एक बार फिर से द्वारे सरकार का आयोजन किया जा रहा है. बंगाल सरकार की यह वह योजना है, जिसने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को काफी लोकप्रिय बना दिया और राज्य के लोगों का भरोसा दीदी के प्रति बढा दिया था. ममता बनर्जी की गहरी सोच एवं कुशल राजनीति का यह एक उदाहरण बन गया. जब 2020 में मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी, तब शायद उन्होंने भी नहीं सोचा कि यह योजना उनके राजनीतिक करियर में मील का पत्थर साबित होगी.
पश्चिम बंगाल में द्वारे सरकार की सफलता ने धुर विरोधी केंद्र सरकार को भी प्रभावित किया. केंद्र ने ममता बनर्जी की इस योजना की तारीफ की और पुरस्कृत भी किया. वाकई एक छत के नीचे सरकार की जनहित योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाना बहुत बड़ी बात होती है. साल 2020 से द्वारे सरकार का छठा संस्करण पूरा हो चुका है. पूरे राज्य में अब तक 4.66 लाख से अधिक सामूहिक शिविरों का आयोजन किया जा चुका है जबकि सिलीगुड़ी समेत राज्य के 7.19 करोड़ से अधिक लोगों ने द्वारे सरकार कैंप में जाकर सरकारी सेवाएं प्राप्त की है.
द्वारे सरकार का सातवां संस्करण सितंबर में शुरू हो रहा है. 1 सितंबर से लेकर 16 सितंबर तक राज्य में कैंपों का आयोजन किया जाएगा. जबकि इन शिविरों में 18 से लेकर 30 सितंबर तक लोगों को सामूहिक सेवाएं प्रदान की जाएगी. इस बार सरकार ने राज्य के लोगों को शिविरों के माध्यम से 35 परिसेवाएं प्रदान करने का फैसला किया है. हालांकि ज्यादातर सेवाएं पहले की तरह ही हैं. परंतु इस बार दो नई सेवाएं जोड़ दी गई हैं. इनमें से एक प्रवासी श्रमिक पंजीकरण जबकि दूसरी परिसेवा वृद्धावस्था पेंशन योजना शामिल है.
दोनों ही सेवाएं काफी महत्वपूर्ण हैं. चाहे प्रवासी श्रमिक पंजीकरण की बात हो या फिर राज्य में वृद्धावस्था पेंशन योजना हो, काफी समय से इस मुद्दे पर लोग शिकायत कर रहे थे. सिलीगुड़ी में अनेक ऐसे व्यक्ति हैं जो 60 साल की आयु प्राप्त कर चुके हैं या फिर उनकी उम्र 70 से 75 तक हो गई है लेकिन फिर भी उन्हें वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. अनेक ऐसी महिलाएं जो घर में अकेली रहती हैं तथा जिन्हें कमाई का कोई साधन नहीं है, ऐसी महिलाओं को भी वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिलती है क्योंकि उन्हें पता भी नहीं है कि यह सेवा उन्हें कैसे प्राप्त होगी.
काफी समय से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के जनता दरबार में जरूरतमंद लोगों के बीच वृद्धावस्था पेंशन का समान वितरण हो, इसकी आवाज उठाई जा रही थी.राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह वह मुद्दा है जो मुख्यमंत्री को राजनीतिक रूप से सफलता दिलाएगा. राज्य में प्रवासी श्रमिकों की समस्या किसी से छिपी नहीं लेकिन उनका पंजीकरण होने से उन्हें भविष्य में लाभ होने लगेगा. सूत्रों ने बताया कि द्वारे सरकार के साथ-साथ पहले की भांति ही पाड़ाय समाधान भी चलेगा.
अब देखना है कि लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की यह रणनीति चुनाव में कितनी सफलता दिला पाती है. परंतु पिछला अनुभव बताता है कि हर बार द्वारे सरकार या फिर पाड़ाय समाधान सफल हुआ है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की लोकप्रियता और साख को राज्य के लोगों में बढ़ाया ही है.