कौन सुनेगा तिरहाना चाय बागान के श्रमिकों की फरियाद!
तन ढकने को साबूत कपड़े नहीं… मुर्गी के दरबों जैसे मकान… जहां बरसात का पानी उनके सर पर गिरता है. जंगल में रहने वाले ये श्रमिक प्राकृतिक विपदाओं के साथ-साथ जंगली जानवरों से भी जूझते रहते हैं. बागान उनका मंदिर है और वह बागान के भक्त हैं. लेकिन मंदिर में अब भक्त को प्रसाद नहीं […]