आज एक बार फिर से पहाड़ के चाय बागान श्रमिकों ने दार्जिलिंग, कर्सियांग और पहाड़ के विभिन्न इलाकों में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया. दूधिया में उन्होंने पथावरोध किया. पुलिस ने बागान श्रमिकों को चेताया, तो वहीं कर्सियांग में भी चाय श्रमिकों के द्वारा जगह-जगह पथावरोध देखा गया. जबकि दार्जिलिंग में उनकी तरफ से एक विशाल रैली निकाली गई. इस रैली का नेतृत्व समन पाठक कर रहे थे. दरअसल यहां की चाय बागान श्रमिक यूनियनें 20% बोनस की मांग पर अडिग है.
आपको बताते चलें कि राज्य श्रम विभाग ने दार्जिलिंग, कर्सियांग और कालिमपोंग के चाय बागानों के श्रमिकों को 16% बोनस देने के लिए एक गाइडलाइंस जारी किया था. उत्तर बंगाल के समतल और Dooars के चाय बागानों के श्रमिकों को भी 16% बोनस दिया जा रहा है. लेकिन पिछले दो दिनों से जलपाईगुड़ी जिले के विभिन्न चाय बागानों में श्रमिकों के द्वारा बोनस संबंधित विभिन्न मुद्दों को लेकर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है.
आज ग्रासमोड़ चाय बागान के श्रमिकों ने बोनस को लेकर बागान पर धरना दिया. उधर पहाड़ के चाय बागान श्रमिक 20% बोनस की मांग करते आ रहे हैं. इस मसले का हल निकालने के लिए पहाड़ के क्षेत्रीय राजनीतिक संगठनों के नेताओं ने कई बार पहल भी की है. इसके लिए अब तक 5 बार त्रिपक्षीय बैठक हो चुकी है. लेकिन नतीजा नहीं निकला.
मंगलवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहल पर राज्य के मुख्य सचिव ने श्रम विभाग को मामले को सुलझाने के लिए कहा. श्रम विभाग के अधिकारियों की पहल पर डागापुर स्थित श्रमिक भवन में राज्य श्रम विभाग और टी एडवाइजरी बोर्ड के बीच बैठक हुई. जिसमें चाय बागान श्रमिकों को 16% बोनस देने का फैसला किया गया. इस पर चाय बागान यूनियन की कोई राय नहीं ली गई और पहले ही मीडिया के जरिए यह मामला उजागर हो गया.
ट्रेड यूनियनों के द्वारा इसी बात को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए बैठक का बहिष्कार करते हुए सड़कों पर उतरने का फैसला किया गया . यूनियन नेता इस बात से आहत है कि बोर्ड बैठक में उनकी कोई राय नहीं ली गई. जहां तक यह उचित भी है. क्योंकि ऐसे मामलों में यूनियन पक्ष का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. उत्तर बंगाल के चाय बागानों के लिए मालिक पक्ष ने 16% बोनस देने का फैसला कर लिया है तथा समतल और Dooars के चाय बागान श्रमिक इस पर सहमत हो चुके हैं, परंतु पहाड़ का मामला कुछ अलग है. यह चाय बागान श्रमिकों की भावनाओं से भी जुड़ा हुआ है. यही कारण है कि वे 20% बोनस की मांग पर आज पहाड़ में जगह-जगह प्रदर्शन और पथावरोध कर रहे थे.
कल ही हमने खबर समय में पहाड़ के चाय बागान श्रमिकों की माली हालत तथा उन्हें पहाड़ की राजनीति के शिकार होते एक लेख प्रसारित किया था. राज्य सरकार चाहती है कि जल्द से जल्द यह मुद्दा हल हो सके ताकि पूजा से पहले चाय बागान के श्रमिकों को 16% बोनस का भुगतान हो जाए. परंतु चाय बागान श्रमिक अपनी पुरानी मांग पर अड़े हुए हैं. राज्य सरकार चाहती है कि श्रमिकों को बोनस भुगतान 4 अक्टूबर तक कर दिया जाए. लेकिन यहां तो मामला ही पूरा फंस गया है.
आज कर्सियांग में पथावरोध के बाद चाय बागान श्रमिकों ने दूधिया में भी आते जाते वाहनों को रोका. इस पर स्थानीय पुलिस नाराज हो गई और चाय बागान श्रमिकों के साथ सख्ती से पेश आने लगी. पुलिस का कहना है कि जबकि चाय बागान श्रमिक 16% बोनस पर सहमत हो गए हैं तो वह फिर आंदोलन क्यों कर रहे हैं. इससे सामान्य लोगों को तकलीफ होती है. पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि अगर चाय बागान श्रमिकों ने स्वयं में सुधार नहीं लाया तो उनकी गिरफ्तारी भी की जा सकती है.
ऐसा लगता है कि आज से लेकर कल तक अगर पहाड़ के चाय बागान श्रमिक इस पर सहमत नहीं होते हैं तो शायद यह मामला अधर में लटक सकता है. बेहतर होता कि चाय बागान श्रमिक नेताओं को सोच समझकर और समझबूझकर इस मामले का हल निकाल लेना चाहिए. पूजा से पहले मामले का निपटारा कर लेना ही चाय बागान श्रमिकों के हक और हित में है.
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