जलपाईगुड़ी जिले के एक 17 साल के लड़के ने मछली पकड़ने का अनोखा तरीका अपनाया. मछली तो हाथ नहीं आई, लेकिन वह अपनी जान गवा बैठा. मछली पकड़ने के क्रम में वह नदी के जल में गिर पड़ा, जहां विद्युत स्पर्शाघात से उसकी मौत हो गई.
हालांकि पहाड़ और Dooars के लिए यह कोई अजूबा नहीं है. यहां अधिकांश लड़के इसी तरीके से नदी के पानी से मछलियां पकड़ते हैं. इसके लिए वह एक इनवर्टर का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें एक मेटल हुक लगा होता है. इसमें विद्युत का संचार होता है. इसी से वे जल की सतह में तैरती भागती मछलियों को इलेक्ट्रिक शॉट देते हैं. पहाड़ और Dooars इलाके में मछलियां पकड़ने का यह परंपरागत तरीका माना जाता है. हालांकि यह तरीका पूरी तरह से अवैध और खतरनाक है.
नागराकाटा इलाके में हिला टी एस्टेट स्थित है. 17 वर्षीय राहुल मुंडा यही रहता था. उस दिन वह अपने 3 दोस्तों के साथ मछली पकड़ने के लिए जीती नदी में गया था. दूसरे बच्चों की तरह उसने भी मछली पकड़ने का वही पुराना तरीका अपनाया. उसने इनवर्टर और मेटल हुक का सहारा लिया. अचानक उसके पांव नदी के जल में फिसल गए और वह नदी में गिर पड़ा. देखते देखते विद्युत की चपेट में आने से उसके पूरे शरीर में करंट दौड़ने लगा. कुछ देर के बाद उसकी मौत हो गई.
पहाड़ और Dooars इलाके में आमतौर पर मछुआरे इसी तरीके से तालाबों और नदियों में मछली पकड़ते हैं, जो अत्यंत ही घातक और जानलेवा तरीका है. थोड़ी सी चूक हुई नहीं कि जान जा सकती है. पहले भी इस तरह की घटना इन इलाकों में घटी है. लेकिन इसके बावजूद लोग और खासकर बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर मछली पकड़ने के लिए यह तरीका अपनाते हैं.
माल बाजार, मेटली, उदलाबाड़ी, क्रांति, सेवक और पहाड़ के कुछ इलाकों में कई बच्चों के लिए यह मनोरंजन और शौक भी है. हालांकि विशेषज्ञ ऐसे शौक और मनोरंजन को अत्यंत घातक मानते हैं और बच्चों को इनसे बचने की सलाह देते हैं. स्थानीय इलाकों में जागरूकता की भी कमी दिखती है, जिसके कारण बच्चों की इस पारंपरिक विधा पर रोक लगाने का कोई उपाय नहीं हो रहा है.
स्थानीय चाय बागान के एक निवासी मुस्तकीम मियां बताते हैं कि मछली पकड़ने का यह तरीका पूरी तरह से अवैध है. उन्होंने कहा कि प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए और इनवर्टर्स से मछली पकड़ने के तरीके पर विराम लगाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज हमने एक बच्चा खोया है, लेकिन अगर यह सिलसिला आगे जारी रहता है तो बहुत से लोग अपनी जान गवा सकते हैं.
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर बच्चे के शव को बरामद कर आगे की जांच पड़ताल शुरू कर दी है. बच्चे के शव को जलपाईगुड़ी के जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा चुका है. जलपाईगुड़ी के Dooars क्षेत्र के एक पर्यावरणविद श्याम प्रसाद पांडे के अनुसार बच्चों में मछली पकड़ने की यह प्रवृत्ति काफी घातक है. विद्युत स्पर्श घात कभी भी हो सकता है. इसलिए इस पर रोक लगनी चाहिए. यह इकोसिस्टम को भी नष्ट करता है. उन्होंने कहा कि प्रशासन को जल्द ही इस पर कार्रवाई करने की जरूरत है.
जलपाईगुड़ी के जिला मजिस्ट्रेट शमा परवीन ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट फिशरीज डिपार्टमेन्ट इस मामले को देखेगा. जिला मत्स्य विभाग को कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिया गया है. शमा परवीन ने कहा कि बच्चों और बड़ों को जान जोखिम में डालने वाली घटनाओं से बचाने के लिए अविलंब कदम उठाए जाएंगे. यह पूरी तरह से गैर कानूनी तरीका है. बहरहाल इस घटना के बाद इलाके में मातम पसरा है.
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)