आम और लीची का मौसम शुरू हो चुका है. सिलीगुड़ी के बाजार में कच्चे पक्के आम तो काफी समय से दिख रहे हैं. लेकिन इन आमों का कोई स्वाद नहीं होने से ग्राहक उनकी खरीदारी में ज्यादा रूचि नहीं दिखा रहे हैं. वैसे भी कच्चे पक्के आम महंगे भी हैं. सिलीगुड़ी के खुदरा बाजार में मीठी चटनी अथवा खट्टी चटनी के लिए लोग कच्चे आम खरीद रहे हैं. फलों की दुकानों पर टोकरियों में रखकर बेचे जाने वाले पके आम खट्टे और स्वादहीन के कारण बहुत कम बिक रहे हैं. हालांकि सिलीगुड़ी के रेगुलेटेड मार्केट में बाहर से आने वाले इन आमों के खरीदार धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं.
लेकिन सिलीगुड़ी के बाजार में जिस वस्तु की सबसे ज्यादा मांग रहती है और यहां के उपभोक्ता जिस फल की सबसे ज्यादा चाहत रखते हैं, वह है शाही लीची. यहां लगभग 80% से भी ज्यादा लीची बिहार के मुजफ्फरपुर, वैशाली आदि जिलों से आती है. सिलीगुड़ी के बाजार में मुजफ्फरपुर की शाही लीची की सबसे ज्यादा मांग है. इस लीची की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि खाने में काफी स्वादिष्ट, रस भरी और संतुष्टि प्रदान करने वाली होती है. फल सामान्य से कुछ बड़े होते हैं. सिलीगुड़ी के उपभोक्ता बिहार की शाही लीची का बेसब्री से इंतजार करते हैं.
इस बीच सिलीगुड़ी के ग्राहकों के लिए एक अच्छी खबर है. बिहार की शाही लीची शीघ्र ही सिलीगुड़ी के बाजार में नजर आने वाली है. बिहार लीची उत्पादक संघ के संयोजक और अधिकारियों के अनुसार 15 मई तक बिहार की शाही लीची सिलीगुड़ी और देश के अन्य बड़े शहरों में उपलब्ध हो जाएगी. इस साल बिहार में लीची की पैदावार अच्छी है. मुजफ्फरपुर लीची का खान कहा जाता है. यहां सैकड़ो किसानों ने लीची की अच्छी खेती की है. इसलिए यह कयास लगाया जा रहा है कि लीची का रेट ज्यादा महंगा नहीं होगा. सिलीगुड़ी में बिकने वाली लीची ज्यादातर बिहार से ही आती है. सिलीगुड़ी में काम करने वाले व्यवसायी बस अथवा रेल गाड़ियों से मुजफ्फरपुर की शाही लीची मंगवाते हैं,जो यहां सिलीगुड़ी में काफी महंगी बिकती है.
बिहार शाही लीची उत्पादक संघ और बिहार सरकार दोनों ने मिलकर लीची का निर्यात करने की तैयारी पूरी कर ली है. सिलीगुड़ी, कोलकाता, मैसूर, बेंगलुरु, दिल्ली आदि शहरों में बिहार की शाही लीची निर्यात की जाती है. संघ के पदाधिकारियों के अनुसार इस बार लीची की मुख्यतः दो कैटेगरी होगी. कंज्यूमर पैक में 1 किलो जबकि फैमिली पैक में 5 किलो की लीची होगी. अलग-अलग ग्राहकों के हिसाब से अलग-अलग पैकिंग में उपलब्ध होगी. संघ के अधिकारियों का कहना है कि इस बार उपभोक्ताओं को ताजी लीची उपलब्ध होगी. यानी लीची के खरीदार लीची को ऐसे प्राप्त करेंगे जैसे अभी-अभी पेड़ से तोड़कर लाए गए हो.
इसके लिए हर्बल मिक्सिंग पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है. यह लीची को सूखने अथवा खराब होने से बचाती है. यह विशेष प्रकार का रसायन होता है. इसके प्रभाव में लीची की पत्तियां और फल एकदम ताजे अनुभव होते हैं. ऐसी शाही लीची खाने के लिए बस कुछ दिनों का इंतजार करें.अगले 10 से 15 दिनों में शाही लीची सिलीगुड़ी के बाजारों में दिखने लगेगी. जबकि 15-20 दिनों में शाही लीची बाजार में सर्वत्र उपलब्ध हो जाएगी.
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