क्या सिलीगुड़ी के बाजार, होटल, दुकान इत्यादि में बिकने वाली हर वस्तु शुद्ध और फसाई के मानक नियमों के अनुरूप है? कहीं ऐसा तो नहीं है कि उपभोक्ता को सड़ी गली अथवा एक्सपायरी वाला सामान अथवा खाद्य पदार्थ परोसा जाता है? खासकर होटल में उपभोक्ताओं को जो आहार परोसा जाता है, क्या वह उनके स्वास्थ्य के अनुकूल होते हैं? क्या इसकी कभी जांच भी होती है? क्या सिलीगुड़ी में फूड इंस्पेक्टर इस तरह के अभियान चलाते हैं? कम से कम सिलीगुड़ी में पिछले काफी समय से ऐसा नहीं देखा गया है. जिसकी अब आवश्यकता महसूस की जा रही है.
सूत्रों ने बताया कि सिलीगुड़ी के बाजार में कई वस्तुएं ऐसी मिल रही हैं जो पूरी तरह मिलावट से युक्त हैं और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. लेकिन कुछ दुकानदार ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में दूषित खाद्य पदार्थ परोस रहे हैं. इसी तरह से कुछ दुकानों में एक्सपायरी वाला सामान भी उपभोक्ताओं को थमा दिया जाता है. जो उपभोक्ता पढ़े-लिखे नहीं होते, वे इसका उपभोग करते हैं और दूषित खाद्य पदार्थ खाकर बीमार होते हैं. इसी तरह से यह जरूरी नहीं है कि सभी डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ फसाई के मानक नियमों पर खरे उतर रहे हैं.
आज यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि सिक्किम जैसे नंबर वन प्रदेश में जहां लोगों में स्वास्थ्य जागरूकता ज्यादा देखी जाती है, वहां के बाजारों में अभियान चलाकर खाद्य निरीक्षकों के द्वारा ऐसी अनेक वस्तुएं जब्त की गई है जो या तो एक्सपायरी वाली थी अथवा फसाई के मानक नियमों पर खरी नहीं उतर रही थी. लेकिन कुछ होटल वाले ग्राहकों को धोखे में ऐसे सामान खिला रहे थे.DCSO पाकयोंग भीम प्रधान के नेतृत्व में एक दल जिसमें सहायक सब इंस्पेक्टर और दूसरे खाद्य अधिकारी शामिल थे, ने पाकयोंग पुलिस की मदद से पाकयोंग बाजार में खाद्य गोदामों और दुकानों में एक अभियान चलाया.
खाद्य निरीक्षक दल ने पाकयोंग बाजार की फेयर प्राइस शॉप्स, ग्रॉसरी स्टोर्स, होटल और रेस्टोरेंट के साथ-साथ मीट की दुकानों में जाकर खाने पीने की वस्तुओं और खाद्य पदार्थों की जांच की. दल ने मूल्य समेत वस्तु की गुणवत्ता का भी पता लगाया. दल के औचक निरीक्षण अभियान में कई ऐसी वस्तुएं पाई गई, जो एक्सपायरी वाली थी लेकिन दुकानदार उसे भी बेच रहे थे. वहां के होटलों में कुछ वस्तुएं तो दूषित हो चली थी, लेकिन ग्राहकों को वह भी परोसी जा रही थी. दल ने पाया कि खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह वस्तुएं उपयुक्त नहीं थी. लेकिन इसके बावजूद कुछ दुकानदार अथवा संस्थान ग्राहकों को बेच रहे थे.
दल के अधिकारियों ने माल गोदाम से एक्सपायरी वाली अथवा नष्ट हो चुकी वस्तुओं को बरामद किया. उन्होंने बताया कि यह वस्तुएं खाद्य सुरक्षा के मानकों को बिल्कुल पूरा नहीं कर रही थी. लेकिन उपभोक्ताओं को धोखे में बेची जा रही थी. इससे उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा को खतरा होता. अधिकारियों ने कहा कि उन्हें चकित रह जाना पड़ा कि सिक्किम जैसे प्रदेश में लोगों को दूषित खाद्य पदार्थ खिलाया जा रहा था. उन्होंने कहा कि अब सिक्किम में ऐसे अभियान लगातार चलते रहेंगे. हर दुकानदार को स्वच्छ और शुद्ध सामान बेचने होंगे. अन्यथा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
खाद्य निरीक्षक दल ने दुकानों के औचक निरीक्षण में पाया कि दुकानदारों के पास दुकान की लाइसेंस कुछ और थी, जबकि सामान कुछ और बेचे जा रहे थे. कुछ दुकानदारों के पास ट्रेड लाइसेंस भी नहीं थी. ऐसे सभी दुकानदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई किए जाने का संकेत मिल रहा है. सिक्किम जैसे प्रदेश में जहां अनुशासन, नियम पालन और शुद्ध ऑर्गेनिक अनाज की दुनिया भर में चर्चा होती है, वहां जब मानव स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा था तो इसी से समझ लेना चाहिए कि बाकी जगहों पर क्या होता होगा.
और सिलीगुड़ी की तो बात ही कुछ अलग है, जहां खाद्य निरीक्षक नियमित रूप से खाद्य निरीक्षण की आवश्यकता ही नहीं समझते हैं. क्या यहां संबंधित विभाग के द्वारा इस तरह के अभियान चलाए जाने की जरूरत नहीं है? क्या सिलीगुड़ी के उपभोक्ताओं को जागरूक करने की जरूरत नहीं है? क्या कुछ होटल अथवा दुकानदारों को अलर्ट करने की जरूरत नहीं है?
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