पश्चिम बंगाल में बहुचर्चित राशन घोटाले और शिक्षक भर्ती घोटाले की गाज और किस-किस पर गिरने वाली है, यह तो समय ही बताएगा. लेकिन आज जो हुआ, उसकी कल्पना तक नहीं की गई थी. केंद्रीय जांच एजेंसियों की टीम ने इससे पहले भी सत्तारूढ दल के कई नेताओं, मंत्रियों और विधायकों को गिरफ्तार किया है. पार्थ चट्टोपाध्याय, ज्योति प्रिय मलिक जैसे मंत्री भी गिरफ्तार किए गए. शिक्षक भर्ती मामले में तृणमूल विधायक मानिक भट्टाचार्य और जीवन कृष्ण साहा को भी गिरफ्तार किया गया था. लेकिन कहीं भी अधिकारियों के साथ कोई अप्रिय घटना नहीं घटी, जो आज संदेश खाली में हुआ है.
ईडी की टीम उत्तर 24 परगना जिला अंतर्गत संदेशखाली नामक एक गांव में टीएमसी नेता शाहजहां के घर रेड डालने पहुंची, तभी वहां आक्रामक भीड़ ने ईडी अधिकारियों को घेर लिया और उन पर हमला कर दिया. ईडी अधिकारियों और केंद्रीय बलों की टीम को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा. खबर यह भी है कि स्थानीय लोगों के विरोध के बीच ईडी के एक अधिकारी का सिर भी फट गया. ईडी अधिकारियों की ओर से आरोप लगाया गया है कि इस घटना में टीएमसी के नेता शाहजहां के समर्थक शामिल थे.
वर्तमान में घायल ईडी अधिकारियों का कोलकाता के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस घटना में असिस्टेंट डायरेक्टर तथा एनफोर्समेंट अधिकारी को गंभीर चोट लगी है और वह बुरी तरह घायल बताए जा रहे हैं.उनका कोलकाता में इलाज चल रहा है. केंद्रीय जांच एजेंसी के अधिकारियों ने बनगांव नगर पालिका अध्यक्ष शंकर अघय के ठिकानों पर भी छापा मारा है. ईडी के अधिकारी जब टीएमसी नेता शाहजहां के ठिकाने पर पहुंचे, तभी यह घटना घटी.
केंद्रीय जांच एजेंसी के ऊपर हमले की घटना को लेकर विभिन्न दलों और प्रबुद्ध व्यक्तियों की ओर से ढेर सारी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. कोलकाता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा है कि राज्य में संवैधानिक बुनियादी ढांचा ध्वस्त हो गया है. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री आनंद बोस ने इस घटना की तीव्र निंदा की है. वहीं राज्य में विपक्षी दल के नेता सुवेंदु अधिकारी और राज्य भाजपा के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने घटना को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री को एक पत्र भेजा है और इस घटना की NIA से जांच की मांग की है.
कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य में कानून नाम की कोई चीज नहीं है.दार्जिलिंग लोकसभा सांसद और भाजपा के प्रवक्ता राजू बिष्ट ने भी कहा है कि पश्चिम बंगाल में कानून और व्यवस्था का पतन हो चुका है. जब जांच एजेंसियों पर हमले हो रहे हो तब आम जनता की सुरक्षा कैसे हो सकेगी! इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा है कि केंद्रीय जांच एजेंसी के अधिकारी जब लोगों को डराने धमकाने लगेंगे तो ऐसी घटना होगी ही.
राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने इस घटना के आलोक में राज्य के मुख्य सचिव बीपी गोपालिका, राज्य सचिव नंदिनी चक्रवर्ती और राज्य के डीजीपी राजीव कुमार को तुरंत पेश होने को कहा है. आप जरूर जानना चाहेंगे कि केंद्रीय जांच एजेंसी के अधिकारियों पर हमला करवाने का जिन पर आरोप लगा है , वह यानी शाहजहां कौन है. शाहजहां के बारे में कहा जा रहा है कि वह संदेश खाली विधानसभा में तृणमूल के कन्वेनर हैं. इसके अलावा उनके पास जिला परिषद के मछली और पशु मामले के निदेशक का पद भी है.
शाहजहां को राज्य मंत्री ज्योति प्रिय मलिक का करीबी भी माना जाता है. पहले शाहजहां वाममोर्चा में थे. 2011 में वाम मोर्चे को सत्ता से बेदखल कर तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आई थी. वामपंथियों के सत्ता के गलियारों से चले जाने के बाद शाहजहां ने माकपा छोड़ दिया और टीएमसी में शामिल हो गए. आरंभ में किसी पद पर भी नहीं थे. लेकिन शाहजहां के संगठनातक कौशल को एक Tmc नेता ने देख लिया. शाहजहां को तृणमूल का पद मिल गया. इसके बाद शाहजहां ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
पहली बार राज्य में केंद्रीय जांच एजेंसी के अधिकारियों पर हमले के बाद यह देखना होगा कि केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय इस घटना को कितनी गंभीरता से लेता है. इस बीच विरोधी दलों के अनेक नेताओं ने भी घटना की तीव्र निंदा की है. शुभेंदु अधिकारी ने केंद्र से हमले की घटना में सीधे हस्तक्षेप करने की मांग की है.