बस्ती कोई थोपा हुआ शब्द नहीं है. जहां अनेक लोगों के मकान रहते हैं, जहां आबादी होती है, उस क्षेत्र को बस्ती कहते हैं. यह कोई गलत शब्द नहीं है. लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बस्ती शब्द अच्छा नहीं लगता है. वह नहीं चाहती कि कोलकाता में बस्ती शब्द रखें अथवा कोई बस्ती शब्द कहे. मुख्यमंत्री ने बस्ती शब्द को प्रयास अथवा उत्तरन में तब्दील करने का निर्देश दिया है.
अवसर था कोलकाता में पूजा पंडालों के वर्चुअल उद्घाटन का. जैसा कि आप जानते हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने निवास से ही प्रशासनिक कार्य संभाल रही हैं. उन्होंने पूजा पंडालो का पिछले कई दिनों से उद्घाटन शुरू कर दिया है. एक मौके पर मुख्यमंत्री के साथ शहरी विकास मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहद हकीम भी मौजूद थे. एक पूजा पंडाल के उद्घाटन के क्रम में फिरहाद हकीम ने मुख्यमंत्री से कहा कि कोलकाता में चेतला एक बस्ती है, जो सबसे बड़ी बस्ती कहलाती है.
इस बस्ती में रहने वाले अधिकांश परिवार तृणमूल कांग्रेस के समर्थक हैं और तृणमूल कांग्रेस को वोट देते हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि वे सभी उनकी तरफ आस लगाए हुए हैं. इसी अवसर पर भावुक होकर मुख्यमंत्री ने फिरहाद हकीम को आगे बोलने से रोका और कहा कि उस क्षेत्र के लोगों को जमीन का पट्टा मिला है या नहीं? फिरहाद हकीम ने जवाब दिया, सभी को पट्टा मिल चुका है. तब उन्होंने मेयर फिरहाद हकीम को समझाया कि बस्ती शब्द उन्हें पसंद नहीं है. यह शब्द सुनने में ठीक नहीं लगता है.
फिरहाद हकीम थोड़ा हकबका गए.उन्होंने मुख्यमंत्री से इस बस्ती के लिए कोई एक नाम तय करने का अनुरोध किया. मुख्यमंत्री ने अपने मन की बात बताते हुए कहा कि वह कोलकाता में किसी भी इलाके का नाम बस्ती के रूप में देखना नहीं चाहती. उन्होंने फिरहाद हकीम को बस्ती के बजाय प्रयास अथवा उत्तरन नाम निर्धारित करने को कहा.