हर व्यक्ति का कोई ना कोई शौक होता है. किसी को मछली पकड़ने का शौक होता है तो कोई सेल्फी का शौक रखता है. किसी को तैराकी का शौक तो किसी को एडवेंचरस ड्राइविंग का शौक. शौक कोई भी हो, उसको अंजाम देने से पहले उसकी सुरक्षा और संतुलन का ख्याल रखना जरूरी होता है. अध्ययन कर्ता कहते हैं कि शौक पूर्ति के क्रम में विवेक शक्ति और सुरक्षा की चिंता करना जरूरी होता है.
वर्तमान में नवयुवकों में सेल्फी का शौक कुछ इस कदर चढ़ा हुआ है कि एक बच्चा तक कुछ ऐसा करना चाहता है कि किसी तरह वह चर्चा का विषय बन जाए. फेसबुक और सोशल मीडिया के इस युग में बच्चे और नौजवान ऐसे ऐसे सेल्फी स्टंट को जन्म दे रहे हैं, जिनसे उनकी जान जाने का खतरा बढ़ जाता है. सुरक्षा का ध्यान रखे बगैर इन नौजवानों का एकमात्र उद्देश्य इन सेल्फीयों के जरिए विशाल संख्या में लोगों का ध्यान आकर्षित करना. बिहार के खगड़िया जिले की घटना में कई बच्चों की डूबने से मौत हो गई. वे सभी सेल्फी के क्रम में गंगा घाट पर एकत्र हुए थे और नदी की जलधारा में बह गए.
पश्चिम बंगाल, सिक्किम, दार्जिलिंग आदि पहाड़ी क्षेत्रों में भी नौजवानों में विचित्र विचित्र शौक देखे जा सकते हैं. सेल्फी के दौरान स्टंट करने, मोटरसाइकिल स्टंट, तीव्र गति से गाड़ी भगाना, नदी की जलधारा के बीच मछली पकड़ना, यह सभी घटनाएं आए दिन देखने सुनने को मिलती है. इन घटनाओं में किसी की जान चली जाती है तो कोई जीवन भर के लिए विकलांग बन जाता है. आपको याद होगा ही कि कुछ अरसा पहले सेल्फी के चक्कर में तीस्ता नदी में फिसल कर गिरने से कुछ लोगों की मौत हो गई थी. अगर सेल्फी को सुरक्षित तरीके से रखा जाए तो यह एक अच्छा शौक बन जाता है. लेकिन जब स्टंट की इच्छा पाले नौजवान ऐसा करते हैं तो उनकी जिंदगी का जोखिम बढ़ जाता है. जैसे कि पहाड़ में माझी गांव में र॔फू नदी में हादसा हुआ है.
पहाड़ के नौजवान जोशीले और साहसिक होते हैं. छुट्टियों में मछली मारना, पिकनिक करना उनका प्रिय शौक होता है. इस क्रम में चार-पांच नौजवान एकत्र हो जाते हैं और नदी में पिकनिक मनाने अथवा मछली पकड़ने चले जाते हैं. 18 मई को तीन नौजवान र॔फू नदी में मछली मारने गए. लेकिन मछली मारने के चक्कर में अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना भी भूल गए. अचानक ही नदी का जल स्तर बढ़ा और तीन नौजवान उसमें डूब गए. हालांकि तीस्ता रंगीत रेस्क्यू टीम के द्वारा नौजवानों को बचा लिया गया है. सभी नौजवान 22 साल से लेकर 24 साल के बीच के हैं.
इस तरह के शौक किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराए जा सकते हैं. पश्चिम बंगाल में पश्चिम बंगाल सरकार सेफ ड्राइव सेफ लाइफ अभियान चला रही है. वर्षों से यह अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन लोगों को इसलिए इसका लाभ नहीं मिल रहा है क्योंकि तेज गति से वाहन चलाना कुछ लोगों का शौक बन जाता है.ऐसे में दुर्घटनाएं होनी स्वाभाविक हैं. भला ऐसा शौक क्या, जिसमें किसी व्यक्ति की जान ही चली जाए. इसके लिए ऐसे शौक रखने वाले नौजवानों को जागरूक करना जरूरी है. पिछले 1 साल में सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में तेज गति से वाहन चलाने और यातायात नियमों का पालन न करने के क्रम में कई सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं.
आज भी सिलीगुड़ी की सड़कों पर देर रात नौजवानों के द्वारा हाथ छोड़कर गाड़ी चलाना, तेज गति से गाड़ी भगाना जैसे स्टंट देखे जा सकते हैं. जिस तरह से सेल्फी, शौक और स्टंट के क्रम में दुर्घटनाएं और जान का खतरा बढ़ रहा है, ऐसे में नागरिक समाज और प्रशासन की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है. ऐसे जोखिम वाले शौक को छोड़ने और नियमबद्ध जीवन के लिए युवाओं को प्रेरित और जागरूक करना जरूरी है.
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