एक कहावत तो आपने सुनी ही होगी. घर का भेदी लंका ढाए. रावण मारा नहीं जाता, अगर विभीषण ने रावण की कमजोर नस भगवान श्री राम को बताई नहीं होती. मौका रामनवमी का है. इसलिए यह उदाहरण देना ठीक रहेगा. दार्जिलिंग संसदीय सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार मुनीष तमांग हैं. लेकिन मुनीष तमांग की ही टांग खींचने में जुट गए हैं, पश्चिम बंगाल कांग्रेस के राज्य महासचिव विनय तमांग. विनय तमांग ने भविष्यवाणी कर दी है कि दार्जिलिंग सीट कांग्रेस हारने जा रही है.
विनय तमांग के इस बयान के बाद कांग्रेस महकमे में हलचल व्याप्त है.कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता चकराए हुए हैं. विरोधी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार मस्त हैं. वैसे भी राजनीतिक विश्लेषक बता रहे हैं कि कांग्रेस पहले भी दार्जिलिंग सीट पर कहीं नहीं थी. लेकिन विनय तमांग को लगा कि अगर उन्हें उम्मीदवार बनाया जाता तो शायद कांग्रेस यहां से चुनाव जीत सकती थी.
लोकसभा चुनाव से काफी पूर्व विनय तमांग को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई गई थी. लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने विनय तमांग को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई थी. विनय तमांग कांग्रेस की पोल खोलते हुए बताते हैं कि उस समय कांग्रेस की ओर से उनकी तरफ से रखी गई कुछ शर्तों को मान लिया गया था. उनकी सभी शर्तें दार्जिलिंग और गोरखा लोगों के हित में थी. अधीर रंजन चौधरी ने उन्हें आश्वस्त किया था कि कांग्रेस उनके मुद्दों पर विचार करेगी.
जब लोकसभा चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से उम्मीदवारों की घोषणा की जा रही थी, तब कांग्रेस की ओर से संभावित उम्मीदवार के रूप में कुछ नाम प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भेजे गये थे. उनमें से एक नाम उनका भी था. कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार के नाम के ऐलान में विलंब होते देखकर शंकर मालाकार, दिलीप प्रधान,दावा नरबुला, विनय तमांग आदि कांग्रेस नेताओं ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को पत्र लिखा. इसके बाद कांग्रेस की ओर से जिस उम्मीदवार के नाम का ऐलान किया गया, वह एक बाहरी उम्मीदवार था और उसकी उम्मीद नहीं की गई थी.
मुनीष तमांग के नाम का ऐलान होने के बाद एक तरफ विनय तमांग भौचक रह गए, तो दूसरी तरफ कांग्रेस कार्यकर्ता और समतल व पहाड़ के नेता भी हतप्रभ रह गए. विनय तमांग ने कह दिया कि वह कांग्रेस उम्मीदवार मुनीष तामांग का समर्थन नहीं करेंगे. हालांकि बाद में वह मान गए. दार्जिलिंग सीट से कांग्रेस ने विनय तमांग को उम्मीदवार क्यों नहीं बनाया, इसकी पोल खोलते हुए विनय तमांग ने इसके लिए अजय एडवर्ड को जिम्मेदार ठहराया है.
अखिल भारतीय कांग्रेस चुनाव कमेटी दार्जिलिंग सीट से अजय एडवर्ड को उतारना चाहती थी. लेकिन कांग्रेस की शर्त यह थी कि सर्वप्रथम अजय एडवर्ड कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करें. उसके बाद उनके नाम का ऐलान होगा. लेकिन अजय एडवर्ड ने ऐसा नहीं किया. क्योंकि दार्जिलिंग में अजय एडवर्ड हाम्रो पार्टी के प्रेसिडेंट हैं और पहाड़ में उनका अच्छा खासा प्रभाव है. तब कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने अजय एडवर्ड से भावी उम्मीदवार के बारे में विचार विमर्श किया. इसके बाद अजय एडवर्ड ने मुनीश तमांग को कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारने की सलाह दी. मुनीष तमांग अजय एडवर्ड के अच्छे दोस्त हैं.
विनय तमांग को धीरे-धीरे पता चल गया है कि कांग्रेस ने उन्हें हाशिए पर धकेल दिया है. वह खुद को उपेक्षित महसूस करने लगे हैं. कुछ समय पहले टेट मामले में उन पर fir और सीबीआई जांच की भी बात चल रही है. इससे परेशान विनय तमांग की परेशानी को कांग्रेस ने और बढ़ा दिया है. ऐसे में विनय तमांग ने कांग्रेस की औकात दिखाने का अभियान छेड़ दिया है. विनय तमांग कहते हैं कि कांग्रेस सबसे पुरानी पार्टी थी. कांग्रेस ने उन्हें प्रदेश कांग्रेस का महासचिव बनाया. लेकिन उम्मीदवार अथवा कांग्रेस के अन्य मामलों में उनकी कभी राय नहीं ली गई.
विनय तमांग कहते हैं कि कांग्रेस ने दो बड़ी भूल की है. एक तो कांग्रेस ने पैराशूट उम्मीदवार चुनाव में उतारा है, जो कभी जीत नहीं सकता और दूसरा कांग्रेस ने पॉलिटिकल सुसाइड किया है. विनय तमांग के अनुसार उन्होंने कांग्रेस के घोषणा पत्र में दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदु शामिल करने का सुझाव दिया था. लेकिन कांग्रेस ने उनके किसी भी एक अहम मुद्दे को घोषणा पत्र में शामिल नहीं किया. विनय तमांग यह भी चाहते थे कि दार्जिलिंग सीट से कांग्रेस प्रियंका गांधी को टिकट दे. लेकिन कांग्रेस ने उनकी कोई भी मांग अथवा राय से सहमति नहीं जताई.
विनय तमांग द्वारा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस की पोल खोलने से राजनीतिक विश्लेषक इसे कांग्रेस के लिए एक सुसाइड बम की तरह मान रहे हैं. जबकि विपक्षी खेमे में उत्साह व्याप्त है. तृणमूल कांग्रेस ने इसे कांग्रेस का अंदरूनी मसला बताया है तो दूसरी तरफ भाजपा ने भी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है. जानकार मानते हैं कि विनय तमांग को चुनाव से पहले सब्र से काम लेना चाहिए था. राजनीति के लिए यह अच्छी बात नहीं है. लेकिन विनय तमांग को लगता है कि कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए यही उचित मौका था. उनके अनुसार कांग्रेस ने उन्हें धोखा दिया है.
अब सवाल यह है कि कांग्रेस के विभीषण बने विनय तमांग को क्या कांग्रेस पार्टी में रख पाएगी या फिर उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया जाएगा या आखिर में विनय तमांग को कांग्रेस से निकाल दिया जाएगा? क्या विनय तमांग ने कांग्रेस छोड़ने का यह एक अच्छा बहाना बनाया है? अगर विनय तमांग ने कांग्रेस छोड़ने के लिए यह सब किया है तो सवाल यह भी है कि वह किस पार्टी की ओर रुख करेंगे? क्या टीएमसी में जाएंगे या फिर भाजपा में अपना लाभ देखेंगे? आने वाले समय में इसका भी खुलासा हो जाने वाला है.
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