सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग का दार्जिलिंग प्रेम कोई नई बात नहीं है. मुख्यमंत्री अक्सर निजी दौरे पर दार्जिलिंग आते हैं. जानकार मानते हैं कि प्रेम सिंह तमांग का दार्जिलिंग प्रेम कई कारणों से है. उनमें से एक कारण दार्जिलिंग में हुई उनकी शिक्षा-दीक्षा भी है. प्रेम सिंह तमांग ने 1988 में दार्जिलिंग सरकारी कॉलेज से कला स्नातक की डिग्री और उपाधि हासिल की थी.
सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग एक बार फिर से दार्जिलिंग आए हैं. यह उनका पूरी तरह से निजी दौरा है.उन्होंने दार्जिलिंग के तकभर में गुरुदेव नीमा होइसर के दर्शन किए. उनके आवास पर उन्होंने लगभग आधा घंटा बिताया और गुरुदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया. प्रेम सिंह तमांग के साथ उनकी पत्नी कृष्णा राई भी थी. प्रेम सिंह तमांग अपने गुरु नीमा होइसर से काफी प्रभावित हैं. उन्होंने अपने गुरुदेव के स्वास्थ्य की जानकारी ली है.
दार्जिलिंग के एक एक कतरे से प्रेम सिंह तमांग का रिश्ता रहा है. विद्यार्थी जीवन में दार्जिलिंग में उन्होंने काफी समय बिताया है. इसलिए यहां की एक एक चीज और एक एक व्यक्ति आज भी उन्हें दार्जिलिंग खींच कर ले आते हैं. राजनीति में आने से पहले प्रेम सिंह तमांग एक शिक्षक थे.
दार्जिलिंग भी अपने प्रिय नेता और सिक्किम के मुख्यमंत्री का तहे दिल से स्वागत करता है. दार्जिलिंग दौरे के दौरान मुख्यमंत्री का यहां के विभिन्न संगठनों ने भव्य स्वागत किया है. नीमा होइसर तुलकू पेमा छोइलिंग गुमपा निर्माण समिति तकभर की ओर से मुख्यमंत्री का अभिनंदन किया गया.
दार्जिलिंग में प्रेम सिंह तमांग ने विभिन्न स्थानों की यात्रा की है. उन्होंने सिंहमारी स्थित संत जोसेफ स्कूल में भी काफी वक्त बिताया. इस स्कूल से उनका पुराना नाता रहा है. यही कारण है कि इस स्कूल के विकास के लिए आज भी वह योगदान देते रहे हैं.
कुछ समय पहले जब प्रेम सिंह तमांग दार्जिलिंग आए थे तो उन्होंने इस स्कूल का चक्कर लगाने के क्रम में स्कूल के खेल मैदान को स्कूल से जोड़ने के लिए एक फ्लाईओवर बनाने का वादा किया था. वर्तमान में फ्लाईओवर का काम जोरों से चल रहा है. प्रेम सिंह तमांग ने कार्य का निरीक्षण किया और काफी संतुष्ट हुए. यहां उन्होंने लगभग एक घंटा समय बिताया.
दार्जिलिंग शहर में मुख्यमंत्री गोले के अनेक परिचित और रिश्तेदार रहते हैं. वे जब भी दार्जिलिंग आते हैं, तो अपने परिचित के यहां जाना नहीं भूलते. उनके साथ कुछ पल बिताना उन्हें काफी अच्छा लगता है. आज भी गोले यहां विक्रम राई के घर गए और दोपहर का भोजन किया.
हंसमुख और विनम्र गोले का दार्जिलिंग के विभिन्न संगठनों में दार्जिलिंग फुटबॉल सोसाइटी,महाकाल मंदिर पूजा समिति के साथ-साथ विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने मुलाकात की और उनका स्वागत किया है. दार्जिलिंग के लोग कहते हैं कि जब भी गोले यहां आते हैं, कुछ ना कुछ देकर ही जाते हैं. राजनेताओं को गोले के व्यवहार और संस्कृति से जरूर सीख लेनी चाहिए.
आज के समय में जब नेता मतलबी होते जा रहे हैं, वहां गोले का दार्जिलिंग प्रेम और सादगी एक उदाहरण है उन नेताओं के लिए जो स्वार्थ लोलुपता में ही अपना राजनीतिक भविष्य तलाश करते रहते हैं.