April 27, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल लाइफस्टाइल

दीदी का ‘सहानुभूति कार्ड’ तृणमूल का बेड़ा पार करेगा!

राज्य में पंचायत चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस ने अपनी पूरी शक्ति झोंक दी है.राज्य में स्वयं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत अभिषेक बनर्जी और तृणमूल के बड़े-बड़े नेता जोर शोर से चुनाव प्रचार कर रहे हैं. तृणमूल कांग्रेस की जीत पक्की करने के लिए स्थानीय संगठन के प्रभारियों और नेताओं को जिम्मेवारी दी गई है, जो रात दिन अपने संगठन को मजबूती प्रदान करते हुए चुनाव प्रचार तथा चुनाव जीतने की रणनीति तैयार कर रहे हैं. वे दीदी को आश्वस्त भी कर रहे हैं कि चुनाव में जीत तो उनकी ही होगी!

इसके बावजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी किसी तरह का रिस्क लेना नहीं चाहती. पंचायत चुनाव उनकी नाक का सवाल बन गया है. क्योंकि पंचायत चुनाव में जीत के बाद ही पार्टी का मनोबल बढ़ेगा. दरअसल ममता बनर्जी चाहती है कि पंचायत चुनाव में उनकी पार्टी की जबरदस्त जीत हो, ताकि वह 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियों के मोर्चे पर पर अपना दबदबा बना सकें. साथ ही 2024 का लोकसभा चुनाव बंगाल में मजबूती के साथ लड़ सके. इसलिए वह स्वयं चुनाव प्रचार कर रही है और भाजपा तथा अन्य विरोधी दलों के आरोपों का सामना करते हुए उसी के अंदाज में जवाब भी दे रही है.

एक तरफ ममता बनर्जी की पार्टी के नेता पंचायत चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल करने के लिए जनता से सीधे संपर्क बना रहे हैं. दूसरी ओर पंचायत चुनाव में जीत की रणनीति के तहत विपक्षी उम्मीदवारों पर साम, दाम, दंड, भेद की नीति भी अपनाई जा रही है. ताकि इस तरह से विपक्षी उम्मीदवार चुनाव से दूर रहेंगे तो उनकी पार्टी के उम्मीदवार निर्विरोध विजयी घोषित होंगे. यह आरोप विपक्षी दलों की ओर से लगाया गया है. हालांकि तृणमूल कांग्रेस इस तरह के आरोप को बेबुनियाद मानती है.

इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का वर्चुअल भाषण और भाषण में हेलीकॉप्टर हादसे की बात जनता को बताना भी चर्चा में है. ममता बनर्जी को पिछले दिनों सिलीगुड़ी-सालूगाड़ा इलाके में एक हेलीकॉप्टर हादसे में पैर और कमर में चोट लग गई थी. वर्तमान में वह घर पर डॉक्टरों से अपना इलाज करा रही है. बीरभूम के दुबराजपुर की रैली को वर्चुअल संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने राज्य के लोगों को यह बात बताई भी कि हालांकि वह पहले से अच्छा महसूस कर रही हैं. लेकिन उनकी विशेष थेरेपी अभी चल रही है. इस वजह से वह रैलियों में सक्रिय रूप से भाग नहीं ले सकती. उन्होंने कहा कि पैर और कमर की चोट से उबरने के बाद वह जल्द ही मैदान पर वापसी करेंगी.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यह बताना भी नहीं भूलती कि अगर थोड़ी सी देर हो जाती तो उनके हेलीकॉप्टर का बड़ा हादसा हो जाता. उन्होंने कहा कि 30 सेकंड की और देरी होती तो हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो जाता. विपक्षी पार्टियां पहले ही इस हादसे को ममता बनर्जी का नाटक करार दे चुकी हैं और इसे पिछले विधानसभा चुनाव में सहानुभूति कार्ड से जोड़कर देख रही है. ममता बनर्जी ने कहा कि मेरे स्वास्थ्य के बारे में कुछ नेता अफवाह फैला रहे हैं. मैं जनता की अदालत से इंसाफ चाहती हूं.

बीरभूम में जनता को वर्चुअल संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि मेरा मन आप लोगों से मिलने के लिए मचल रहा है. यहां तक कि एक या दो छोटे ऑपरेशन भी करने पड़ सकते हैं. इसके बाद मैं सड़कों पर निकलना शुरू कर दूंगी. राजनीतिक पंडित मानते हैं कि ममता बनर्जी के ऐसे भाषण का जनता से सीधा कनेक्शन होता है. जिस तरह से नरेंद्र मोदी चुनावी सभाओं में जनता को प्रभावित करने के लिए जनता को अपने भाषणों से जोड़ देते हैं, ममता बनर्जी भी उसी राह पर चल रही है.

राजनीतिक जानकार और पंडित ममता बनर्जी के ऐसे भाषण को सिंपैथी कार्ड के रूप में देखते हैं. वे मानते हैं कि यह तृणमूल कांग्रेस की जीत की पक्की रणनीति है और इसका काट विपक्षी पार्टियों में फिलहाल नजर नहीं आ रहा है. राजनीतिक पंडितों के अनुसार तृणमूल कांग्रेस की चुनाव जीतने की रणनीति कारगर साबित हो सकती है. क्योंकि बंगाल में महिलाओं में दीदी का पूरा क्रेज है. बंगाल की महिलाएं दीदी के स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखती है. और दीदी भी महिलाओं का ख्याल रखती हैं. बताते चलें कि बंगाल की महिलाओं को हर महीने ₹500 से लेकर ₹1000 का भत्ता मिलता है. राजनीतिक विश्लेषकों और पंडितों के अनुसार यह सभी स्थितियां तृणमूल के पक्ष में जाती हुई दिख रही हैं. बहरहाल इसका फैसला तो 8 जुलाई को ही होगा.

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