लगे.
यह घटना आज की है. कोऑपरेटिव बैंक को बंद करने के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं दी गई थी. इसलिए इस बैंक के खाताधारक काफी परेशान नजर आ रहे हैं. आरबीआई के आदेश के अनुसार इस बैंक के खाताधारक पैसे नहीं निकाल सकते हैं. केवल ₹500000 ही बीमा राशि निकाली जा सकती है . इसके अलावा बैंक के लॉकर में रखे कीमती सामान को भी निकालने की अनुमति दे दी गई है. मुंबई का न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक कोई छोटा-मोटा बैंक नहीं है.
इस बैंक की कई शाखाएं मुंबई के अलावा सूरत, गुजरात, राजस्थान में भी है. न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में बड़े-बड़े लोगों के खाते हैं. अनेक लोगों ने इस बैंक में सैलरी अकाउंट खोल रखा है.वह भी काफी परेशान हो गए हैं. क्योंकि प्रतिबंध के बाद वह भी बैंक से लेनदेन नहीं कर सकते हैं . आरबीआई ने कहा है कि ग्राहकों के हित में यह कदम उठाया गया है. परंतु ग्राहक काफी परेशान है. क्योंकि वह पैसे नहीं निकाल सकते.
मिली जानकारी के अनुसार न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक की वित्तीय स्थिति काफी कमजोर थी. मार्च 2024 में इस बैंक को 22.78 करोड रुपए का घाटा हुआ था. जबकि 2023 में भी 30.75 करोड रुपए का घाटा बैंक को उठाना पड़ा था. फिलहाल आरबीआई ने बैंक पर 6 महीना का ही बैन लगाया है. पर लगता नहीं है कि 6 महीने के बाद भी बैंक की स्थिति में कोई परिवर्तन होने वाला है.
आरबीआई ने बैंक पर जो जो प्रतिबंध लगाए हैं, उसके अनुसार बैंक के द्वारा नए लोन जारी नहीं किया जा सकता. ग्राहक बैंक में एफडी या कोई भी डिपॉजिट स्कीम नहीं खोल पाएंगे. हालांकि बैंक कर्मचारियों के वेतन, किराए और बिजली के बिल जैसे कुछ आवश्यक मदो के संबंध में खर्च कर सकता है. आरबीआई ने बैंक को आदेश दिया है कि कोई भी जमाकर्ता बचत बैंक या चालू खाते या अन्य खाते से राशि निकाल नहीं पाए, यह सुनिश्चित किया जाए.
ऐसे में ग्राहक क्या करें. कब कौन सा बैंक फेल हो जाए, पहले से कोई पता नहीं होता. पता तभी चलता है, जब अचानक आरबीआई का फरमान जारी होता है. या बैंक में ताला लग जाता है. सिलीगुड़ी में चल रहे विभिन्न बैंकों की क्या स्थिति है, ग्राहक को यह पता नहीं चलता. ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि सरकारी बैंक फेल होगा या निजी बैंक?
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