सिलीगुड़ी में एक बार फिर से सिटी बस चलाने की मांग उठने लगी है. इसका कारण शहर के विभिन्न इलाकों में अनियंत्रित परिमाण से चल रहे अवैध टोटो हैं. इनके कारण आए दिन जाम का सामना करना पड़ता है. एक तो ठंड का मौसम, ऊपर से टोटो का सड़कों पर सरपट दौड़ना, जहां तहां रोक देना और राहगीरों के लिए एक बड़ी मुसीबत बनता जाना सबसे बड़ी समस्या बन गई है.
जहां तक टोटो वालों की मनमानी की बात है, तो क्या जनता और नेता! यहां तक के शासन के अधिकारी भी इस बात से बखूबी परिचित हैं. जब टोटो में सवारी बैठी है, तो पता होता है कि इनका किराया कुछ निश्चित नहीं होता. अगर आपने आरंभ में ही किराया तय कर लिया, तब तो ठीक है. अन्यथा गंतव्य स्थल पर पहुंचने के बाद टोटो वालों की मर्जी के हिसाब से किराया देना होगा. आमतौर पर टोटो का किराया ₹10 से शुरू होता है और ₹30 से लेकर ₹40 तक बढ़ जाता है. रिजर्व की बात ही अलग है.
खुद सिलीगुड़ी नगर निगम भी नहीं चाहती कि सिलीगुड़ी की सड़कों पर अवैध रूप से टोटो का परिचालन हो. पिछले दिनों सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सिलीगुड़ी में बिना नंबर अथवा अवैध ढंग से चल रहे टोटो पर लगाम लगाने की बात कही है. केवल नेता और प्रशासनिक अधिकारी ही नहीं,बल्कि आम जनता भी चाहती है कि सिलीगुड़ी की सड़कों पर केवल गिने चुने टोटो ही चले. बाकी बिना नंबर अथवा गैर पंजीकृत टोटो ग्रामीण क्षेत्रों में चले. इससे काफी हद तक ट्रैफिक की समस्या पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है.
पिछले दिनों शहर में चल रहे अवैध रूप से टोटो और शोरूम के खिलाफ दार्जिलिंग समतल और जलपाईगुड़ी ई-रिक्शा वेलफेयर संगठन ने शहर में अवैध रूप से चल रहे टोटो के खिलाफ हल्ला बोल किया था. इस तरह से देखा जाए तो खुद ऑटो संगठन भी नहीं चाहते कि यहां अवैध रूप से टोटो का परिचालन हो सके. इसलिए वे शोरूम को बंद करने की मांग कर रहे हैं.
दूसरी तरफ यह भी सही है कि शहर में सिटी बसें नहीं चलती. जबकि सिटी ऑटो चलते जरूर हैं. लेकिन उनका किराया भी टोटो से कुछ कम नहीं है. मेडिकल से कोर्ट मोड़ तक का सिटी ऑटो का किराया ₹30 से लेकर ₹40 तक है. इसी तरह से फूलबारी से लेकर सालू गाड़ा तक का सिटी ऑटो का किराया ₹40 है. एक तो सिलीगुड़ी शहर में आम लोगों की आमदनी यूं ही कम है, ऊपर से अनाप-शनाप किराया कहीं ना कहीं उनकी जेब पर भारी पड़ता है. यात्री चाहते हैं कि सिटी ऑटो का किराया कुछ कम हो. लेकिन सिटी ऑटो के चालक किराए के मामले में प्रशासन के नियमों को मानने के तैयार नहीं है. कई बार यह भी देखा गया है कि अलग-अलग सिटी ऑटो किराए के मामले में नए और बाहर के यात्रियों के साथ मनमाना किराया वसूल करते हैं. बाहरी लोगों को गंतव्य स्थल के किराए का पता नहीं होता. ऐसे में गंतव्य स्थल पर पहुंचकर जब वह चालक से बात करते हैं तो चालक नए और पुराने यात्री के हिसाब से ही किराया बताते हैं.
खैर आज नहीं तो कल, कम से कम टोटो पर तो लगाम लगने जा रही है.पर इससे सिलीगुड़ी वासियों की समस्या दूर नहीं होगी. क्योंकि टोटो को बंद करने के बाद सिटी ऑटो की मनमानी और बढ़ जाएगी. ऐसे में उनकी मनमानी पर रोक लगाने की व्यवस्था प्रशासन के द्वारा की जानी चाहिए. इसका मतलब यह है कि टोटो बंद करने के बाद यहां एक बार फिर से सिटी बस चलाए जाने की जरूरत महसूस होगी.
आपको बताते चलें कि सिलीगुड़ी में एनजेपी, वर्धमान रोड ,चंपासारी, ,हिलकार्ट रोड, मल्लागुरी, रेल गेट, थाना मोड इत्यादि स्थानों के लिए सिटी बस 2016-17 में चलती थी. उस समय लगभग एक दर्जन या इससे ज्यादा सिटी बस चलती थी और इनका किराया भी कोई ज्यादा नहीं होता था. लेकिन बाद में प्रशासन ने सिटी बसों को परिचालन से बाहर कर दिया. अब एक बार फिर से यहां सिटी बस चलाने की मांग हो रही है. यात्री और शहर के नागरिक चाहते हैं कि सिलीगुड़ी में पहले की तरह सिटी बस चले, ताकि लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान जाने में असुविधा नहीं हो. साथ ही किराया भी कुछ कम हो. सिलीगुड़ी नगर निगम और प्रशासन पर भी इसका दबाव बढ़ रहा है. बहरहाल अभी यह कहना मुश्किल है कि प्रशासन और परिवहन विभाग क्या फिर से सिलीगुड़ी में सिटी बस चलाएगा या फिर टोटो को बंद करने के बाद कोई नई वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी?