April 16, 2025
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बंगाल में उठने लगी राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग!

मुर्शिदाबाद हिंसा तथा राज्य में अन्य जगहों में हुई अप्रिय घटनाओं के बाद राजनीतिक गलियारे में बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग उठने लगी है. पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने भी राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है. उन्होंने अपने एक बयान में कहा है कि ऐसा नहीं लगता कि पश्चिम बंगाल में लोकतांत्रिक सरकार है. ऐसा लगता है कि वहां रोहिंग्या की सरकार चल रही है. इसलिए कानून एवं व्यवस्था लागू करने के लिए बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाना चाहिए.

पुरुलिया से भाजपा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर राज्य के कुछ सीमावर्ती जिलों को सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम अफसपा के तहत अशांत क्षेत्र घोषित करने का आग्रह किया है. यह सारा विवाद वक्फ कानून से उपजा हुआ है. हालांकि पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी है कि यहां वक्फ कानून लागू नहीं होगा. इसके बावजूद यहां हिंसा होना दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा.

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने गृह मंत्रालय को एक पत्र लिखा है. जिसमें मुर्शिदाबाद की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी दी गई है.राज भवन के सूत्रों के अनुसार मुर्शिदाबाद में क्या हुआ और किस तरह से जिले के कुछ इलाकों में तनाव बढ़ा, इसका जिक्र किया गया है. राज्यपाल द्वारा केंद्र को भेजे गए पत्र के बाद ही कयास लगाए जा रहे हैं कि मौजूदा हालात को देखते हुए गृह मंत्रालय की ओर से कोई बड़ा कदम उठाया जा सकता है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी आज दिन भर इसी बात की चर्चा हो रही है.

इस बीच राज्य सरकार ने कथित रूप से हिंसा प्रभावित इलाकों में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए हैं. 23 पुलिस अधिकारियों को मुर्शिदाबाद में तैनात करने का फैसला किया है. इन अधिकारियों को ऐसे मामलों में कानून व्यवस्था की स्थिति से निपटने में विशेष कौशल और अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड हैं. पिछले दिनों राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था द्वारा एक अधिसूचना जारी की गई थी. उसके बाद से ही हिंसा प्रभावित इलाकों में कठोर कदम उठाए जा रहे हैं. अब तक 180 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि दहशत के कारण मुर्शिदाबाद से सैकड़ो लोग मालदा पहुंचकर शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं. केंद्रीय बलों की 15 कंपनियां तैनात कर दी गई है. आवश्यकता अनुसार और कंपनियों को तैयार रहने के लिए कहा गया है.

राज्य के डीजीपी ने कहा है कि लोग अफवाहों पर ध्यान ना दें. हिंसा से बचने के लिए यह जरूरी भी है कि लोग सुनी सुनाई बातों पर ध्यान ना दें. पिछले दिनों सिलीगुड़ी में भी चरक पूजा को लेकर एक ऐसी घटना घटी कि समय रहते उसे संभाल लिया गया अन्यथा यहां भी अशांति की स्थिति उत्पन्न हो सकती थी. सिलीगुड़ी के पुलिस कमिश्नर ने सिलीगुड़ी नगर निगम के अंतर्गत चार नंबर वार्ड की घटना को केंद्र कर आनन फानन में उपयुक्त व्यवस्था की और करके लोगों से अपील की है कि वह किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान ना दें.

राज्य में जिस तरह का वातावरण बनाया जा रहा है, उसके बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या यहां पर राष्ट्रपति शासन लागू होगा. राष्ट्रपति शासन यानी अनुच्छेद 356 का प्रयोग करना. यह केंद्र सरकार को किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र के विफल होने पर उस राज्य की सरकार को बर्खास्त करके केंद्र के प्रत्यक्ष नियंत्रण में शासन स्थापित करने की शक्ति देता है. सवाल यह है कि क्या बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने लायक स्थिति है? क्योंकि यह कोई पहला मौका नहीं है जब राज्य में हिंसा हुई है. इससे पहले भी कानून व्यवस्था के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग कर चुकी है. हाल ही में आरजीकर मामले में भी भाजपा ने राष्ट्रपति शासन की मांग की थी.

किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन तब लगाया जाना चाहिए, जब राष्ट्रपति को यह विश्वास हो कि राज्यों में शासन संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा रहा. दूसरे शब्दों में यह कहें कि इसका इस्तेमाल यहां तब किया जाना चाहिए, जब राष्ट्रपति को राज्यपाल की रिपोर्ट अथवा अन्य स्रोतों से यह विश्वास हो जाए कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य नहीं कर पा रही है. सरल शब्दों में कहें तो राज्य में स्थिति ऐसी हो गई है कि यहां कानून व्यवस्था का व्यापक रूप से उल्लंघन हो रहा हो. फिलहाल कुछ इलाकों को छोड़ दिया जाए तो संपूर्ण राज्य में ऐसी स्थिति नहीं है. बंगाल सरकार को भी चाहिए कि राज्य में हिंसा भड़काने के जिम्मेदार तत्वों की पहचान करके कठोर कार्रवाई करें. चाहे वह किसी भी दल का व्यक्ति क्यों ना हो. क्योंकि कई बार ऐसे मामलों में बाहरी ताकते अपना खेल कर जाती हैं. मुख्यमंत्री को इसका ध्यान जरूर रखना चाहिए.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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