अगर मौसम विज्ञान विभाग की भविष्यवाणी सच साबित होती है तो जल्द ही सिक्किम समेत देश के दूसरे प्रदेशों को बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं का एक बार फिर से सामना करना पड़ सकता है तेज हवाओं के बीच भारी बारिश के बीच भूस्खलन की घटनाएं भी देखी जा सकती है मानसून की विदाई हो चुकी है. फिर भी मानसून असर दिखा रहा है. बे मौसम की बरसात अच्छी नहीं लगती. लेकिन लोगों को झेलना ही पड़ता है. वास्तव में इन सभी के पीछे वैज्ञानिक कारण है. विकास के चलते प्रकृति से खिलवाड़ और लोगों द्वारा कर्तव्य में पालन की कमी, हार्वेस्टिंग ना होना ऐसे कई कारण है जो लोगों के लिए एक नई मुसीबत बन रहे हैं.
सिक्किम समेत देश के पूर्वोत्तर राज्यों, मध्य भारत, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा आदि राज्यों में अगले कुछ दिनों तक विदा हो रहा मानसून तबाही मचा सकता है. इसकी बड़ी संभावना व्यक्त की गई है. बंगाल की खाड़ी में डिप्रेशन पैदा हुआ है, जो एक चकरी की तरह ही तेजी से दक्षिण पूर्व और पश्चिम, दिल्ली की तरफ बढ़ रहा है. आंधी और तूफान के साथ भारी बारिश की संभावना प्रबल होती जा रही है. बिहार, उत्तर प्रदेश इसके रास्ते में आएंगे. भारी बारिश इन राज्यों में हो सकती है.
आमतौर पर देखा जाता है कि विदा हो रहा मानसून तबाही मचाता ही है.भारी बारिश से बाढ़ बाढ़ आ सकती है. पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में भारी बारिश हो सकती है. पुरुलिया, हुगली मेदिनीपुर आदि जिलों में भारी बारिश होगी. समुद्र से 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल रही है. सिक्किम में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश, बिजली गिरने की घटनाएं घट सकती हैं. यानी एक बार सिक्किम का फिर से स्वास्थ्य खराब होने वाला है. जब-जब यहां तेज बारिश और बिजली गिरने की घटनाएं होती है, भूस्खलन भी होता है.
अगर यहां भूस्खलन होता है तो एक बार फिर से सिलीगुड़ी से सिक्किम का आवागमन अवरुद्ध हो सकता है. बाढ़ की भी आशंका व्यक्त की गई है क्योंकि भारी बारिश होगी तो तीस्ता में बाढ़ बाढ़ आ सकती है एक बार फिर से सिक्किम की जीवन रेखा माना जाने वाला NH-10 बंद हो सकता है. इस समय सिक्किम विकास की दिशा में कार्य कर रहा है. किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं है कि अगर यहां भूस्खलन या बाढ जैसी आपदा आती है तो एक बार फिर से विकास कार्यों को बाधा पहुंचेगी. मौसम विज्ञान विभाग की ओर से जैसा संकेत दिया जा रहा है उसके बाद सिक्किम सरकार भी अलर्ट हो गई है.
विदा होते मानसून को लेकर इस बीच वैज्ञानिकों की एक स्टडी भी सामने आई है. इसमें कहा गया है कि बे मौसम बारिश अथवा बाढ जैसी आपदा का मुख्य कारण कंक्रीट और जंगल के बीच असंतुलन है. कार्बन उत्सर्जन बढ़ने से भी यह स्थिति उत्पन्न हुई है. वैज्ञानिकों के अनुसार इस सदी के अंत तक बारिश की मात्रा बढ़ जाएगी.
अगले कुछ दिनों तक अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, असम, त्रिपुरा, झारखंड, उड़ीसा ,बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दक्षिण राज्यों इत्यादि में आंधी, पानी और बिजली गिरने की घटनाएं घट सकती है. एक बार फिर से भारत में आपदा आने वाली है. मौसम विज्ञान विभाग की भविष्यवाणी को देखते हुए लोगों को सतर्क हो जाने की जरूरत है.